वार्ष‍िकी 2025 : मप्र में सामने आई लव जिहाद की सोच, हुईं कई आपराधिक घटनाएं

युगवार्ता    25-Dec-2025
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मप्र में लव जिहाद सवाब का काम, जिहाद जैसे मुद्दे


भोपाल, 25 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश का वर्ष 2025 सामाजिक इतिहास में एक ऐसे दौर के रूप में दर्ज होता दिखाई दिया, जहाँ अपराध की घटनाएँ सिर्फ कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं रहीं, वे विचारधारा, मजहबी कट्टरता, महिला सुरक्षा और राज्य की भूमिका से जुड़कर एक व्यापक राष्ट्रीय विमर्श में बदल गईं।

भोपाल, इंदौर और उज्जैन से सामने आए लव जिहाद के मामलों ने पहले ही समाज को झकझोर रखा, लेकिन जब इन घटनाओं के साथ हिंदू युवतियों के साथ दुष्कर्म, मोबाइल फोन में मिले अश्लील वीडियो, प्रेमजाल के संगठित पैटर्न और भोपाल में एक आरोपित द्वारा हिन्‍दू बेटियों को प्रेम जाल में फंसाने को ‘जिहाद’ और ‘सवाब’ बताया गया तो उसका ये बयान राष्ट्रव्यापी चिंता का कारण बन गया।

दरअसल, इंदौर और भोपाल के कुछ मामलों में पुलिस जांच के दौरान यह तथ्य सामने आए कि आरोपित युवतियों को पहले प्रेम संबंधों में फंसाते, भरोसा जीतते और फिर ब्लैकमेल, दुष्कर्म और दबाव का सिलसिला शुरू होता था। कई मामलों में आरोपियों के मोबाइल फोन से कई अश्लील वीडियो और तस्वीरें बरामद हुईं, जिनका इस्तेमाल पीड़िताओं को चुप कराने या दोबारा शोषण के लिए किया गया। यह पहली बार नहीं था, लेकिन 2025 में ऐसे मामलों की संख्या और उनका पैटर्न यह संकेत देने लगा कि यह व्यक्तिगत अपराध नहीं है, यह तो एक सुनियोजित संगठित तरीका है, जिसमें गैर मुसलमान युवतियों को योजना से निशाना बनाया जा रहा है।

इन प्रकरणों में सबसे अधिक चिंता का विषय यह रहा कि कुछ आरोपितों ने पूछताछ के दौरान यह स्वीकार किया कि वीडियो बनाना केवल निजी विकृति नहीं थी, बल्कि उन्हें यह बताया गया था कि ऐसे कृत्य “काम” हैं, जिनसे समुदाय विशेष को लाभ होगा। यहीं से ‘सबाब’ या ‘सवाब’ जैसे शब्द चर्चा में आए। भोपाल में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा, 'जहां जुल्म होगा, वहां जिहाद होगा।' चाहे बयान को लेकर बाद में सफाई दी गई हो लेकिन उसका वीडियो सामने आते ही पूरे देश में आक्रोश फैल गया। यह बयान उन अपराधों के साथ जुड़ गया, जिनमें पहले से ही युवतियों के साथ दुष्कर्म और मानसिक शोषण के आरोप थे।

यही वह बिंदु था जहाँ लव जिहाद की बहस ने एक नया मोड़ लिया। अब सवाल केवल यह नहीं था कि कोई युवती किससे प्रेम करती है या विवाह करती है, बल्कि यह था कि क्या कुछ मामलों में धर्म (मजहब) के नाम पर अपराध को वैचारिक वैधता देने की कोशिश की जा रही है? भोपाल, इंदौर और उज्जैन के मामलों में सामने आए तथ्यों ने इस प्रश्न को और गहरा कर दिया।

भोपाल में दर्ज एक प्रकरण में आरोपित नावेद के मोबाइल फोन से कई वीडियो मिलने की बात सामने आई, जिनमें अलग-अलग पीड़िताओं को रिकॉर्ड किया गया था। जांच एजेंसियों के अनुसार, यह एक व्यक्ति की हरकत नहीं थी, वह अन्य युवकों के संपर्क में भी था। इंदौर में ऐसे कई मामले सामने आए जहाँ पीड़िताओं ने यह बयान दिया कि उन्हें शुरू में आरोपित की असली पहचान नहीं बताई गई हिन्‍दू बनकर उनके साथ संबंध बनाए गए। बाद में, जब उन्होंने संबंध तोड़ने की कोशिश की, तो वीडियो और तस्वीरों के जरिए दबाव बनाया गया। यह पैटर्न केवल एक या दो मामलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि 2025 में दर्ज कई प्रकरणों में समान रूप से दिखाई दिया। इससे यह धारणा मजबूत हुई कि यह प्रेम का धोखा नहीं, बल्कि शोषण की रणनीति थी।

उज्जैन, जो धार्मिक नगरी के रूप में पहचाना जाता है, वहाँ ऐसे मामलों के सामने आने के बाद सामाजिक प्रतिक्रिया और भी तीव्र रही। यहाँ लव जिहाद को अपराध से अधिक धार्मिक पहचान पर हमला माना गया। इसके परिणामस्वरूप तनाव, विरोध प्रदर्शन और सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाएँ सामने आईं। प्रशासन के सामने पूरे साल ये चुनौती रही कि वह एक ओर कानून का पालन कराए और दूसरी ओर स्थिति को सांप्रदायिक विस्फोट में बदलने से रोके।

राजनीतिक स्तर पर 2025 में यह मुद्दा लगातार चुनावी भाषणों और विधानसभाओं में गूंजता रहा। सत्तारूढ़ दल ने इसे हिंदू बेटियों की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन का प्रश्न बताया, जबकि विपक्ष ने चेतावनी दी कि हर अंतरधार्मिक संबंध को संदेह की दृष्टि से देखना संविधान की भावना के खिलाफ है। लेकिन इन तर्कों के बीच एक सच्चाई यह भी रही कि जिन मामलों में दुष्कर्म, वीडियो रिकॉर्डिंग और धमकी के ठोस सबूत थे, वहाँ राजनीतिक बहस से इतर न्याय की आवश्यकता निर्विवाद देखी जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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