फिजी के लिए भारत नेशन और इमोशन दोनों है: बिमान प्रसाद

अमिताभ भूषण     05-Mar-2023
Total Views |


उप प्रधानमंत्री सह वित्‍त मंत्री प्रोफेसर बिमान प्रसाद 

प्रशांत महासागर के द्वीप देश फिजी के उप प्रधानमंत्री सह वित्त मंत्री प्रोफेसर बिमान प्रसाद पिछले दिनों भारत की यात्रा पर थे। पांच दिनों की इस आधिकारिक यात्रा की समाप्ति पर युगवार्ता के लिए अमिताभ भूषण ने भारत-फिजी संबंध पर उनसे विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत है संपादित अंश:

भारत और फिजी संबंध को आप मौजूदा वक्त मे किस रूप मे देखते हैं?

भारत के साथ फिजी का संबंध 143 साल पुराना है। भारत से हमारा रिश्ता जितना पुराना है उतना ही गहरा भी है। भारत देश फिजी और फिजीजनों के लिए नेशन और इमोशन दोनों है। भारत से फिजी का रिश्ता भावना, भावुकता, भाषा के साथ साथ संस्कार, संस्कृति, परंपरा से एकात्म करनेवाले पुरखों का है । फिजी की मौजूदा सरकार के नजरिये से कहूं तो भारत फिजी के लिए भरोसेमंद और मददगार मित्र देश है। वैसा मित्र देश जिसके मूल्यबोध की सार्वभौमिकता को दुनिया के तमाम देश स्वीकार करते हैं। विश्वास दिलाता हूं कि प्रधानमंत्री सिरविनी राबुका की सरकार के दौर मे फिजी और भारत का संबंध पहले से बहुत अधिक प्रभावी और परिणाम आधारित होगा।

फिजी की प्रगति और पहचान में भारतवंशी गिरमिटियों को कहां पाते हैं आप?

फिजी की पहचान और प्रगति की हर तस्वीर मे गिरमिटियों की गाथा शामिल है। फिजी के इतिहास, विरासत और सियासत में गिरमिटियों का योगदान अतुल्य और अमिट है । 1879 से 1916 के बीच जिन्हें धोखे और प्रलोभन से शर्तबंद मजदूर बनाकर भारत से फिजी लाया गया था उन मेहनतकश पुरखों के साहस, संघर्ष, समर्पण और परिश्रम को फिजी जन भला कैसे भूल सकते हैं। जिन्हे जबरिया कुली की पहचान दी गयी थी, जिनके आवासीय पते का नाम कुलीलाईन्स था, उन्हीं गिरमिटियों और उनकी पीढ़ियों ने फिजी को कुलीन बनाने मे आदिवासियों के साथ मिलकर अपनी प्रभावी भूमिका निभाई थी। कुली लाईन्स मे रहकर फिजी के लिए सिविल लाईन्स का सपना देखना और उसे समय के साथ सच करने वाले भारतवंशी फिजियन के योगदान को फिजी का हर नागरिक स्वीकार करता है।

आप खुद के इंडोफिजीयन पहचान पर क्या कहना चाहेंगे?

मेरी पहचान इंडोफिजीयन की है और मुझे अपनी इस पहचान पर गर्व है । मैं फिजी का उप प्रधानमंत्री हूं। मेरे देश की उन्नति मेरी प्राथमिकता मेरा धर्म है और इसकी सीख मुझे उन पुरखों के परवरिश और संस्कार से मिली है जिनकी जड़ें भारत से जुड़ी थी। मैं ये बात पूरे आत्मविश्वास से कह रहा हूं की भारत के हितों की अनदेखी मैं सपने में भी नहीं सोच सकता। रही बात इंडोफिजीयन पहचान कि तो ये केवल पहचान की नहीं है इसमे मेरे पूर्वजों की थाती शामिल है। मेरी दादी गोंडा की थी। शुरू में मुझे बताया गया था भारत मे गोंडा नाम से दो स्थान हैं। एक उत्तर प्रदेश में है वहीं दूसरा गोंडा नाम का स्थान आंध्र प्रदेश में है। मेरे लिए मेरी दादी के जन्मस्थान वाले गोंडा का चयन थोड़ा मुश्किल था। एक दिन मुझे मेरे एक मित्र ने कहा कि आपके घर सर यानि मस्तक के लिए कौन सा शब्द बोलते हैं? मेरे घर में माथा, मुंडी और मूड़ी शब्द का चलन था। मित्र ने कहा फिर तो साफ है आपकी दादी यूपी वाले गोंडा की ही थी। मेरे परदादा का संबंध देहारादून से था। परदादा और दादी की जन्मभूमि पर प्रोफेसर बिमान का अधिकार किसी भी भारतीय से कहीं भी कम नहीं है। फिजियन के लिए भारत पितरों की भावभूमि है।

फिजी में हो रहे 12 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन को किस रूप मे देखते हैं?

विश्व हिन्दी सम्मेलन को लेकर फिजी उत्साहित है, गौरवान्वित है। फिजी मे हिन्दी का चलन और हिन्दी प्रेम का अतीत बहुत सुंदर रहा है। हिन्दी एक वैश्विक भाषा है। इसका चलन और ज्ञान फिजी के उन्नयन में सहायक होगी ये मेरा विश्वास, मेरी धारणा है।

आपकी सरकार ने हाल ही में चीन के साथ फिजी के पुराने सुरक्षा समझौते को रद्द किया है। इसकी वजह क्या थी?

चीन के साथ साल 2011 में फिजी की तत्कालीन सरकार ने फिजी पुलिस फोर्स का एक सुरक्षा करार कराया था। इस समझौते के तहत फिजी के पुलिस अधिकारी प्रशिक्षण के लिए जब चीन में होते थे चीन के अधिकारी तीन से छह माह के लिए एटेचमेंट प्रोग्राम के तहत फिजी में पदस्थापित किए जाते थे। साल 2021 मे एक चीनी अधिकारी को फिजी पुलिस का लायजन आॅफिसर नियुक्त कर दिया गया। ये मामला देश की संप्रभुता के लिए गंभीर था। हमारी सरकार का साफ मानना है कि जिस देश के मूल्यबोध फिजी के मूल्यबोध से मिलते हो हम उनके साथ साझेदारी के लिए उत्सुक हैं। मानवीय अधिकार, कानून का शासन और सुशासन फिजी के मूल्यबोध हैं। हमारी सरकार इससे बाहर का कोई फैसला नहीं करेगी।

महासागर के प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता पर आपका नजरिया?

चीन शक्ति संपन्न देश है लेकिन प्रशांत क्षेत्र में फिजी समेत दर्जन भर से ज्यादा स्वतंत्र और लोकतान्त्रिक देशों का अस्तित्व है। इस क्षेत्र की प्रगति, उन्नति, शांति व सुरक्षा के सवाल पर भारत, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और जापान जैसे शक्ति सम्पन्न देश की भी पैनी निगाह और उनकी स्वतंत्र रणनीति सक्रिय है।

आप क्वाड को कैसे देखते हैं?

हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और प्रगति के लिए क्वाड की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और जापान के इस चार सदस्यीय समूह से प्रशांत के देशों को बहुत उम्मीद है। चारों देश लोकतांत्रिक पृष्टभूमि के हैं। निर्बाध समुद्री व्यापार और सुरक्षा के साझा हितों का समर्थन करने वाले इस समूह की भूमिका आनेवाले वक़्त में और भी प्रभावी व व्यापक होगी। ऐसी मेरी मान्यता है।

फिजी की नई सरकार में शामिल होने के बाद आपकी इस पहली आधिकारिक भारत यात्रा का हासिल क्या रहा?

पांच दिनों की अपनी इस यात्रा को मैं शत प्रतिशत सफल मानता हूं। इस यात्रा के पहले पड़ाव मे मै बैंगलुरु में भारत के पहले ऊर्जा सप्ताह का हिस्सा रहा। डी कार्बनाईजेशन जैसे महत्वपूर्ण मसले पर मैंने अपने देश और प्रशांत क्षेत्र की चिंता से दुनिया के तमाम देश के प्रतिनिधियों को अवगत कराया। अक्षय और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मैंने अपने देश के लिए भारत की सरकार से प्रौद्योगिकी के हस्तानांतरण की मांग की जिसका भारत की सरकार ने न केवल स्वागत किया बल्कि सहर्ष तकनीक को साझा करने पर सहमति जताई है। इसके अलावा सस्ते लागत के ऊर्जा सम्पन्न आवास निर्माण की तकनीक को भी भारत की सरकार ने फिजी के साथ साझा करने की सहमति दी है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ-साथ आवासन और शहरी मामलो के अलावा पेट्रोलियम और प्रकृतिक गैस के मंत्री हरदीप सिंह पूरी के साथ कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर हमारी सार्थक,सफल सहमति बनी है। भारत के साथ सभी प्रकार के संबंधों को मजबूत करने की दिशा में फिजी ने अपनी पहल की है। जल्द ही आपको मेरी यात्रा के कई सुखकारक परिणाम नजर आएंगे।

व्यापार के लिहाज से फिजी में भारत के लिए आप कितनी और कैसी संभावना देखते हैं?

फिजी, भारतीय उद्योगपतियों के लिए एक आईडियल हब है। इस बात को सबसे पहले प्रधानमंत्री के तौर नरेंद्र मोदी जी ने समझा और स्वीकार किया है । बात 2014 के नवंबर महीने की है जब प्रधानमंत्री मोदी फिजी की आधिकारिक यात्रा पर थे। उसी दौरान उन्होंने हिन्द-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) की शुरुआत की थी। हिन्द प्रशांत क्षेत्र की खुशहाली के लिए बनाए गए इस फोरम में प्रशांत के सभी 14 द्वीप देश शामिल हैं। एफआईपीआईसी की तीसरी बैठक इसी साल पापुआ न्यू गिनी में निर्धारित है। एफआईपीआईसी की स्थापना और फिजी मे प्रथम कॉन्फ्रेंस पीएम मोदी की दूरदर्शी नीति का परिचायक है। प्रशांत के छोटे और स्वतंत्र 14 देशो के बीच फिजी को खुद पीएम मोदी ने हब के रूप में स्वीकार किया है। फिजी और प्रशांत के द्विपीय देशों के जनमन में पीएम मोदी ने अपने नीतियों के जरिये एक भरोसे का रिश्ता बनाया है। बात चाहे फिजी में आपदा बनकर आए समुद्री तूफान की हो या कोविड की हो। पीएम मोदी की सरकार ने हमेशा प्रशांत देशों को संभालने में अपनी भूमिका निभाई है। प्रशांत के द्वीप देशों में भारत भरोसे का नाम है। यहां प्रकृति केन्द्रित व्यापार उद्योग की असीम संभावना है। मैं खुले मन से यहां की सरकार और निजी उद्योगपतियों को फिजी में निवेश के लिए आमंत्रित कर रहा हूं।

Tags