
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (हि.स)। सरकार ने बुधवार को निर्यात प्रोत्साहन मिशन (ईपीएम) के तहत बाजार पहुंच सहायता (एमएएस) पहल की शुरुआत की है, जो केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 12 नवंबर, 2025 को अनुमोदित एक प्रमुख पहल है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जारी एक बयान में बताया कि बाजार पहुंच सहायता पहल को निर्यात प्रोत्साहन मिशन की निर्यात दिशा उप-योजना के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, पहली बार निर्यात करने वालों और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच को मजबूत करना है।
मंत्रालय के मुताबिक निर्यात प्रोत्साहन मिशन (एमएएस) का संचालन वाणिज्य विभाग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों, निर्यात प्रोत्साहन परिषदों (ईपीसी), कमोडिटी बोर्ड और अन्य उद्योग संघों के समन्वय से संयुक्त रूप से किया जाता है। बाजार पहुंच सहायता का उद्देश्य संरचित और परिणामोन्मुखी बाजार पहुंच संबंधी उपायों के माध्यम से खरीदारों से बेहतर संपर्क स्थापित करना तथा वैश्विक बाजारों में भारत की उपस्थिति को मजबूत करना है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि बाजार पहुंच सहायता हस्तक्षेप के तहत, क्रेता-विक्रेता बैठकों (बीएसएम), अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भागीदारी, भारत में आयोजित मेगा रिवर्स क्रेता-विक्रेता बैठकों (आरबीएसएम) और प्राथमिकता वाले तथा उभरते निर्यात बाजारों में व्यापार प्रतिनिधिमंडलों सहित गतिविधियों के लिए संरचित वित्तीय और संस्थागत सहायता प्रदान की जाएगी।
प्रमुख बाज़ार पहुंच कार्यक्रमों का तीन से पांच साल का एक दूरदर्शी कैलेंडर पहले से तैयार और अनुमोदित किया जाएगा, जिससे निर्यातकों और आयोजन एजेंसियों को समय से काफी पहले भागीदारी की योजना बनाने और बाजार विकास प्रयासों की निरंतरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इससे समर्थित कार्यक्रमों में कम से कम 35 फीसदी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की भागीदारी अनिवार्य की गई है, जिसमें निर्यात विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए नए भौगोलिक क्षेत्रों और छोटे बाज़ारों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।
मंत्रालय के मुताबिक प्रतिनिधिमंडल का आकार कम से कम 50 प्रतिभागियों का निर्धारित किया गया है, जिसमें बाज़ार की स्थितियों और रणनीतिक प्रासंगिकता के आधार पर लचीलापन प्रदान किया जाएगा। आयोजन स्तर पर वित्तीय सहायता की अधिकतम सीमा और लागत-साझाकरण अनुपात को युक्तिसंगत बनाया गया है और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों तथा बाजारों को तरजीही सहायता प्रदान की जा रही है। पिछले वर्ष में 75 लाख रुपये तक के निर्यात कारोबार वाले छोटे निर्यातकों को नए और छोटे निर्यातकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए आंशिक हवाई किराया सहायता प्रदान की जाएगी। आयोजन की सूचीकरण, प्रस्ताव प्रस्तुत करने, अनुमोदन, प्रतिभागियों को शामिल करने, निधि जारी करने और निगरानी से संबंधित सभी प्रक्रियाएं https://trade.gov.in के माध्यम से सुगम बनाई जाएंगी, जिससे सभी हितधारकों के लिए पारदर्शिता और सुगम पहुंच सुनिश्चित होगी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि प्रत्येक समर्थित कार्यक्रम में भाग लेने वाले निर्यातकों के लिए अनिवार्य ऑनलाइन फीडबैक तंत्र स्थापित किया जाएगा, जिसमें खरीदार की गुणवत्ता, उत्पन्न व्यावसायिक अवसरों और बाजार प्रासंगिकता जैसे मापदंडों को शामिल किया जाएगा। फीडबैक और कार्यान्वयन से प्राप्त अनुभवों के आधार पर, बाजार पहुंच सहायता दिशा-निर्देशों को धीरे-धीरे परिष्कृत और संस्थागत रूप दिया जाएगा। मौजूदा बाजार पहुंच संबंधी उपायों के पूरक के रूप में, संभावित विदेशी खरीदारों, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी-प्रधान, उभरते और नवविकास क्षेत्रों में, के लिए अवधारणा प्रमाण और उत्पाद प्रदर्शन हेतु एक नए घटक की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि परिणामों के बेहतर आकलन के लिए लीड ट्रैकिंग, निर्यातकों से संपर्क और बाजार संबंधी जानकारियों को एकीकृत करने के लिए अतिरिक्त डिजिटल उपकरण चरणबद्ध तरीके से शुरू किए जाएंगे। बाजार पहुंच सहायता पहल के शुभारंभ के माध्यम से सरकार का उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को बाजार में प्रवेश के निश्चित मार्ग, खरीदारों के साथ बेहतर जुड़ाव और डेटा-आधारित नीतिगत सहायता प्रदान करना है, जिससे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में उनका गहन एकीकरण और निर्यात में निरंतर वृद्धि सुनिश्चित हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर