वार्ष‍िकी : 2025 में मध्य प्रदेश की ये भी है तस्वीर, जब प्रशासन, राजनीति और समाज टकराए

युगवार्ता    24-Dec-2025
Total Views |
मध्‍य प्रदेश के विवाद 2025


भोपाल, 24 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 मध्य प्रदेश के लिए विवादों, विरोध और असंतोष का साल बनकर भी सामने आया। राजनीति से लेकर नौकरशाही, सामाजिक मुद्दों से लेकर किसानों और युवाओं तक लगभग हर वर्ग किसी न किसी मोर्चे पर असहज दिखा। कई मामलों में सरकार को सफाई देनी पड़ी। यह भी दिखा कि कई बार दबाव में आकर फैसले बदलने पड़े।

आईएएस अधिकारी के बयान से भड़का आक्रोश

इस साल नौकरशाही की भूमिका पर तब गंभीर सवाल खड़े हो गए, जब एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी सामने आई। बयान सार्वजनिक होते ही राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे असंवेदनशील और विभाजनकारी करार दिया। आरक्षण विवाद में आईएएस संतोष वर्मा बुरी तरह घिरे। अनुसूचित जाति वर्ग के सरकारी कर्मचारियों के संगठन अजाक्स के नए प्रांतीय प्रमुख बने आईएएस संतोष वर्मा ने आरक्षण पर भाषण देते हुए बेहद विवादित टिप्पणी कर दी। वर्मा ने कहा कि आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान न कर दे या उससे संबंध नहीं बनता। उन्होंने मंच से यह भी कहा कि जब तक रोटी–बेटी का व्यवहार नहीं होगा, तब तक सामाजिक पिछड़ेपन के कारण आरक्षण जारी रहेगा।

यह बयान उन्होंने 23 नवंबर को अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में दिया था। इस टिप्पणी के विरोध में ब्राह्मण संगठन और राजनैतिक समूहों ने जिला एवं मंडल स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए। उसके बाद मामला इतना बढ़ा कि सरकार को तत्काल जांच और कार्रवाई के निर्देश देने पड़े। इस विवाद ने प्रशासनिक अधिकारियों की सार्वजनिक जिम्मेदारी और भाषाई मर्यादा पर व्यापक बहस छेड़ दी।

ग्वालियर में अंबेडकर प्रतिमा विवादग्वालियर उच्च न्यायालय परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर वकीलों के दो गुटों में विवाद है। एक पक्ष का दावा है कि मुख्य न्यायाधीश की अनुमति से पीडब्ल्यूडी ने फाउंडेशन भी बना दिया था, लेकिन बार एसोसिएशन इसका विरोध कर रहा है। विरोधी गुट का कहना है कि अनुमति प्रक्रियात्मक रूप से गलत है और अदालत परिसर में किसी व्यक्ति की मूर्ति नहीं लगनी चाहिए, क्योंकि वहां पहले से तिरंगा स्थापित है। विपक्ष ने सरकार पर दलित हितों की अनदेखी का आरोप लगाया, जबकि सरकार ने शांति भंग करने की कोशिशों की बात कही है। कुछ समूह प्रतिमा के स्थान और उसके आसपास की व्यवस्थाओं को लेकर असहमत दिखे और विरोध प्रदर्शन के कारण प्रशासन ने धारा 163 लागू की, भारी पुलिस तैनात की तथा माहौल तनावपूर्ण हो गया।

गेहूं व उर्वरक संकट: किसानों का उर्वरक विरोध और संघर्षअक्टूबर 2025 में उर्वरक की कमी को लेकर पूरे प्रदेश में किसान संगठनों का विरोध उभरा। भिंड, रीवा, सतना, शिवपुरी समेत अन्य जिलों में उर्वरक केंद्रों पर किसान घंटों कतार में खड़े रहे। पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया और कई स्थानों पर तनावपूर्ण दृश्य दिखे। एक वायरल तस्वीर में कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाहा को हेलमेट पहनकर लाइन में उर्वरक के लिए खड़ा देखा गया। सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया, लेकिन किसानों की नाराजगी कम नहीं हुई।

इसके साथ ही किसानों को सीमित समय तक बिजली आपूर्ति से जुड़ा परिपत्र जारी होते ही विरोध शुरू हो गया। यह भी प्रदेश में एक बड़ा विवाद का कारण बना। किसान संगठनों ने इसे खेती विरोधी कदम बताया। हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को हस्तक्षेप करना पड़ा और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की गई।

भूमि नीति विवाद: उज्जैन भूमि पूलिंग योजना वापस ली गयीदिसंबर 2025 में उज्जैन में प्रस्तावित भूमि पूलिंग योजना जो 2028 के सिंहस्थ कुंभ के लिए स्थायी आधारभूत संरचना हेतु कृषि भूमि के अधिग्रहण पर आधारित थी, का विरोध किसानों और भारतीय किसान संघ ने जोरदार तरीके से किया। किसानों को आशंका थी कि इस योजना से उनकी जमीन और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। विरोध इतना तेज हुआ कि सरकार ने इस योजना को किसानों के हित में पूरी तरह रद्द कर दिया, जिससे किसानों ने एक बार उत्सव के साथ राहत जताई।

विधानसभा में विरोध-प्रदर्शन प्रतिबंध पर राजनीतिक विवाद2025 के मध्य में विधानसभा सत्र से पहले विस अध्यक्ष द्वारा लापरवाही रोकने और शालीनता बनाए रखने को लेकर विधानसभा परिसर में विरोध, नारेबाजी और प्रतीकों पर पाबंदी का आदेश जारी किया गया। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया और विरोध जताया। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। यह विवाद राज्य स्तरीय राजनीति में नागरिक अधिकारों और विधायिका की स्वतंत्रता पर बहस को उकसाने वाला बन गया।

कांग्रेस का नेशनल हेराल्ड विरोध प्रदर्शनदिसंबर 2025 में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को कथित रूप से फंसाने के खिलाफ पूरे मध्य प्रदेश में प्रदर्शन किया। राजधानी भोपाल में कांग्रेस नेताओं ने बड़ी रैली निकाली, जिसमें कहा गया कि आरोप भाजपा और केंद्र सरकार की राजनीतिक चाल है। दूसरी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से कहा गया कि नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी गलत हैं, न्‍यायालय अपना काम कर रहा है।

भर्ती और परीक्षाओं पर उठे सवाल2025 में युवाओं का गुस्सा भी सामने आया। सरकारी भर्तियों में आयु सीमा, परीक्षा प्रक्रिया और पारदर्शिता को लेकर कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए। कई मामले अदालत तक पहुंचे, जहां न्यायिक दखल के बाद सरकार को फैसले बदलने पड़े। दूसरी ओर पर्यावरणीय मुद्दे भी साल भर चर्चा में रहे। अवैध रेत खनन और नदियों के दोहन को लेकर सरकार पर लगातार सवाल उठे। पर्यावरण संगठनों और न्यायिक मंचों ने कड़ी टिप्पणियां की हैं।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Tags