बद्रीनाथ वर्मा
मंदिर की नींव का काम पूरा हो चुका है और अब गर्भगृह निर्मित होने के साथ ही सांस्कृतिक अस्मिता के नवयुग का आरंभ होगा। दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन कर मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया और अब सीएम योगी के हाथों गर्भगृह की आधारशिला रखने का पुनीत कार्य संपन्न हुआ। यह दिन देखने के लिए रामभक्तों ने करीब पांच शताब्दी तक सुदीर्घ संघर्ष किया और पीढ़ियों ने बलिदान दिया।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जून को राम जन्मभूमि स्थल पर शिला पूजन अनुष्ठान कर भव्य गर्भगृह के निर्माण के लिए पहली शिला रखी। इस अवसर पर राम मंदिर आंदोलन से जुड़े 100 से ज्यादा संतों सहित 300 लोग इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने। गर्भगृह का शिलान्यास करने के बाद सीएम योगी ने कहा कि दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन कर मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया और हमें गर्भगृह की आधारशिला रखने का शौभाग्य मिला। जल्द ही अयोध्या धाम में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राम मंदिर के लिए हिंदुओं को लंबा संघर्ष करना पड़ा है। इस संघर्ष में अर्पण भी था, तर्पण भी था और संकल्प भी था। करीब 500 सालों तक चले विवाद और हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवंबर 2019 को शीर्ष न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि पर नीर क्षीर निर्णय करते हुए फैसला हिंदुओं के पक्ष में दिया था।
श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य व दिव्य मंदिर निर्माण के लिए हुए भूमि पूजन के साथ ही पांच अगस्त का दिन विश्व भर के हिंदुओं की सांस्कृतिक आजादी का दिन बन गया। ऐसा इसलिए कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारत की मर्यादा हैं। राम अनादि से अनन्त तक हैं और समस्त विश्व के राम भक्त राम में ही समाये हुए हैं। राम सबके हैं और सबमें हैं। राम का सब जगह होना भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है। राम मंदिर का निर्माण भारत के लिए केवल एक मंदिर भर का महत्व नहीं रखता है बल्कि आत्मगौरव से अलगाव और विषैले वाम आवरण से मुक्ति का महापर्व भी है। राम मंदिर का निर्माण हमें सैकड़ों वर्षों की दासता के दंश से मुक्त करने वाला अध्याय है।
बहरहाल, अयोध्या में तेजी से चल रहे भव्य राममंदिर का निर्माण कार्य लगभग 500 साल तक चले एक अनथक संघर्ष की लोकतांत्रिक विजय का स्वर्णिम पर्व भी है। इसी के साथ सियासी रुदालियों के लिए यह वैचारिक रूप से सुपुर्दे खाक होने जैसा पड़ाव है। स्वाभाविक है कि उनके लिए भव्य राममन्दिर के आधारशिला रखे जाने की पीड़ा असहनीय ही होगी।
अब मुख्यमंत्री योगी के हाथों राम मंदिर के गर्भगृह का शिलान्यास करोड़ों हिंदू जनमानस को प्रसन्नता की पराकाष्ठा प्रदान करने वाली अनुभूति है। भगवान राम के मंदिर का निर्माण न्याय प्रक्रिया के अनुरूप तथा जनसाधारण के उत्साह व सामाजिक सौहार्द के संबल से हो रहा है। निश्चय ही यह आधुनिक भारत का प्रतीक बनेगा। वस्तुतः अयोध्या में भव्य राममंदिर का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों और गर्भगृह का शिलान्यास योगी के हाथों से होना भारत के उस नए और मौलिक स्वरूप का उद्भव भी है जो पूरी दुनिया में अपनी मजबूत पहचान स्थापित कर रहा है। नए भारत में अब लोग अपनी संस्कृति पर हीनता नहीं बल्कि गर्व महसूस कर रहे हैं।
इसके विपरीत राम मानवता के सबसे सुंदर सपने का साकार रूप हैं। राम भारत की पहचान हैं और इस पहचान को पुष्ट करने वाला हर कार्य स्तुत्य है। कई सदियों बाद एक ऐसा सपना साकार हो रहा है जिसके लिए करोड़ों लोगों ने अपनी जिंदगियां खपा दीं और लाखों लोगों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिये। सिर्फ ये दिन देखने के लिए कि अयोध्या में एक न एक दिन भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा। आज की पीढ़ी सचमुच ही बहुत सौभाग्यशाली है जिसे श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण देखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। आज की पीढ़ी गर्व से कह सकती है कि हमने भव्य राम मंदिर की एक-एक ईंट को लगते देखा है।
अयोध्या में राम का जन्मस्थान है इस तथ्य को निर्विवाद मानते हुए जिस जगह रामलला अस्थायी मंदिर में विराजमान थे उस 2.77 एकड़ भूमि को भगवान राम की जन्मभूमि स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से रामलला के पक्ष में निर्णय दिया था। रामलला के पक्ष में फैसला सुनाने का सबसे बड़ा आधार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई से निकले सबूत बने। कोर्ट ने माना कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी।
उल्लेखनीय है कि 1528 में ताकत के बल पर बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से मुगल आक्रांता बाबर के आदेश पर रामजन्मभूमि को ढहाकर वहां मस्जिद तामीर कर दी गई थी। उस वक्त भी मंदिर की रक्षा के लिए अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया और बाद के दिनों में भी इसके लिए खूनी संघर्ष होते रहे, जिसमें साधु-संन्यासियों से लेकर आम गृहस्थ तक अपने जीवन की आहुतियां देते रहे। आस्था और जिद की यह टकराहट लगातार चलती रही। तमाम झंझावातों को पार कर अंततः मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए। हमारी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के लिए इमारतें नष्ट कर दी गई, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ। लेकिन, राम हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। भगवान श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा। हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा और ये मंदिर करोड़ों करोड़ लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। राममंदिर के निर्माण की ये प्रक्रिया, राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है। ये महोत्सव है विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का, नर को नारायण से जोड़ने का, लोक को आस्था से जोड़ने का, वर्तमान को अतीत से जोड़ने का और स्वयं को संस्कार से जोड़ने का।
निर्माणाधीन दिव्य व भव्य मंदिर की कुछ विशेषताए
रामलला का अभिषेक करेंगी सूर्य की किरणें
राममंदिर न सिर्फ अलौकिक होगा बल्कि तकनीक के मामले में भी अव्वल होगा। रामलला का गर्भगृह मकराना के संगमरमर से सजेगा। 32 सीढ़ियां चढ़कर रामलला के दर्शन होंगे। रामनवमी पर सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी। मंदिर निर्माण में देश की आठ नामी तकनीकी एजेंसियों की मदद ली जा रही है। वास्तु शास्त्र व स्थापत्य कला की भी अनुपम झलक मंदिर में दिखेगी। श्रीराम जन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन राममंदिर न सिर्फ भव्यता बल्कि तकनीक के मामले में भी अनूठा होगा। रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मुखारविंद पर पड़ेंगी।