लेह, 24 सितंबर (हि.स.)। केंद्र सरकार ने बुधवार को लेह बंद के दौरान आंदोलन के हिंसक होने की गंभीरता को देखते हुए आगामी छह अक्टूबर को लद्दाख के कुछ प्रतिनिधियों को बैठक के लिए देश की राजधानी नई दिल्ली में आमंत्रित किया है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय में होने वाली इस अहम बैठक में लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है। उनकी लद्दाख के संबंध में मांगों पर विचार विमर्श होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि अपनी चार मांगों को पूरा करने को लेकर, सामाजिक कार्यकर्ता और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लेहवासियों ने मंगलवार को प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
प्रदर्शनकारियों ने आज हिंसा का रास्ता अख्तियार करते हुए लद्दाख भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय की इमारत और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की गाड़ियों में आग लगा दी।
इस दौरान, पुलिस ने इस हिंसक विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की लेकिन भीड़ काबू नहीं आयी और पुलिस एवं प्रदर्शनकारियों के बीच भी झड़प हुई। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया जिससे कई जवान घायल हो गए। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी भी घायल हो गये। बाद में पुलिस ने इनमें से कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है।
यह विरोध प्रदर्शन सामाजिक कार्यकर्ता और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में किया गया। वांगचुक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे थे। उनकी अगुवाई में लद्दाख के लोग केंद्र सरकार से चार प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इनमें लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, लद्दाख को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि स्थानीय जनजातीय समुदायों की सामाजिक, सांस्कृतिक और भूमि संबंधी अधिकारों की सुरक्षा हो सके, लद्दाख के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग और लद्दाख की जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देना शामिल है।
हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल तोड़ते हुए प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, यह लद्दाख के लिए दुखद दिन है। पांच साल से हम शांतिपूर्ण रास्ते पर चल रहे थे, आज हिंसा और आगजनी देखकर दुख होता है। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि हिंसा बंद करें, यह हमारे आंदोलन को कमजोर करेगा। प्रशासन भी गोलीबारी और दमन बंद करे। हम उपवास और प्रदर्शन रोक रहे हैं, लेकिन हमारी मांगें अभी भी कायम हैं।
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को,अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख को राज्य अधिकारों से वंचित करके केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया, लेकिन यहां के निवासियों को सरकार के बदलाव से नाखुश हैं और उन्होंने राजनीतिक अधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा की मांग करने लगे।
लेह के बाद अब करगिल में भी आंदोलन की लहर फैल गई है। करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के सदस्य सज्जाद करगली ने ऐलान किया है कि गुरुवार को करगिल पूरी तरह बंद रहेगा। उनका कहना है कि दिल्ली को यह सख्त संदेश देना जरूरी है कि लद्दाख अब और इंतजार नहीं करेगा। प्रदर्शन में महिलाएं, छात्र और युवा बड़ी संख्या में जुट रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और भारी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी