मूसेवाला हत्याकांड खालिस्तानी साजिश!

युगवार्ता    25-Jun-2022
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सिधु मूसेवाला _1 
पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जांच ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रही है, त्यों-त्यों कई सुराग भी सामने आ रहे हैं। मूसेवाला हत्याकांड को पंजाब पुलिस गैंगवार का नतीजा बता रही है। लेकिन इस गैंगवार के पीछे खालिस्तानी साजिश की बू भी आ रही है। बेशक पंजाब पुलिस इसकी पहचान करने में नाकामयाब रही है। शायद इसी कारण मूसेवाला के कई हत्यारे अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
 
सिद्धू की हत्या को जिस गैंगवार का नतीजा बताया जा रहा है, उसके पीछे खालिस्तान आंदोलन को जिंदा करने की साजिश की आशंका भी जताई जा रही है। प्रदेश में आम आदमी पार्टी की नई सरकार बनने के बाद से पंजाब में खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियां बढ़ी हैं। हाल के दिनों में घटित कई घटनाओं से इस आशंका को बल मिलता है। पंजाब पुलिस मामले को जल्द सुलझाने का दावा तो कर रही है लेकिन अभी तक वह हवा में ही तीर चला रही है।
 
पंजाब के मानसा जिले का मूसा गांव। इसी गांव के एक मध्यवर्गीय परिवार में शुभदीप सिंह सिद्धू का जन्म हुआ था। बाद में यही शुभदीप, सिद्धू मूसेवाला के नाम से चर्चित हुआ। वह छोटे उम्र में ही अपनी गायकी से देश-दुनिया को अपना दीवाना बना लिया था। पिछले हफ्ते दिन-दहाड़े बीच सड़क पर गोलियों से भून कर उनकी हत्या कर दी गई।
 
उनकी हत्या में अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया। पुलिस के मुताबिक सिद्धू पर एके 47 और एएन 94 से हमला किया गया। एएन 94 सबसे अत्याधुनिक रायफल मानी जाती है। सिद्धू की हत्या में इस्तेमाल इतने अत्याधुनिक हथियारों से ही स्पष्ट होता है कि इसमें बड़े गैंग या संगठन का हाथ है।
 
मूसेवाला की हत्या के कुछ समय बाद तिहाड़ जेल में बंद लारेंस बिश्नोई की ओर से इसकी जिम्मेदारी ली गई। लारेंस बिश्नोई की तरफ से कनाडा में बैठे गोल्डी बराड़ ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर हत्या की जिम्मेदारी ली थी।
 

लॉरेंस बिश्नोई _1
 
मूसेवाला की हत्या का तार कनाडा से जुड़ते ही इसमें खालिस्तानी एंगल स्वत: ही जुड़ जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण तो यही है कि पिछले कुछ समय से कनाडा खालिस्तानी समर्थकों का गढ़ माना जाता है। यहीं से खालिस्तानी समर्थक भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।
 
दरअसल, खालिस्तानी समर्थक संगठन उद्दयोगपतियों, गायकों, खिलाडियों आदि से धन उगाही करता है। इसी पैसे से वह अपना संगठन चलता है। बताया जाता है कि इसके लिए वह अलग-अलग गैंग का इस्तेमाल करता है। साथ ही ये संगठन लोगों को डरा-धमका कर खालिस्तान समर्थक विचारधारा का समर्थन करने को भी कहता है।
 
मूसेवाला हत्याकांड में भी होता दिख रहा है। मूसेवाला की हत्‍या के कुछ घंटे बाद ही खालिस्‍तानी समर्थक आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने एक धमकी भरा पत्र जारी किया। धमकी भरे इस पत्र में एसएफजे मुखिया गुरुपतवंत सिंह पन्‍नू ने पंजाबी गायकों को धमकी दी है। इसने उनसे 'खालिस्‍तानी आंदोलन' का समर्थन करने को कहा है।
 
पत्र में पन्‍नू ने यह भी लिखा है कि ऐसा न करने पर मूसेवाला जैसा अंजाम होगा। एसएफजे भी कनाडा से ही संचालित होता है। मूसेवाला हत्‍याकांड की जिम्‍मेदारी भी कनाडा में बैठे लारेंस बिश्‍नोई गुट के एक गुर्गे ने ली है। पन्‍नू ने मूसेवाला की हत्‍या का उल्‍लेख करते हुए धमकी वाले पत्र में पंजाबी गायकों के लिए लिखा है, 'मौत नजदीक है, इसलिए अब खालिस्‍तान रेफरेडम का समर्थन करने का समय आ गया है।'
 
पंजाब के डीजीपी वीके भावरा ने भी यह बात स्वीकार किया है कि मूसेवाला हत्याकांड का तार कनाडा से जुड़ा हुआ है। डीजीपी वीके भावरा बताते हैं, ‘सिद्धू मूसेवाला की हत्‍या की जिम्‍मेदारी कनाडा में रह रहे गोल्‍डी बरार ने लिया है। वह लारेंस बिश्नोई गैंग का एक गुर्गा है। मूसेवाला की हत्या के बाद लारेंस बिश्नोई गैंग ने इसकी जिम्मेदारी ली है। हम उस एंगल से भी जांच कर रहे हैं।’
 

सिधु मूसेवाला का अंतिम सं 
 
पंजाब में इसी साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली है। विपक्षी पार्टियां आम आदमी पार्टी पर खालिस्तानी समर्थकों के साथ संबंध होने का आरोप लगाते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तो विपक्षी पार्टियों ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक फोटो को चुनावी मुद्दा बनाया था, जिसमें वे एक खालिस्तानी समर्थक के साथ थे।
 
विपक्षी पार्टियों के इस आरोप को तब और बल मिला, जब पंजाब में उनकी सरकार बनते ही खालिस्तानी समर्थकों ने कई घटनाओं को अंजाम दिया है। इसका सबसे ताजा उदाहरण छह जून को उस समय दिखा जब ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर के गेट तक पहुंचकर सैकड़ों खालिस्तानी समर्थकों ने नारेबाजी की और हाथों में नंगी तलवारें लहराया।
 
उस दौरान इन लोगों ने खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी लिए हुए थे। यही नहीं कट्टरपंथी संगठनों ने इस दिन अमृतसर बंद का आह्वान किया था। दल खालसा नाम के कट्टरपंथी संगठन ने हर जगह आॅपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में पोस्टर चिपकाये थे। इसको ध्यान में रखते हुए अमृतसर में 7000 से अधिक जवानों की तैनाती की गई थी। इसके बावजूद खालिस्तानी समर्थक स्वर्ण मंदिर तक पहुंच गए।
 
इस साल फरवरी में यह खबर आई थी कि प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) जैसे खालिस्तान समर्थक समूह पंजाब में भावनाओं को भड़काने और आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी साल 30 अप्रैल को पटियाला में खालिस्तानी समर्थकों और शिवसेना के बीच झड़प हुई थी। इस झड़प में 3 लोग घायल हुए थे।
 
खालिस्तानी आतंकी और एसएफजे नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने खालिस्तान स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की थी। जिसका वहां के शिव सैनिकों ने विरोध किया। इस कारण दोनों के झड़प हुई थी। इस घटना के पांच दिन बाद यानी 5 मई को हरियाणा पुलिस ने करनाल से 4 लोगों को भारी मात्रा में हथियारों और विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया था। ये लोग पंजाब से हथियारों को हरियाणा पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।
 
इसी दौरान सभी लोग पुलिस इ गिरफ्त में आ गये थे। तब पुलिस ने कहा था कि इन चारों के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से लिंक थे। इसके तीन बाद 8 मई को पंजाब पुलिस ने आईईडी का एक बड़ा खेफ पकड़ा। तरन तारन जिले के नौशेरा पन्नू गांव से पंजाब पुलिस को आईईडी और 1.5 किलो आरडीएक्स के साथ दो लोगों को पकड़ा। पुलिस के मुताबिक इनकी योजना पंजाब में धमाका करने की थी।
 
                                            खालिस्तानी समर्थकों की बढ़ती गतिविधियां
- 30 अप्रैल 2022: पटियाला में खालिस्तानी समर्थकों और शिवसेना के बीच झड़प। तीन लोग हुए घायल।
- 5 मई 2022: हरियाणा पुलिस ने करनाल से 4 लोगों को भारी मात्रा में हथियारों और विस्फोटकों के साथ किया गिरफ्तार।
- 8 मई 2022: पंजाब पुलिस ने तरन तारन जिले के नौशेरा पन्नू गांव से आईईडी और 1.5 किलो आरडीएक्स के साथ दो लोगों को किया गिरफ्तार।
- 8 मई 2022: धर्मशाला स्थित हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य दरवाजे और चारदीवारी पर खालिस्तानी झंडे और पोस्टर लगा दिया।
- 9 मई 2022: पंजाब पुलिस इंटेलिजेंस ब्यूरो के मोहाली ऑफिस में रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से हमला हुआ।
- 29 मई 2022: पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की मानसा जिले के जवाहरके में हत्या।
- 6 जून 2022: ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर खालिस्तानी समर्थकों ने अमृतसर बंद का आह्वान किया। भरी सुरक्षा के बाद भी कई समर्थक तलवारों के साथ स्वर्ण मन्दिर तक पहुंचे।
 
इसी दिन हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला स्थित विधानसभा के मुख्य दरवाजे और चारदीवारी पर खालिस्तानी झंडे और पोस्टर लगाए गए। इस घटना के पीछे भी खालिस्तानी समर्गुथक गुट सिख फॉर जस्टिस का हाथ सामने आया था। हिमाचल पुलिस ने एसएफजे नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया और राज्य की सीमाओं को सील कर दिया।
 
खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का हवाला देते हुए राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी। इसके एक दिन बाद 9 मई को मोहाली में पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस ब्यूरो के ऑफिस में रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से हमला हुआ। हालांकि इस हमले में किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचा। केवल ब्यूरो ऑफिस के कांच के दरवाजे और खिड़की के शीशे टूटे।
 
लेकिन इस हमले ने इतना तो जरुर साबित कर दिया कि खालिस्तानी समर्थक जब चाहें, अतिसुरक्षित स्थान को भी निशाना बना सकते हैं। ये सभी घटनाक्रम पंजाब और उससे लगे राज्यों में खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता को ही दर्शाता है। यह भारत की सुरक्षा के लिए एक चिंता का विषय है।
 
 
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