नई दिल्ली, 26 सितंबर (हि.स)। आयातित ब्रांडेड यानी पेटेंट वाली दवाओं पर लगाया गया 100 फीसदी अमेरिकी टैरिफ एक अक्टूबर से प्रभावी होगा, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले के बाद अधिकांश दवा कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है।शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में अधिकांश दवा कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है। बीएसई हेल्थकेयर सूचकांक 2.14 फीसदी नीचे आ गया।
ऐसे में आइए जानते हैं फार्मा पर टैरिफ का भारतीय कंपनियों पर कितना असर होगा और किन कंपनियों की मुश्किलें ज्यादा बढ़ सकती है। भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका बड़ा बाजार है। वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका को 3.7 अरब डॉलर का फार्मा निर्यात हुआ था। फार्मा एक्सपोर्ट में अमेरिका हिस्सा 40 फीसदी है। फार्मा एक्सपर्ट का 100 फीसदी टैरिफ लगाने पर कहना है कि इससे भारत पर सीमित असर होगा। क्योंकि, जेनेरिक दवाओं पर अभी टैरिफ नहीं लगा है। जेनेरिक दवा कंपनियों के लिए पॉलिसी रिस्क है। भारतीय दवाएं यूएस के मुकाबले 35-40 फीसदी सस्ती हैं। भारतीय कंपनियों की अमेरिका में सस्ती हेलकेयर देने में अहम भूमिका है।
फार्मा टैरिफ का सन फार्मा पर ज्यादा होगा असर
अमेरिकी टैरिफ से सन फार्मा पर ज्यादा असर होगा। कंपनी के स्पेशलिटी पोर्टफोलियो बिक्री में अमेरिका का हिस्सा 19 फीसदी है। यूएस टैरिफ से सन फार्मा के मार्जिन और सेल्स पर असर पड़ सकता है। अमेरिका में सिप्ला, डॉ रेड्डीज लैब्स और ल्यूपिन की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है। इन कंपनियों पर टैरिफ का बहुत ही कम असर होगा। कंपनियों की कमाई में अमेरिकी कारोबार के योगदान की बात करें, तो ग्लैंड फार्मा की आय में अमेरिकी बिक्री की हिस्सेदारी 50 फीसदी है। अरबिंदो फार्मा की कमाई में अमेरिकी कारोबार की हिस्सेदारी 48 फीसदी है।
डॉ. रेड्डीज लैब्स की इनकम में अमेरिकी निर्यात की हिस्सेदारी 47 फीसदी है। जाइडस लाइफ की इनकम में अमेरिकी कारोबार की हिस्सेदारी 46 फीसदी है। ल्यूपिन का कमाई में अमेरिका का योगदान 37 फीसदी है। इसी तरह सन फार्मा के रेवेन्यू में अमेरिका का योगदान 32 फीसदी है। इसके अलावा सिप्ला की इनकम में अमेरिका में होने वाली बिक्री की हिस्सेदार 29 फीसदी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर