नई दिल्ली, 26 सितंबर (हि.स.)। भारत ने आशा जतायी है कि अमेरिका के नए एच-1बी वीजा नियम तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि कुशल प्रतिभाओं के आदान-प्रदान ने दोनों देशों में तकनीक, नवाचार और विकास में योगदान दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में नए एच-1बी वीज़ा नियमों पर प्रश्नों का उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि हमने प्रस्तावित नियम-निर्माण के संबंध में अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग के नोटिस को देखा है। वे समझते हैं कि उद्योग सहित सभी हितधारकों के पास अपना पक्ष रखने के लिए एक महीने का समय है।
उन्होंने कहा कि कुशल प्रतिभाओं के आवागमन ने अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और धन सृजन में बहुत बड़ा योगदान दिया है। भारत उद्योग सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ संपर्क बनाए रखेगा और आशा करता है कि इन कारकों पर उचित विचार किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका में अब किसी अन्य देश के नागरिक को एच1-बी वीजा दिलाने के लिए वहां की कंपनियों को एक लाख डॉलर वीजा फीस के तौर पर देने होंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की मुलाकात पर प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत का मुख्य विषय व्यापार और शुल्क था। 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर मुलाकात में दोनों पक्षों के अधिकारी भी शामिल हुए। इसमें द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं की भी समीक्षा की गई।
उहोंने बताया कि एच1-बी के संबंध में मंत्रालय और वाशिंगटन स्थित हमारा दूतावास अमेरिकी प्रशासन के साथ सक्रिय संपर्क में हैं। नए उपायों के बाद अमेरिकी पक्ष द्वारा स्पष्टीकरण जारी किए गए थे। यह स्थिति अभी भी विकसित हो रही है और हम विभिन्न स्तरों पर सक्रिय हैं। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में अमेरिका से निर्वासन पर प्रवक्ता ने बताया कि 20 जनवरी से 25 सितंबर के बीच कुल 2417 भारतीय नागरिक स्वदेश लौटे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा