मुख्तार और अफजाल को सजा

युगवार्ता    22-May-2023   
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गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर के मामले में बसपा सांसद अफजाल अंसारी को चार साल और माफिया मुख्तार अंसारी को 10 वर्ष की सजा सुनाई है। इसके साथ ही मुख्तार पर पांच और अफजाल पर एक लाख का अर्थदंड भी लगाया है। सजायाफ्ता होने के बाद अफजाल की संसद सदस्यता खत्म हो चुकी है।
 
Mukhtar Ansari Afzal Ansari,
 
पूर्वांचल का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और उसके भाई बसपा सांसद अफजाल अंसारी को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुना दी है। ये सजा बहुचर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड और कारोबारी नंदकिशोर रूंगटा के अपहरण कांड के चलते दर्ज किए गए गैंगस्टर एक्ट के मामलों में सुनाई गई है। उल्लेखनीय है कि जनवरी 1997 में कोयला व्यापारी और विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रूंगटा का उनके घर से अपहरण कर उनके परिवार से 5 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की गई थी। परिवार ने 1.5 करोड़ दे भी दिए थे लेकिन बाद में रूंगटा की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी पर गैंगस्टर एक्ट में केस दर्ज किया गया था।
इसी तरह बेहद चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड को 29 नवंबर 2005 के दिन अंजाम दिया गया था। इसमें मोहम्मदाबाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय सहित कुल 7 लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। हत्या की वजह थी चुनावी रंजिश। क्योंकि मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी के प्रभाव वाली मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 2002 में अफजाल अंसारी को हराकर कृष्णानंद राय ने जीत हासिल की थी।
भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या उस समय की गई थी, जब वह भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में आयोजित एक स्थानीय क्रिकेट प्रतियोगिता में बतौर मुख्य अतिथि बुलाए गए थे और मैच का उद्घाटन कर वापस लौट रहे थे, तभी बसनिया चट्टी के पास घात लगाए हमलावरों ने कृष्णानंद राय के काफिले पर एके-47 से 500 राउंड फायर झोंक दिए थे। इस हमले में कृष्णानंद राय सहित कुल 7 लोगों की मौत हो गई थी। इत्तेफाक ये था कि हमेशा बुलेट प्रूफ गाड़ी का इस्तेमाल करने वाले कृष्णानंद राय उस दिन सामान्य गाड़ी से बाहर निकले थे। इस हत्याकांड को मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए अंजाम दिया था। बाद में कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। जिसमें अफजाल अंसारी, संजीव माहेश्वरी, एजाजुल हक, रामू मल्लाह, मंसूर अंसारी, राकेश पांडे और मुन्ना बजरंगी शामिल थे। हालांकि मुन्ना बजरंगी की कुछ साल पहले जेल में हत्या कर दी गई थी।
बीजेपी विधायक अलका राय ने बताया कि जब यह वारदात हुई थी, तो उस वक्त सपा की सरकार थी। सपा सरकार में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। वो बताती हैं कि दिन के ढाई तीन बजे हुए इस हत्याकांड के वक्त कृष्णानंद राय के साथ दो तीन गाड़ियों को मिलाकर 10-12 लोग थे जिसमें 7 लोगों की मौत हुई थी। कृष्णानंद राय की हत्या में जब साल 2021 में मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी समेत सभी आरोपी बरी हो गए तो सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी। उसके बाद से यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है। जहां अभी गवाही हो रही है।
कोयला व्यापारी और विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रूंगटा का उनके घर से अपहरण कर उनके परिवार से 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई थी। परिवार ने 1.5 करोड़ दे भी दिए थे फिर भी रूंगटा की हत्या कर दी गई थी।
 उधर, साल 2007 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी पर गैंगस्टर एक्ट में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए थे। जो अब उनकी सजा और जुर्माने का सबब बन गए हैं। अपराध संख्या- 1051/2007 मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज हुआ था। जिसमे बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड और कोयला व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण हत्याकांड को दिखाया गया था। गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने हाल ही में मुख्तार अंसारी को इसी मामले में 10 साल की सजा सुनाई है और साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। हालांकि दोनों ही मूल केस में मुख्तार अंसारी बरी हो गया लेकिन कोर्ट ने उन दोनों ही केस में गवाहों के मुकरने के बावजूद पुलिस के द्वारा पेश किए गए तथ्यों के आधार पर उसे 10 साल की सजा सुनाई है। इसमें चाहे एलएमजी खरीदने का मामला हो या फिर शूटरों से संपर्क करने का।
इसी तरह मुकदमा अपराध संख्या- 1052/2007 अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का था। इसमें अफजाल अंसारी को कृष्णानंद राय हत्याकांड में साजिश रचने का आरोपी बनाया गया था। इस केस में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अफजाल अंसारी को 4 साल की जेल की सजा सुनाई है और एक लाख रुपये का जुर्माना किया है। कोर्ट ने माना कि अफजाल अंसारी बड़े भाई होने के नाते मुख्तार अंसारी को शरण देते रहे और शह देते रहे। जाहिर है सजा सुनाये जाने के बाद अफजाल की अब संसद सदस्यता भी खत्म हो गई है। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी अक्टूबर 2005 से ही जेल में बंद है। मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर किया था। और तभी से वो जेल में बंद हैं। पहले उसे गाजीपुर जेल में रखा गया। फिर वहां से मथुरा जेल भेजा गया। फिर मथुरा से आगरा जेल और आगरा से बांदा जेल भेज दिया गया। उसके बाद से आजतक मुख्तार को बाहर आना नसीब नहीं हुआ। लेकिन फिर भी पूर्वांचल में उसका दबदबा कायम रहा। वो जेल में रहकर भी चुनाव जीतता रहा।
शानदार विरासत का बदनुमा धब्बा
पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी पर भले ही दर्जनों मुकदमे दर्ज हों, लेकिन उसका पारिवारिक इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। गाजीपुर में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के कई जिले में मुख्तार अंसारी के परिवार का सम्मान है। मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। दादा का नाम भी मुख्तार अंसारी था। वहीं चाचा देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं और भाई मौजूदा समय में गाजीपुर का सांसद था। खानदानी रसूख की जो तारीख इस घराने की है वैसी शायद ही पूर्वांचल के किसी खानदान की हो। मुख्तार अंसारी के दादा की तरह नाना भी देश की नामचीन हस्तियों में से एक थे। शायद कम ही लोग जानते हैं कि महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान अंसारी बाहुबली मुख्तार अंसारी के नाना थे। जिन्होंने 1947 की जंग में न सिर्फ भारतीय सेना की तरफ से नौशेरा की लड़ाई लड़ी बल्कि हिंदुस्तान को जीत भी दिलाई। हालांकि, वो खुद इस जंग में हिंदुस्तान के लिए शहीद हो गए थे। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। अंसारी परिवार की इसी विरासत को मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी ने आगे बढ़ाया। कम्युनिस्ट नेता होने के अलावा अपनी साफ सुथरी छवि की वजह से सुब्हानउल्लाह अंसारी को 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था। इतना ही नहीं भारत के पिछले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं। वो उपराष्ट्रपति से पहले विदेश सेवा में थे और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे हैं। इसके अलावा देश के जाने-माने पत्रकार जावेद अंसारी भी रिश्ते में उसके भाई लगते हैं। मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है। टॉप शूटरों में शुमार अब्बास न सिर्फ नेशनल चैंपियन रह चुका है। बल्कि दुनियाभर में कई पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुका है। ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में अंसारी का कब्जा है। जिसके दम पर उसने अपनी सल्तनत खड़ी की हालांकि, योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद अंसारी परिवार की उलटी गिनती शुरू हो गई है। उनके तमाम कारोबार खत्म हो गए हैं और उनके करीबी लोगों पर प्रशासन ने नकेल कस रखी है।
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विजय कुमार राय

विजय कुमार राय (वरिष्‍ठ संवाददाता)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 से दूरदर्शन के ‘डीडी न्यूज’ से जुड़कर छोटी-बड़ी खबरों से लोगों को रू-ब-रू कराया। उसके बाद कुछ सालों तक ‘कोबरापोस्ट’ से जुड़कर कई बड़े स्टिंग ऑपरेशन के साक्षी बने। वर्तमान में ये हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ और ‘नवोत्थान’ के वरिष्‍ठ संवाददाता हैं। इन दिनों देश की सभ्यता-संस्कृति और कला के अलावा समसामयिक मुद्दों पर इनकी लेखनी चलती रहती है।