चमत्कारी है सिरिधान्‍य

युगवार्ता    05-Apr-2023   
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सिरिधान्‍य औषधीय गुणों से युक्‍त खाद्यान्‍न है। मिलेट मैन डॉ. खादर वली ने अपने शोध और निष्‍कर्षों से इसके बारे में विस्‍तार से बताया है। आइए जानते हैं- सिरिधान्‍य में मिलने वाले पोषक तत्‍वों और उससे ठीक होने वाले रोगों के बारे में।


सिरिधान्‍य मिलेट

मिलेट मैन डॉ. खादर वली ने अपने शोध और निष्कर्षों के आधार पर पांच मिलेट को सकारात्मक धान्‍य कहा है। सकारात्‍मक धान्‍य के अंतर्गत उन्‍होंने जिन पांच मिलेट को रखा है, वे हैं- कांगणी (फॉक्सटेल मिलेट), सांवा (बार्नयार्ड मिलेट), कोदो (कोदो मिलेट), कुटकी (लिटिल मिलेट) और मुरात (ब्राउनटॉप मिलेट)। अप्रत्यक्ष रूप से ये पांचों मिलेट हमारे शरीर के स्वास्थ्य में श्री वृद्धि करते हैं। इसलिए इन पांचों मिलेट को डॉ. खादर वली ने सिरिधान्‍यनाम दिया है। यह औषधीय गुणों से युक्त खाद्य पदार्थ है। कहा भी जाता है कि फूड इज मेडिसीनअर्थात भोजन ही दवा है। इसलिए डॉ. खादर वली का मानना है कि यदि आपका भोजन सही है तो आपको दवा की आवश्‍यकता नहीं है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो सिरिधान्‍य सुपर फूड है। क्‍योंकि इनमें भरपूर पोषक तत्‍व हैं जो चावल और गेहूं जैसे अनाज में नहीं मिलते। गौरतलब है कि सिरिधान्‍य के अंतर्गत आने वाले पांचों धान्‍य हमारे परंपरागत अनाज हैं। इसे हम पहले उगाते थे, अब हम इसे उगाना बंद कर दिया है। तथाकथित आधुनिक होने की होड़ में हमने अपने पारंपरिक अनाज को भुला दिया है। जबकि यह प्रकृति का अनुपम उपहार है जो हमें प्राकृतिक रूप से हमें मिला है। सिरिधान्‍य का हर मिलेट अलग-अलग प्रकार के रोगों को प्राकृतिक ढंग से ठीक करने की शक्ति रखता है। अगर हम सिरिधान्‍य का सेवन करते हैं तो न केवल हमारे शरीर स्वस्थ रहते हैं, बल्कि ये अनाज हमारे शरीर के रोगों और विकारों को ठीक करने में भी हमारी मदद करते हैं। इसके बारे में डॉ. खादर वली ने अपने शोध और निष्‍कर्षों के बारे में विस्‍तार से बताया है। आइए संक्षेप में जानते हैं- सिरिधान्‍य में मिलनेवाले पोषक तत्‍वों और उससे ठीक होने वाले रोगों के बारे में।

कांगणी मिलेट: यह एक संतुलित भोजन है। इसमें 8 प्रतिशत फाइबर और 12 प्रतिशत प्रोटीन होता है। अगर स्‍वाद की बात करें तो यह सिरिधान्‍य स्‍वाद में मीठा और कड़वा होता है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक अच्छा भोजन है। एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर अनाज होने की वजह से यह हमारे शरीर में मौजूद कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा को कम करने में समर्थ है। इसमें बहुत अधिक मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, कैल्सियम, लोहा, मैंगनीज, मैग्नीशियम, फॉस्‍फोरस और विटामिन होते हैं। इसलिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए इसका सेवन करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में उत्‍पन्‍न होने वाले कब्ज से छुटकारा दिलाने में यह बहुत ही कारगर अनाज है। जब बच्चे तेज बुखार से पीडित होते हैं, तो कभी-कभी उन्हें दौरे पड़ते हैं, जो कभी-कभी स्थायी भी होते हैं। लेकिन कांगणी मिलेट तेज बुखार के बाद होने वाले दौरे और तंत्रिकाओं की कमजोरी को दूर भगाने में समर्थ है। यह उन लोगों के लिए दवा की तरह काम करता है जिन्‍हें दस्‍त और भूख न लगने पर पेट दर्द की शिकायत रहती है और पेशाब करते समय जलन महसूस करते हैं। यह एनीमिया की एक अच्छी दवा है। इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होने की वजह से यह कब्ज से मुक्ति दिलाता है। गांवों में बड़े-बूढ़े अपने अनुभव से बताते हैं कि यदि आप कंगनी की दलिया खाकर आराम कर लें तो बुखार से छुटकारा मिल जाता है। जो लड़कियां हृदय रोग, एनीमिया, मोटापा, गठिया, रक्तस्राव और जलन से पीड़ित होती हैं, उनके लिए कांगणी का सेवन बेहतर होता है। इसका सेवन करने से फेफड़ा के ऊतकों की विशेष रूप से सफाई हो जाती है। इसलिए फेफड़ों के कैंसर रोगियों के लिए कांगणी मिलेट आधार भोजन है। यह सभी प्रकार के त्वचा रोगों, मुंह के कैंसर, पेट के कैंसर, पार्किंसंस रोग और अस्थमा आदि रोगों से छुटकारा दिलाने में भी (कोदो के साथ) उपयोगी है।

सांवा मिलेट: इस सिरिधान्‍य में 10 प्रतिशत फाइबर और 6.2 प्रतिशत प्रोटीन होता है। यह सिरिधान्‍य स्वाद में मीठे और आसानी से पचने योग्य होता है। वैसे लोगों के लिए यह बहुत अच्छा भोजन है जो बहुत अधिक शारीरिक श्रम के बिना लंबे समय तक काम करते हैं। इस सिरिधान्‍य में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर होता है इसलिए यह मधुमेह और कब्ज से छुटकारा दिलाता है। यह थायराइड और अग्‍न्‍याशय के रोगियों लिए फायदेमंद होता है। यकृत, गुर्दे, पित्ताशय की थैली की सफाई और अंत:स्रावी ग्रंथियों के लिए बेहतर होता है। यह सिरिधान्‍य यकृत को मजबूत करने और पीलिया को कम करने में मदद करते हैं। यह महिलाओं के अंडाशय, गर्भाशय के कैंसर को कम करने में भी सहायक हैं। इस सिरिधान्य से तैयार भोजन ताकत देता है। इसलिए, उत्तर भारत में इस सिरिधान्‍य का उपयोग धार्मिक उपवास के दौरान भी किया जाता है। इतना ही नहीं, उत्तराखंड और नेपाल में गर्भवती और नवप्रसूता महिलाओं को सांवा से बना भोजन दिया जाता है क्योंकि यह आयरन से भरपूर होता है। नवप्रसूता महिलाओं में एनीमिया की समस्या और स्‍तन में दूध की समस्‍या को दूर करने में सहायक होता है। यह सिरिधान्‍य हमारे शरीर के तापमान को स्थिर बनाए रखता है। साथ ही यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार करता है। इस सिरिधान्य के सेवन से छोटी आंत में अल्सर-गठन और बड़ी आंत के यकृत और प्लीहा के कैंसर से रक्षा करता है।


मिलेट मैन डॉ. खादर वली 

“यदि आपका भोजन सही है तो आपको दवा की आवश्‍यकता नहीं है।’’ - डॉ. खादर वली 

कोदो मिलेट: इस सिरिधान्‍य में 9 प्रतिशत फाइबर और 6.2 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। कोदो स्वाद में मीठा, कड़वा और तीखा होता है। पाचन के लिहाज से यह अच्छा भोजन है। फाइबर की मात्रा अधिक होने की वजह से यह वजन घटाने में सहायक है। यह रक्त को शुद्ध करने, रोग प्रतिरोधक शक्ति में सुधार लाने, मधुमेह, कब्ज दूर करने और अच्छी नींद लाने में मदद करता है। साथ ही, अस्थि मज्जा के कुशल कामकाज, अस्थमा, गुर्दे की समस्या, प्रोस्‍टेट, रक्त कैंसर, आंत, थायराइड, गले, अग्न्‍याशय या यकृत के कैंसर से संबंधित समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इस सिरिधान्‍य में उच्च पौष्टिक तत्‍व पाए जाते हैं। इसलिए यह बच्चों के लिए एक बेहतर भोजन है। इसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। कोदो एक उच्च एंटीआॅक्‍सीडेंट मिलेट है। इसलिए यह हमारे खून में शर्करा और कोलेस्‍ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखता है। दौड़ में भाग लेने वालों एथलिटों के लिए ऊर्जा का एक सशक्‍त माध्‍यम है। इस सिरिधान्‍य को हम अन्य दाल जैसे बंगाल चना या लोबिया के साथ लेते हैं तो हमें पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं। लंबे समय तक बीमारियों से राहत पाने और जोड़ों के सूजन को कम करने के लिए यह एक अच्छा भोजन है। कोदो के आंटे का उपयोग सूजन कम करने लिए सूजन पर लेप करने के लिए किया जाता है। महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, मधुमेह के रोगियों और जिन लोगों की आंख की नसें कमजोर हैं, उनके लिए कोदो मिलेट बेहतर भोजन हो सकता है। यह उन मधुमेह रोगियों के लिए भी फायदेमंद है जो चोटिल होने के बाद पैरों में गैंग्रीन विकसित करते हैं। डेंगू, टाइफाइड या वायरल बुखार के मरीजों के लिए यह सिरिधान्‍य बेहतरीन औषधि है।

कुटकी मिलेट: इस सिरिधान्‍य में 9.8 प्रतिशत फाइबर और 7.7 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। कुटकी मिलेट स्‍वाद में मीठे होते हैं। भोजन करने के बाद अगर किसी को सीने में जलन होती है या खट्टी डकारें आती हैं या गैष्ट्रिक समस्या आदि के कारण पेट में जकड़न महसूस होती है, उनके लिए यह रामबाण औषधि के रूप में कार्य करता है। जो लोग कब्‍ज से पीड़ित हैं उनके लिए कुटकी मिलेट एक अच्‍छा भोजन है। यह सिरिधान्‍य पुरुषों और महिलाओं, दोनों में प्रजनन प्रणाली के रोगों को ठीक करने में मदद करते हैं। पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्‍या में सुधार, महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, अंडाशय और बांझपन की समस्याओं पर काबू पाने में मदद करता है। यह पीसीओडी, यौन संचारित रोगों, दस्त और अपच के ग्रस्‍त लोगों के लिए अच्छा भोजन है। यह हमें माइग्रेन से भी निजात दिलाता है। जो व्‍यक्ति हृदय रोग, मोटापा और जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं, उनके लिए यह औषधि है। यह सिरिधान्‍य लिम्‍फ नोडल प्रणाली को साफ करने और मस्तिष्‍क, गले, रक्त, थायराइड और अग्‍न्‍याशय के कैंसर के नियंत्रण में भी मदद करते हैं।

मुरात मिलेट: इस सिरिधान्‍य में सबसे ज्‍यादा 12.5 प्रतिशत फाइबर और 11.5 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। यह स्‍वाद में मीठा होता है। इसमें सबसे अधिक फाइबर होता है इसलिए हमारे पेट और पाचन तंत्र के लिए यह रामबाण औषधि है। इस सिरिधान्‍य का नियमित भोजन करने वाले को कब्‍ज और मोटापे की समस्‍या उत्‍पन्‍न नहीं होती है। गठिया, रक्‍तचाप, थायराइड और आंखों की समस्या के समाधान के लिए यह फायदेमंद है। जो व्‍यक्ति फिशर, अल्सर, पाइल्स और फिस्‍टुला जैसे रोगों से ग्रस्‍त हैं उनसे यह छुटकारा दिलाता है। वहीं मस्तिष्‍क, रक्त, स्तन, हड्डियों, आंत और त्वचा के कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए भी बेहद उपयोगी है।

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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।