(अपडेट) छत्तीसगढ़ में 1 करोड़ 5 लाख रुपये के इनामी सहित 12 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

युगवार्ता    08-Dec-2025
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कुख्यात नक्सली रामधेर मज्जी


रायपुर, 08 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में सोमवार को कुख्यात नक्सली रामधेर मज्जी ने अपने 11 साथियों के साथ सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। ये सभी नक्सली माओवादी संगठन की एमएमसी (महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) जोनल कमेटी के सदस्य थे और तीनों राज्यों की सीमा पर सक्रिय थे। रामधेर मज्जी पर 01 करोड़ 05 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वह माओवादी संगठन में सेंट्रल कमेटी सदस्य के पद पर था।

आत्मसमर्पण समारोह राजनांदगांव में आयोजित किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, डीजीपी अरुण देव गौतम और एडीजी (नक्सल ऑपरेशन) विवेकानंद सिन्हा उपस्थित रहे। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के हाथों में भारतीय संविधान की प्रति एवं सफेद गुलाब का फूल था, जो शांति और मुख्यधारा में लौटने का प्रतीक था।

इस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रेस वार्ता के दौरान इसे “ऐतिहासिक दिन” करार देते हुए कहा कि दशकों से नक्सलवाद छत्तीसगढ़ के विकास में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ था। उन्होंने कहा, “आज नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और वह अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। रामधेर मज्जी जैसे वरिष्ठ नेता का हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में आना यह सिद्ध करता है कि हमारी रणनीति पूरी तरह सफल हो रही है।”

मुख्यमंत्री साय ने केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और डबल इंजन सरकार के समन्वय की सराहना की। उन्होंने याद दिलाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल-मुक्त करने का लक्ष्य रखा है और छत्तीसगढ़ उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व नक्सलियों को स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि वे सम्मानजनक रोजगार अपना सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर जल्द ही पूरी तरह नक्सल-मुक्त होकर कृषि, पर्यटन और औद्योगिक विकास का केंद्र बनेगा। इस बार बस्तर में पारंपरिक पंडुम उत्सव भी भव्य स्तर पर मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सुरक्षा बलों की बहादुरी को सलाम करते हुए कहा कि हमारे जवान दिन-रात जंगलों में जान जोखिम में डालकर लड़ रहे हैं और लगातार सफलता हासिल कर रहे हैं। रामधेर मज्जी और उनके साथियों का सरेंडर नक्सलवाद के अंत की शुरुआत है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। 500 से अधिक माओवादी मुठभेड़ों में न्यूट्रलाइज हुए, जबकि 4,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण या गिरफ्तारी दी, जो नक्सलवाद के कमजोर पड़ने का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के पराक्रम से बस्तर में दशकों से जमी हिंसा के विरुद्ध निर्णायक बढ़त मिली है।

उन्होंने राज्य सरकार की नई पुनर्वास नीति की भी विस्तृत जानकारी दी। इसके तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए 15,000 प्रधानमंत्री आवासों की स्वीकृति, 3 वर्षों तक 10,000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता, कौशल विकास प्रशिक्षण और रोजगार-संबंधी कार्यक्रम शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोलीबारी की भाषा छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ना अब बस्तर में हकीकत बन रहा है। पंडुम कैफ़े जैसे नवाचार आज सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक हैं।

उन्होंने कहा कि बस्तर में तेजी से सुरक्षा कैंप खुलने और प्रशासन की पहुंच बढ़ने के साथ ही 400 से अधिक गांव पुनः आबाद हो चुके हैं। नियद नेल्ला नार योजना के माध्यम से इन क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाएं पहुंच रही हैं।नक्सल-मुक्त घोषित गांवों को विकास के लिए 1-1 करोड़ रुपये की विशेष राशि दी जा रही है। नियद नेल्लानार योजना के तहत सुदूर गांवों में स्कूल, अस्पताल, सड़क, पुल-पुलिया, राशन और जरूरी दस्तावेज पहुंचाए जा रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा

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