अबकी बार मानवता के लिए योग

युगवार्ता    23-Jun-2022
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बद्रीनाथ वर्मा


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भारत के साथ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का यह आठवां साल है। हर साल का एक थीम होता है। इस वर्ष का थीम योग फॉर ह्यूमैनिटी है। यानी मानवता के लिए योग। इस साल की इस थीम की असली वजह यह है कि कोरोना काल में योग ने मानवता को सबसे बड़ा संबल प्रदान किया।

चीन के वुहान से निकलकर पूरे विश्व में मौत का कहर बनकर टूटने वाले कोरोना की राह का अगर सबसे बड़ा बाधक कोई बना तो वह था योग। योग ने केवल आम आदमी को संबल प्रदान किया बल्कि कोरोना वॉरियर्स को भी लड़ने का सामर्थ्य प्रदान किया। कुल मिलाकर कोरोना काल में योग ने अपनी महत्ता पुरजोर तरीके से साबित किया है।

अगर यह कहें कि हर किसी को लील लेने को आतुर कोरोना की आहुति योग की अग्नि ने ले ली तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि महाविनाशक कोरोना काल में जब हर कहीं हताशा और निराशा का काला साया नजर रहा था ऐसे में योग ने कोरोना से दो दो हाथ किया। कोरोना जब हर दवा, हर इंजेक्शन पर भारी पड़ रहा था तब योग ने उसकी ताकत को क्षीण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

21 जून को आयोजित आठवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 'मानवता के लिए योग' विषय के साथ मनाया जा रहा है जबकि पिछला यानी सातवें योग दिवस का थीम 'तंदुरुस्ती के लिए योग' शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती के लिए योगाभ्यास पर केंद्रित रहा। बहरहाल, आठवें योग दिवस के लिए इस थीम को बहुत विचार-विमर्श के बाद चुना गया है जो अच्छी तरह से यह दर्शाता है कि कैसे कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान योग ने पीड़ा को कम करने में मानवता की सेवा की। साथ ही कोविड के बाद उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भी यह करुणा और दया के माध्यम से लोगों को एक साथ लाने, एकता की भावना को बढ़ावा देने तथा दुनिया भर के लोगों के जीवन को स्वस्थ सुखकर बनाने में मददगार साबित होगा।

हमारे शास्त्रों में कहा भी गया है कि व्यायामात लभते स्वास्थ्य, दीर्घआयुषम परमसुखम। आरोग्यं परमम् भाग्यम्, स्वास्थम् सर्वार्ध साधनम्। यानी योग व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है और लंबा-सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। गीता में दुखों से वियोग की मुक्ति को ही योग कहा गया है चाहे कोई भी स्थान हो, कोई भी परिस्थिति हो, कोई भी आयु हो।

 
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हर एक के लिए योग के पास कोई कोई समाधान जरूर है। कोरोना जैसी वैश्विक त्रासदी में योग ने इसे साबित करके दिखाया है। जब कोरोना के अदृष्य वायरस ने दुनिया में दस्तक दी थी तब कोई भी देश, साधनों से, सामर्थ्य से और मानसिक अवस्था से, इसके लिए तैयार नहीं था। ऐसे कठिन समय में, योग आत्मबल का एक बड़ा माध्यम बना।

योग ने लोगों में ये भरोसा बढ़ाया कि हम इस बीमारी से लड़ सकते हैं। यहां तक कि डॉक्टरों ने भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योग को ही अपना सुरक्षा कवच बनाया। उन्होंने योग से खुद को तो मजबूत किया ही मरीजों को भी शीघ्र स्वस्थ करने में इसका भरपूर उपयोग किया। योग की इन्हीं खूबियों ने इसे वैश्विक आयाम दिया है।

21 जून की तारीख ने पिछले कुछ ही बरस में इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर लिया है। भारत की पहल पर शुरू हुए इस खास दिन को लेकर दुनिया के अलग-अलग देशों में खासा उत्साह दिखा। भारतीय समाज में जहां योग की अहमियत प्राचीनकाल से ही रही है। वहीं पश्चिमी समाज में भी अब इसे मान्यता मिल रही है। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाए जाने की शुरुआत इसी तथ्य को रेखांकित करता है।

हमारे देश में तो योग का इतिहास सदियों पुराना है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। उल्लेखनीय है कि साल 2014 में 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल की थी। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को पूर्ण बहुमत से पारित किया था।

इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्य देशों में से 177 सदस्यों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी थी। प्रश्न है कि 21 जून को ही क्यों योग दिवस मनाये जाने की मंजूरी दी गई तो इसका जवाब है कि 365 दिनों में से 21 जून सबसे लंबा दिन होता है। इसकी वजह यह है कि इन दिन उत्तरी गोलार्ध पर सूरज की सबसे ज्यादा रोशनी पड़ती है। इस दिन सूरज जल्दी निकलता है और देरी से ढलता है। साथ ही इस दिन सूरज से मिलने वाली ऊर्जा सबसे ज्यादा प्रभावी होती है, जो प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती है।

बहरहाल, भारत के साथ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का यह आठवां साल है। हर साल का एक थीम होता है। इस वर्ष का थीम योग फॉर ह्यूमैनिटी है। यानी मानवता के लिए योग, इस थीम पर ही दुनियाभर में योग दिवस मनाया जाएगा। गौरतलब है कि भारत को योग गुरु कहा जाता है इसलिए आयुष मंत्रालय ने 21 जून को दुनियाभर में आयोजित होने वाले योग दिवस की ये खास थीम चुनी। इस बार मुख्य कार्यक्रम कर्नाटक के मैसूर में आयोजित किया जाएगा। मैसूर में इस खास कार्यक्रम का नेतृत्व पीएम मोदी करेंगे।

2015 : सद्भाव और शांति के लिए योग

संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंजूरी के बाद 21 जून 2015 को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन भव्य तरीके से किया गया था। पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। इस खास आयोजन ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया था। पहला रिकॉर्ड यह बना कि 35,985 लोगों ने एक साथ योग किया। इसके अलावा दूसरा यह कि 84 देशों के लोगों द्वारा इस समारोह में हिस्सा लिया गया था। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम सद्भाव और शांति के लिए योग थी।

2016 : योग से युवाओं को जोड़ें

भारत में दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में करीब 35 हजार लोग शामिल हुए थे जिसका आयोजन चंडीगढ़ में हुआ था। इस आयोजन का नेतृत्व भी पीएम मोदी ने ही किया था। इस कार्यक्रम में 170 देशों ने हिस्सा लिया जिसकी थीम युवाओं को जोड़ें था।

2017: स्वास्थ्य के लिए योग

तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य आयोजन साल 2017 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में किया गया था। इस बार यह आयोजन और व्यापक था। पीएम मोदी के नेतृत्व में 55 हजार लोग इस आयोजन में शामिल हुए थे। तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम स्वास्थ्य के लिए योग थी।

2018: शांति के लिए योग

चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में सऊदी अरब भी शामिल हुआ था। साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य कार्यक्रम उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित किया गया था। पीएम मोदी के साथ इस कार्यक्रम में करीब 50 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था। इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम शांति के लिए योग थी।

2019: योगा फॉर क्लाइमेट एक्शन

साल 2019 में पांचवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पीएम मोदी रांची पहुंचे थे। इस वर्ष की थीम योगा फॉर क्लाइमेट एक्शन थी।

2020 : सेहत के लिए योग, घर पर योग

कोरोना संकट के चलते साल 2020 का अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया गया था। इसकी थीम रखी गई थी योगा फॉर हेल्थ, योगा एट होम।

2021: तंदुरुस्ती के लिए योग

कोरोना के चलते इस बार भी पिछली बार की ही तरह कोई सार्वजनिक योग कार्यक्रम नहीं हुआ। लोगों ने घर पर ही रहकर वर्चुअली योग कार्यक्रम में भाग लिया। इस साल का थीम 'तंदुरुस्ती के लिए योग' शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती के लिए योगाभ्यास पर केंद्रित रहा।

2022: मानवता के लिए योग

आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का थीम 'मानवता के लिए योग' रखा गया है। इस थीम को बहुत विचार-विमर्श के बाद चुना गया है जो यह भलीभांति दर्शाता है कि कैसे कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान योग ने पीड़ा को कम करने में मानवता की सेवा की।