(वार्षिकी-2025) उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की संख्या 10.35 करोड़

युगवार्ता    26-Dec-2025
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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के समीक्षा का जारी फोटो


नई दिल्‍ली, 26 दिसंबर (हि.स)। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 2025 के दौरान स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाने, ईंधन इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और तेल एवं गैस क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। उज्ज्वला योजना से देशभर में स्वच्छ रसोई ईंधन की सुविधा का विस्‍तार जारी है। इस साल की एक बड़ी बात प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) का विस्तार है, जिसके तहत एक दिसंबर तक स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच पाने वाले लाभार्थियों की संख्या बढ़कर करीब 10.35 करोड़ हो गई।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि वर्ष 2025 के दौरान राष्ट्रव्यापी बुनियादी सुरक्षा जांच अभियान के माध्यम से उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत किया गया। डिजिटल भुगतान, ईवी चार्जिंग और बहु-ईंधन ऊर्जा स्टेशनों के साथ ईंधन खुदरा अवसंरचना को सुदृढ़ किया गया। सरकार ने लगभग सभी लोगों तक कवरेज पहुंचाने के लिए चालू वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 25 लाख अतिरिक्त एलपीजी कनेक्शन जारी करने की मंजूरी दी।

एलिजिबिलिटी प्रोसेस को भी एक सिंगल डेप्रिवेशन डिक्लेरेशन के ज़रिए आसान बनाया गया, जिससे एक्सेस तेज़ और ज्‍यादा समावेशी हो गया। अपना घर पहल ट्रक चालकों के लिए सुविधाओं और सड़क सुरक्षा को मजबूत करती है। 25,400 किमी से अधिक का गैस पाइपलाइन नेटवर्क एक राष्ट्र-एक गैस ग्रिड को गति प्रदान कर रहा है। तेल क्षेत्र संशोधन अधिनियम और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियमों से अपस्ट्रीम क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधार किए गए।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तेल और प्राकृतिक गैस की खोज एवं उत्पादन, शोधन, वितरण एवं विपणन साथ ही इनके आयात, निर्यात एवं संरक्षण के लिए उत्तरदायी है। तेल और गैस भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण स्रोत बने हुए हैं। मंत्रालय ने वर्ष 2025 के दौरान सस्ती ऊर्जा उपलब्धता सुनिश्चित करने, घरेलू उत्पादन बढ़ाने, बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने, स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया।

पेट्रोलियम मंत्रालय की यह पहल ऊर्जा उपलब्धता, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं। पात्रता प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए पहले की मल्टी प्वांइट स्व-घोषणा प्रणाली के स्थान पर एकल अभाव घोषणा पत्र लागू किया गया, जिससे ईंधन की उपलब्धता तेज और अधिक समावेशी हो गई। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना लाभार्थियों के लिए 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर पर 300 रुपये की लक्षित सब्सिडी के जरिए एलपीजी की सामर्थ्य को बढ़ावा दिया गया। इसमें प्रति वर्ष 9 बार (रिफिल) यानी फिर से भरने की सुविधा है। इस पहल से एलपीजी की खपत में लगातार वृद्धि हुई। प्रति व्यक्ति औसत खपत वर्ष 2019-20 में लगभग तीन रिफिल से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 4.47 रिफिल हो गई और वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान आनुपातिक स्तर पर लगभग 4.85 रिफिल प्रति वर्ष तक पहुंच गई, जो स्वच्छ रसोई ईंधन को निरंतर अपनाने का संकेत है।

आकड़ों के अनुसार सब्सिडी के लक्षित वितरण और पारदर्शिता में सुधार के लिए बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण को गति दी गई। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण ने 01 दिसंबर 2025 तक 71 फीसदी पीएमयूवाई उपभोक्ताओं और 62 फीसदी गैर-पीएमयूवाई उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाई। उपभोक्ताओं को सरल मोबाइल-आधारित प्रक्रियाओं के माध्यम से निःशुल्क प्रमाणीकरण पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए नवंबर 2025 में एक विशेष राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरूआत की गई थी। देशव्यापी बुनियादी सुरक्षा जांच अभियान से उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत किया गया। ग्राहकों के परिसरों में 12.12 करोड़ से अधिक निःशुल्क सुरक्षा निरीक्षण किए गए और 4.65 करोड़ से अधिक एलपीजी पाइप रियायती दरों पर बदले गए, जिससे घरेलू एलपीजी उपयोग की जागरूकता बढ़ी और सुरक्षा मानकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ।

मंत्रालय ने पेट्रोलियम के विपणन की अवसंरचना को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित किया। 2.71 लाख से अधिक प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनलों का समर्थन प्राप्त 90,000 से अधिक खुदरा दुकानों को डिजिटल भुगतान सुविधाओं से लैस किया गया। 3,200 से अधिक टैंकरों की स्थापना के माध्यम से घर-घर डिलीवरी सेवाओं का विस्तार किया गया, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच में सुधार हुआ। स्वच्छ भारत मिशन के तहत, लगभग सभी खुदरा दुकानों पर शौचालय की सुविधा सुनिश्चित की गई, जिनमें से बड़ी संख्या में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय उपलब्ध कराए गए।

इस वर्ष इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अवसंरचना में तेजी से विस्तार हुआ। एफएएमई-II योजना के तहत, खुदरा दुकानों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 8,932 चार्जिंग स्टेशन बनाए गए, जबकि तेल विपणन कंपनियों ने अपने संसाधनों से 18,500 से अधिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए। अपना घर पहल में प्रगति हुई और 500 से अधिक ट्रक चालकों के लिए सड़क किनारे सुविधाओं से सड़क सुरक्षा में सुधार हुआ और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा मिला।

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां वित्‍त वर्ष 2024-25 से वित्‍त वर्ष 2028-29 के दौरान प्रमुख मार्गों और अन्य उपयुक्त स्थानों पर 4,000 ऊर्जा स्टेशन स्थापित कर रही हैं। इन स्टेशनों को एकीकृत गतिशीलता केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधनों के साथ-साथ जैव ईंधन, सीएनजी, एलएनजी (जहां संभव हो) और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग सुविधाएं जैसे वैकल्पिक ईंधन भी उपलब्ध कराएंगे। 1 नवंबर 2025 तक, देश भर में 1,064 ऊर्जा स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं।

गैस आधारित अर्थव्यवस्था के विस्तार में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। देश में परिचालनशील प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों की लंबाई वर्ष 2014 में 15,340 किमी से बढ़कर जून 2025 तक 25,429 किमी हो गई है, जबकि 10,459 किमी पाइपलाइन निर्माणाधीन हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) और सरकार द्वारा अधिकृत इन पाइपलाइनों के पूरा होने से राष्ट्रीय गैस ग्रिड तैयार होगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित होगी और संतुलित आर्थिक एवं सामाजिक विकास को समर्थन मिलेगा।

गैस परिवहन लागत में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड ने एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक टैरिफ के मिशन के तहत एक एकीकृत पाइपलाइन टैरिफ व्यवस्था लागू की है। एक अप्रैल 2023 से लागू यह प्रणाली राष्ट्रीय गैस ग्रिड में परिवहन शुल्कों को मानकीकृत करती है और पहले की दूरी-आधारित टैरिफ संरचना को प्रतिस्थापित करती है। वर्तमान में, लगभग 90 प्रतिशत परिचालन पाइपलाइनें एकीकृत टैरिफ व्यवस्था के अंतर्गत आती हैं, जिससे प्राकृतिक गैस की सामर्थ्य और प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होता है।

शहरी गैस के वितरण का 307 भौगोलिक क्षेत्रों तक विस्तार हुआ है। सितंबर 2025 तक, पीएनजी में घरेलू कनेक्शनों की संख्या लगभग 1.57 करोड़ हो गई और सीएनजी स्टेशनों की संख्या बढ़कर 8,400 से अधिक हो गई। संशोधित घरेलू गैस आवंटन दिशानिर्देशों ने वास्तविक खपत पैटर्न के साथ बेहतर तालमेल स्थापित किया और उपभोक्ताओं को मूल्य अस्थिरता के जोखिम से बचाया।

किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प पहल के तहत एक नवंबर 2025 तक 130 से अधिक संपीड़ित जैव गैस संयंत्र चालू हो चुके हैं और कई अन्य निर्माणाधीन हैं। सीएनजी और पीएनजी खंडों में सीबीजी के लिए अनिवार्य मिश्रण दायित्व वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू हो गए हैं, जिन्हें पाइपलाइन कनेक्टिविटी और बायोमास एकत्रीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

इस वर्ष जैव ईंधन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण औसतन 19.24 प्रतिशत तक पहुंच गया, जिससे 1.55 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा बचत हुई और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई। प्रधानमंत्री जी-वन योजना के तहत उन्नत जैव ईंधनों को बढ़ावा दिया गया, जिसमें पानीपत और नुमालीगढ़ में चालू द्वितीय पीढ़ी के इथेनॉल संयंत्रों ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं।

इस वर्ष सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) पहलों में प्रगति हुई, जिसमें सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए विमानन टरबाइन ईंधन में क्रमशः वर्ष 2027, 2028 और 2030 से 1 प्रतिशत, 2 प्रतिशत और 5 प्रतिशत एसएएफ के सांकेतिक मिश्रण लक्ष्य निर्धारित किए। इस रोडमैप के अनुरूप, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) पानीपत रिफाइनरी में एसएएफ उत्पादन के लिए आईएससीसी सीओआरएसआईए प्रमाणन प्राप्त करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई, जिसके बाद एसएएफ आपूर्ति के लिए आईओसीएल और एयर इंडिया के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस वर्ष बायोडीजल मिश्रण में भी विस्तार हुआ, जिसे खरीद की मात्रा में वृद्धि और कच्चे माल के विविधीकरण का समर्थन मिला, जिससे स्वच्छ परिवहन ईंधन की ओर मजबूती मिली।

तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 के लागू होने और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 2025 की अधिसूचना के साथ अपस्ट्रीम क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुए। हाइड्रोकार्बन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति के अंतर्गत, 3.78 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले 172 ब्लॉक आवंटित किए गए, जिससे लगभग 4.36 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ। भूकंपीय सर्वेक्षणों, ड्रिलिंग कार्यक्रमों और मिशन अन्वेषण जैसी सरकारी वित्त पोषित पहलों के माध्यम से अन्वेषण गतिविधियों में तेजी आई।

नए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों और द्वितीय चरण की सुविधाओं में हुई प्रगति के माध्यम से रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार को मजबूत किया गया, जिससे आपूर्ति में व्यवधान के विरुद्ध तैयारी बेहतर हुई। भारतीय तेल और गैस सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा किए गए विदेशी निवेशों ने आपूर्ति स्रोतों के विविधीकरण के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा को निरंतर समर्थन प्रदान किया।

नीतिगत सुधारों, बुनियादी ढांचे के विस्तार और स्वच्छ ऊर्जा पहलों के माध्यम से, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 2025 के दौरान ऊर्जा तक पहुंच, सामर्थ्य, स्थिरता और सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे देश को एक लचीले और समावेशी ऊर्जा भविष्य की ओर बढ़ने में सहायता मिली है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

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