काठमांडू, 30 सितंबर (हि.स.)। ढाई साल की आर्यतारा शाक्य जीवित देवी कुमारी बन गई हैं। शाक्य समुदाय के 16 भवनों में से इतुम्बाहाल भवन के लिए उनका चयन किया गया है। उनके पिता अनंत शाक्य, माता प्रतिष्ठा शाक्य और बहन परमिता शाक्य हैं।
काठमांडू के ऐतिहासिक कुमारी घर में मंगलवार को अष्टमी के दिन आर्यतारा की पूजा कर परंपरागत तरीके से आसान ग्रहण कराया गया। आर्या तारा कुमारी तृष्णा शाक्य की वर्तमान उत्तराधिकारी हैं। परंपरा के अनुसार निवर्तमान कुमारी देवी तृष्णा का रजस्वला होने के साथ ही उनकी विदाई की गई। रजस्वला होने के साथ ही तृष्णा शाक्य के कार्यकाल की समाप्ति के बाद उसे विशेष प्रार्थनाओं और संगीत वाद्ययंत्रों के साथ डोली में बिठा कर घर ले जाया गया और पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार विदाई दी गई।
जीवित देवी कुमारी को हिंदू देवी तलेजू भवानी का जीवित अवतार माना जाता है। चयन प्रक्रिया प्राचीन तांत्रिक विधियों और ज्योतिषीय मूल्यांकन पर आधारित होती है। इसमें एक पंचांग समिति, तलेजू के मूल पुजारी, गुठी प्रतिनिधि और ज्योतिषी शामिल होते हैं। जीवित देवी कुमारी बनने के लिए शर्त है कि वह शाक्य वंश से होनी चाहिए और माता-पिता दोनों काठमांडू के स्थानीय शाक्य समुदाय से होने चाहिए। कुमारी बनने के लिए उनकी शारीरिक और धार्मिक गुणों को विशेष महत्व दिया जाता है। परंपरा के अनुसार एक कुंवारी लड़की में 32 गुण होने की उम्मीद की जाती है, जिनमें सुंदरता, शारीरिक शुद्धता, शांत स्वभाव, दिव्य गुण, शरीर पर किसी भी घाव या दाग का न होना, पूर्ण दांत और असाधारण निर्भयता शामिल हैं।
आर्यतारा की नियुक्ति नेपाल की सदियों पुरानी अनूठी परंपरा का हिस्सा है। जीवित देवी कुमारी की पूजा हिंदू और बौद्ध दोनों ही करते हैं और राष्ट्रीय सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन में उनकी एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक भूमिका है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास