
श्रीनगर, 26 दिसंबर (हि.स.)। कश्मीर की राजनीति और अलगाववादी आंदोलन से जुड़े परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। कश्मीर के प्रमुख धर्मगुरु और अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फारूक ने गुरुवार शाम को चुपचाप अपने सत्यापित एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट के बायो से ‘सर्वदलीय हुर्रियत सम्मेलन के अध्यक्ष’ का पद हटा दिया। इस बदलाव की जानकारी गुरुवार देर शाम सोशल मीडिया पर चर्चा के बाद सामने आई, जिसके बाद इसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में व्यापक बहस शुरू हो गई।
शुक्रवार सुबह एक्स पर साझा किए गए एक विस्तृत पोस्ट में मीरवाइज़ उमर फारूक ने इस फैसले के पीछे की वजह स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से उन पर अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में बदलाव करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा था। मीरवाइज़ के अनुसार, हुर्रियत सम्मेलन के सभी घटक दल, जिनमें उनकी अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल है, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित हैं। इस कारण हुर्रियत सम्मेलन को भी एक प्रतिबंधित संगठन की श्रेणी में रखा गया है।
मीरवाइज़ ने अपने पोस्ट में लिखा, “कुछ समय से अधिकारी मुझ पर दबाव डाल रहे थे कि मैं हुर्रियत अध्यक्ष के रूप में अपने एक्स हैंडल में बदलाव करूं। उनका कहना था कि चूंकि हुर्रियत सम्मेलन के सभी घटक गुट, जिनमें मेरे नेतृत्व वाली अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल है, यूएपीए के तहत प्रतिबंधित हैं, इसलिए हुर्रियत भी एक प्रतिबंधित संगठन बन गया है। ऐसा न करने की स्थिति में मेरे अकाउंट को बंद करने की चेतावनी दी गई।”
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा हालात में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनके लिए जनता तक अपनी बात पहुंचाने के बेहद सीमित साधनों में से एक है। मीरवाइज़ ने लिखा, “ऐसे समय में जब सार्वजनिक मंच और संचार के अन्य साधन काफी हद तक सीमित हैं, यह प्लेटफॉर्म मेरे लिए अपने लोगों तक पहुंचने और अपने विचारों को न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि बाहरी दुनिया तक साझा करने का एक अहम जरिया है। इन परिस्थितियों में मजबूरीवश मेरे पास यही एक विकल्प बचा था।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मीरवाइज़ उमर फारूक का यह कदम कश्मीर में अलगाववादी संगठनों के घटते प्रभाव और उनकी बदलती भूमिका की ओर संकेत करता है। कभी घाटी की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाले अलगाववादी संगठन अब लगातार सख्त प्रशासनिक कार्रवाई और बदले हुए राजनीतिक हालात के चलते हाशिये पर जाते दिखाई दे रहे हैं। मीरवाइज़ द्वारा अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से हुर्रियत अध्यक्ष का उल्लेख हटाना इसी बदलते राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य का प्रतीक माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, यह घटनाक्रम न केवल मीरवाइज़ उमर फारूक के राजनीतिक रुख में आए बदलाव को दर्शाता है, बल्कि कश्मीर में अलगाववादी राजनीति के भविष्य और उसकी प्रासंगिकता को लेकर भी कई अहम सवाल खड़े करता है।------------
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह