दिल्ली केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक जीवित सभ्यता है : रेखा गुप्ता

युगवार्ता    07-Dec-2025
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अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को की अंतर-सरकारी समिति का 20वां सम्मेलन’ में रविवार को संबोधित करती मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता


नई दिल्ली, 7 दिसंबर (हि.स.)। लाल किले की प्राचीर पर आयोजित ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को की अंतर-सरकारी समिति का 20वां सम्मेलन’ में रविवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को के डायरेक्टर जनरल डॉ. खालिद अल एनानी तथा यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा के साथ सम्मिलित हुई।

इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को की अंतर-सरकारी समिति का 20वां सम्मेलन के लिए विश्वभर से पधारे सभी अतिथियों का दिल्ली में स्वागत करना सौभाग्य और सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि दिल्ली इस वैश्विक आयोजन की मेजबानी के लिए सबसे उपयुक्त और प्रतीकात्मक स्थल है। दिल्ली केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक जीवित सभ्यता है। उन्होंने बताया कि महाभारत में वर्णित इंद्रप्रस्थ से लेकर आधुनिक भारत की लोकतांत्रिक राजधानी तक, दिल्ली ने 3,000 वर्षों की निरंतर सांस्कृतिक यात्रा को देखा है। उन्होंने कहा कि कुछ ही किलोमीटर के दायरे में पुरानी दिल्ली की रंगीन गलियों से लेकर भव्य किलों और बावड़ियों तक, शास्त्रीय रागों और लोक धुनों से लेकर विविध व्यंजनों तक, दिल्ली अनूठी सांस्कृतिक परंपराओं से सजी हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत विश्व की सबसे समृद्ध विरासतों में से एक है। वेद, उपनिषद, योग से लेकर प्रकृति, ऋतु, फसलों और सद्भाव का उत्सव मनाने वाले हमारे त्योहारों, अनुष्ठानों और प्रदर्शन कलाओं तक, भारत सदैव मानता आया है कि संस्कृति संग्रहालयों में नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में जीवित रहती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के यूनेस्को के इस सम्मेलन की मेजबानी करते हुए भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति अपने दृढ़ संकल्प को दोहराता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब दुनिया तीव्र आधुनिकीकरण, जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और डिजिटल बदलावों के दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में अमूर्त विरासत का संरक्षण और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने उल्लेख किया कि हाल के वर्षों में भारत ने अपने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों, सांस्कृतिक प्रथाओं और त्योहारों को वैश्विक मंच पर प्रोत्साहित करने पर विशेष बल दिया है। यह प्रयास प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के उस दूरदर्शी दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें भारत की सांस्कृतिक जड़ों और परंपराओं को सशक्त बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री ने सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को आमंत्रित करते हुए आग्रह किया कि वे सम्मेलन स्थल से आगे बढ़कर दिल्ली की उस सांस्कृतिक आत्मा को करीब से महसूस करें, जो इसकी गलियों, खुशबू, कारीगरी और स्थापत्य में सदियों से जीवंत है। उन्होंने प्रतिनिधियों को लाल किला और पुराना किला जैसे ऐतिहासिक स्मारकों के साथ-साथ संग्रहालयों, कला दीर्घाओं और पुस्तकालयों में संरक्षित भारत की बौद्धिक एवं रचनात्मक विरासत का अवलोकन करने का सुझाव दिया।

उन्होंने बताया कि दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय स्वतंत्रता के बाद अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों की यात्रा को समर्पित है और भारत की लोकतांत्रिक प्रगति का सशक्त प्रतीक है। डॉ. भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक (महापरिनिर्वाण स्थल) संविधान की आकृति वाले भवन में भारत की संवैधानिक विरासत को दर्शाता है। अक्षरधाम मंदिर, लोटस टेंपल, इंडिया गेट और नेशनल वॉर मेमोरियल जैसे अनेक स्थल भी दिल्ली की सांस्कृतिक समृद्धि को प्रतिबिंबित करते हैं।

मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि प्रतिनिधि इस बैठक के साथ दिल्ली की आतिथ्य परंपरा, गर्मजोशी और विविध सांस्कृतिक अनुभवों को अपने साथ लेकर लौटेंगे। उन्होंने दिल्ली की जनता की ओर से यूनेस्को, सभी सम्मानित अतिथियों और सहभागी देशों के प्रति आभार व्यक्त किया और इस महत्वपूर्ण वैश्विक मिशन में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव

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