जगदलपुर, 22 सितंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के बालेंगा निवासी और असम राइफल्स के बलिदानी जवान रंजीत कश्यप का पार्थिव शरीर सोमवार काे जगदलपुर एयरपोर्ट से उनके पैतृक गांव लाया गया। बलिदानी जवान को पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
जगदलपुर एयरपोर्ट पर बलिदानी रंजीत कश्यप के परिवार के लोगों के साथ उनके दोस्तों ने जगदलपुर पहुंचकर माेटरसाइकिल रैली के माध्यम से रंजीत के पार्थिव देह को लेकर आज गृहग्राम बालेंगा पहुंचे। रास्ते भर लोगों के तिरंगा लहराने और भारत माता के जयकारों के साथ बलिदानी रंजीत के पार्थिव शरीर को गृहग्राम ले जाया गया। जहां सेना के जवानाें ने पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी।
बलिदानी रंजीत कश्यप की पत्नी, मां-पिता और परिवार जनों का रो-रोकर बुरा हाल है। अपनी मां को तीन दिनों से निरंतर रोता देखकर बलिदान जवान की दो बेटियां स्तब्ध हैं। सबसे छोटी बेटी को तो यह सब पता ही नहीं कि आखिर घर में क्या हो रहा है। उल्लेखनीय है कि मणिपुर में शुक्रवार शाम को उग्रवादियों ने घात लगाकर असम राइफल्स के काफिले पर हमला किया था, जिसमें रंजीत कश्यप बलिदानी हो गए थे।
बलिदानी के पार्थिव शरीर को गृहमंत्री ने दिया कंधाबलिदानी राइफल मैन रंजीत कश्यप का पार्थिव शरीर पहले रायपुर पहुंचा, इस दौरान एयरपोर्ट पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने बलिदानी को कंधा दिया। उन्होंने कहा कि मणिपुर में असम राइफल्स पर हुए कायरतापूर्ण हमले में हमारे बस्तर के वीर सपूत राइफलमैन रंजीत कश्यप ने सर्वोच्च बलिदान दिया। आज रायपुर एयरपोर्ट पर बलिदानी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा कि ईश्वर बलिदानी आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिजनों को यह गहन दुख सहन करने की शक्ति दें।
उल्लेखनीय है कि मणिपुर में शुक्रवार शाम उग्रवादियों ने असम राइफल्स के काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया, इस हमले में दो जवानों का बलिदान हो गया, जबकि तीन अन्य जवान घायल हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार यह हमला शाम करीब छह बजे बिष्णुपुर जिले के नांबोल सबल लीकाई इलाके में हुआ। असम राइफल्स के जवानों का वाहन इंफाल से बिष्णुपुर की ओर जा रहा था, तभी घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी। जवान रंजीत कुमार कश्यप कुछ दिन पहले ही अपने बीमार पिता को देखने के लिए एक महीने की छुट्टी लेकर घर आए हुए थे। रविवार को जाने के बाद ही शुक्रवार की शाम हुए हमले में रंजीत बलिदान हो गए।
बलिदानी रंजीत कश्यप बस्तर जिले के बालेंगा गांव के रहने वाले थे। रंजीत 2016 में असम राइफल्स में भर्ती हुए। ग्रामीणों और दोस्तों के मुताबिक रंजीत पिछले महीने ही छुट्टी पर गांव आए थे। इसके बाद 14 सितंबर को वह ड्यूटी पर लौटे थे। गांव के दोस्तों ने बताया कि रंजीत ने अपने साथियों से कहा था कि सेवा के तीन साल बाकी हैं। इसके बाद सेवानिवृत्त होकर गांव लौट जाऊंगा और बुजुर्ग माता-पिता का सहारा बनूंगा, लेकिन आज वह हमारे बीच नहीं है। परिजन बताते हैं कि रंजीत का सपना देश की रक्षा करने का था। वह अपने परिवार का इकलौता बेटा था। वह अपने पीछे माता-पिता, पत्नी और तीन बेटियों को छोड़ गए हैं। एक बहन की शादी भी बीएसएफ जवान से हुई है। ____________
हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे