डॉलर की तुलना में रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, 44 पैसे की कमजोरी के साथ बंद हुई भारतीय मुद्रा

युगवार्ता    23-Sep-2025
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डॉलर की तुलना में 44 पैसे की कमजोरी के साथ बंद हुई भारतीय मुद्रा


नई दिल्ली, 23 सितंबर (हि.स.)। ग्लोबल ट्रेड में अमेरिका के संरक्षणवादी रवैये, कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी और स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया आज रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। दिन के कारोबार में भारतीय मुद्रा 49 पैसे की कमजोरी के साथ 88.80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गई थी। हालांकि बाद में इसकी स्थिति में मामूली सुधार जरूर हुआ। इसके बावजूद रुपये ने 44 पैसे की गिरावट के साथ 88.75 रुपये प्रति डॉलर (अनंतिम) के स्तर पर आज के कारोबार का अंत किया। इसके पहले पिछले कारोबारी दिन सोमवार को भारतीय मुद्रा 88.31 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुई थी।

रुपये ने आज के कारोबार की शुरुआत भी गिरावट के साथ ही की थी। इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में भारतीय मुद्रा ने आज सुबह डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की कमजोरी के साथ 88.41 रुपये के स्तर से कारोबार की शुरुआत की थी। आज का कारोबार शुरू होने के बाद कुछ पल के लिए रुपया ओपनिंग लेवल से 1 पैसे की मामूली रिकवरी करके 88.40 के स्तर तक भी पहुंचा, लेकिन इसके बाद बाजार में बने नकारात्मक माहौल के कारण रुपया लगातार गिरते हुए अभी तक के सबसे निचले स्तर 88.80 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया। इस रिकॉर्ड कमजोरी के बाद रुपये की स्थिति में मामूली सुधार भी हुआ, जिसके कारण भारतीय मुद्रा निचले स्तर से 5 पैसे की रिकवरी करके 88.75 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुई। इस सुधार के बावजूद रुपये ने आज रिकॉर्ड लो क्लोजिंग का नया कीर्तिमान बना दिया।

मुद्रा बाजार के आज के कारोबार में रुपये ने डॉलर के साथ ही ज्यादातर दूसरी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मुकाबले भी कमजोर प्रदर्शन किया। मुद्रा बाजार में दिनभर के कारोबार के बाद ब्रिटिश पौंड (जीबीपी) की तुलना में रुपया 62.23 पैसे की कमजोरी के साथ 119.85 के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह यूरो की तुलना में रुपये ने 75.03 पैसे की गिरावट के साथ 104.74 के स्तर पर आज के कारोबार का अंत किया।

खुराना सिक्योरिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रवि चंदर खुराना का कहना है कि रुपये की इस कमज़ोरी की मुख्य वजह अमेरिका के संरक्षणवादी उपाय हैं। अमेरिका ने एशिया के अन्य देशों की तुलना में भारतीय निर्यात पर ज़्यादा टैरिफ़ लगाने की घोषणा की है। इसके साथ ही नए आवेदनों के लिए एच-1बी वीजा का शुल्क भी बढ़ा दिया है। अमेरिका के इन दोनों कदमों से न सिर्फ भारत का एक्सपोर्ट कॉस्ट बढ़ गया है, बल्कि आईटी सेक्टर भी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता नजर आने लगा है।

रवि चंदर खुराना का मानना है कि अभी के नकारात्मक माहौल में रिजर्व बैंक को रुपये को सहारा देने के लिए मुद्रा बाजार में डॉलर तथा दूसरी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के प्रवाह को बढ़ाना चाहिए। ऐसा करके ही रुपये की स्थिति को और कमजोर होने से बचाया जा सकता है। हालांकि ऐसा करने पर देश के विदेशी मुद्रा भंडार को चपत भी लग सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक

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