श्री अन्‍न अपनाएं स्‍वस्‍थ रहें

युगवार्ता    01-May-2023   
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श्री अन्‍न  

पुराने समय में लोग 'श्री अन्‍न' (मोटे अनाज) का ही सेवन करते थे। इसलिए लोग स्‍वस्‍थ रहते थे और बीमारियों की चपेट में बहुत कम आते थे। और ज्‍यादा दिनों तक जीवित रहते थे। लेकिन धीरे-धीरे हमारे थाली से श्री अन्‍न गायब हो गया है। अब समय आ गया है कि पुन: श्री अन्‍न को हम अपनी थाली में जगह दें।

'मोटा अनाज' को आमतौर पर लोग 'मिलेट' कह रहे हैं। वैसे 'मिलेट' अंग्रेजी का शब्‍द है। इसका इस्‍तेमाल आमतौर पर बाजरा समूह के अनाजों के लिए होता है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी भी अपने 'मन की बात' में 'मोटे अनाज' की चर्चा कर चुके हैं। इसके फायदे के बारे में भी लोगों को बता चुके हैं। मिलेट मैन डॉ. खादर वली इन अनाजों को दो वर्गों में विभाजित करते हैं। पहले वर्ग में डॉ. खादर वली औषधीय गुणों वाले अनाजों (कांगणी, सांवा, कोदो, कुटकी और मुरात) को रखते हैं और उसे 'सिरिधान्‍य' कहते हैं। दूसरे वर्ग में वे वैसे अनाजों (ज्‍वार, बाजरा, रागी, चेना और मक्‍का) को रखते हैं जो रोगों को दूर करने की क्षमता नहीं रखते, उसे वे 'तटस्‍थ अनाज' कहते हैं। व‍हीं वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-2024 का पूर्ण बजट प्रस्‍तुत करते हुए मोटे अनाजों के लिए 'श्री अन्‍न' का प्रयोग किया है। साथ ही लोगों से श्री अन्‍न के प्रयोग पर बल दिया। अपने बजट भाषण के दौरान श्री अन्‍न योजना के बारे बताया कि ''भारत श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। श्री अन्न के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम शोध को साझा करने के लिए भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।'' गौरतलब है कि भारत सरकार के प्रस्‍ताव पर ही संयुक्‍त राष्‍ट्र ने साल 2023 को अंतरराष्‍ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में घोषित किया है। इसलिए सरकार विशेष रूप से श्री अन्‍न योजना के अंतर्गत इसके उत्‍पादन और उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। इसी सिलसिले में कृषि मंत्रालय पूरे देश में जगह-जगह मिलेट फूड फेस्टिवल आयोजित कर रहा है। आगामी जी- 20 के बैठकों में भी मेहमानों को श्री अन्‍न के व्‍यंजनों को ही परोसा जाएगा।

किसानों के मित्र - श्री अन्‍न के अंतर्गत मुख्‍य रूप से कांगणी, सांवा, कोदो, कुटकी, मुरात, ज्‍वार, बाजरा, रागी और चेना आदि अनाज आते हैं। पोषक तत्‍वों से भरपूर श्री अन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। श्री अन्‍न को "देवान्‍न" भी कहते हैं। इसे हम प्रकृति और भगवान का अनुपम उपहार भी कह सकते हैं। क्‍योंकि इन अनाजों के सेवन से हमारे स्‍वास्‍थ्‍य में वृद्ध‍ि होती है। लेकिन यह विडंबना ही है कि इतने पोषक अनाज को छोड़कर हम चावल और गेहूं का सेवन करने लगे हैं। जबकि चावल और गेहूं हमारे शरीर के लिए हानिकारक अनाज हैं। आज जिस तरह के बीमारियों से हम ग्रस्‍त हैं उसके मूल में चावल और गेहूं जैसे हानिकारक अनाज ही हैं। गौरतलब है कि चावल और गेहूं जैसे अनाज ज्‍यादा उर्वर भूमि, ज्‍यादा पानी और ज्‍यादा खाद के जरिये ही अच्‍छी उपज देते हैं। वहीं श्री अन्‍न की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये कम उर्वर भूमि और शुष्‍क भूमि में भी अच्‍छी उपज देते हैं। इसके लिए अलग से सिंचाई की व्‍यवस्‍था करने की आवश्‍यकता नहीं होती। इसके सिंचाई के लिए वर्षा का पानी ही पर्याप्‍त होता है। इसके लिए खाद और कीटनाशक दवाई की भी जरूरत नहीं है। इसलिए इसे जंगली कृषि भी कहते हैं। दूसरे शब्‍दों में कहें तो श्री अन्‍न किसानों के मित्र हैं जो बहुत ही सहजता से कम परिश्रम और कम लागत में अच्‍छी उपज देते हैं। ये अनाज हमारे देश की मिटटी और पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर हैं। इसकी बेहतर पैदावार से हम मिलेट उत्‍पादन के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बन सकते हैं। वर्तमान में श्री अन्‍न (मिलेट) के अनाजों की मांग बढ़ी है। श्री अन्‍न (मिलेट) के निर्यात बढ़ने से किसानों की आय बढ़ने के साथ-साथ देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर भी सकारात्‍मक असर पड़ेगा।

“श्री अन्‍न (मिलेट) पोषक तत्‍वों का खजाना है। पहले इसे मोटा अनाज या गरीबों का अनाज कहा जाता था। लेकिन उच्‍च पोषण मूल्‍य के कारण ही केंद्र सरकार इन अनाजों को न्‍यूट्री अनाज की सूची में डाला है।”
 

सौ रोगों की एक दवा - श्री अन्‍न सौ रोगों की एक दवा है। आपको कोई गंभीर रोग है तो इसके सेवन से आप स्‍वस्‍थ हो जाएंगे। इतना ही नहीं इसका सेवन करने से कई बीमारियां आपके पास नहीं आएंगे। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, अनियमित खान-पान और बिगड़ते हुए दैनंदिन जीवन की वजह से हम कई बीमारियों के चपेट में आ गए हैं। श्री अन्‍न ग्‍लूटेन फ्री और कम ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स होने के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन आदि पोषक तत्‍वों से भरपूर होते हैं। इसकी वजह से यह मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, रक्‍त चाप, मोटापा, पीसीओडी, यौन संचरित रोगों, रक्‍त की कमी आदि कई बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखते हैं। पाचन तंत्र की समस्‍या और कब्‍ज की समस्‍या के लिए यह एक रामबाण औषधि है। यह एंटी-ऑक्‍सीडेंट भी होता है इसलिए हमारे शरीर में शर्करा और कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को नियंत्रित रखता है। गौरतलब है कि पुराने समय में लोग इन्‍हीं अनाजों का सेवन करते थे इसलिए बीमारियों की चपेट में कम आते थे। श्री अन्‍न हमारे शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। यह सिर्फ हमें गंभीर बीमारियों से ही नहीं बचाते बल्कि किसी भी बीमारी के संक्रमण से भी दूर रखते हैं। इसलिए श्री अन्‍न (मिलेट) भोजन होते हुए हमारे शरीर के लिए दवा का काम करता है।

पोषक तत्‍वों का खजाना- श्री अन्‍न को अनाजों में सर्वश्रेष्‍ठ अनाज माना जाता है। यह अपने आप में पूर्ण भोजन है। लेकिन बाजारवाद और आधुनिक होने के चक्‍कर में लोग चावल और गेहूं को अपनाते चले गए। और अपने सर्वश्रेष्‍ठ और पोषक श्री अन्‍न को भूलते चले गए। कोरोना काल में भी इससे मिलने वाली ताकतों पर खूब चर्चा हुई। श्री अन्‍न में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्सियम, आयरन, खनिज, फॉस्‍फोरस और विटामिन जैसे पोषक तत्‍व भरपूर मात्रा में होते हैं। दूसरे शब्‍दों में कहें तो श्री अन्‍न पोषक तत्‍वों का खजाना है। पहले इसे मोटा अनाज या गरीबों का अनाज कहा जाता था। लेकिन उच्‍च पोषण मूल्‍य के कारण ही केंद्र सरकार इन अनाजों को न्‍यूट्री अनाजों की सूची में डाला है। आज कई देशों में खाद्य सुरक्षा और कुपोषण एक समस्‍या के रूप में उभर रहा है। ऐसे में श्री अन्‍न (मिलेट) खाद्य सुरक्षा और कुपोषण का एक मात्र विकल्‍प के रूप में दिखाई पड़ रहा है। यह एक संपूर्ण भोजन है इसलिए श्री अन्‍न को मुख्‍य दैनिक भोजन में शामिल करने से कुपोषण की समस्‍या से निजात पाया जा सकता है। भारत जैसे बड़े देश के लिए ये अनाज किसी ईश्‍वरीय वरदान से कम नहीं है।


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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।