रुपये ने गति पकड़ी

युगवार्ता     05-May-2023   
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विदेशी व्यापार में डॉलर की निर्भरता कम करने के लिए भारत की तरफ से उठाया गया कदम कारगर साबित हो रहा है। नतीजतन, भारतीय करेंसी रुपया इस समय विश्व में चौथी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में अपनी पहचान बनाने की ओर तेजी से अग्रसर है। इसे विश्व स्तर के हवाई अड्डों पर करेंसी एक्सचेंज काउंटर पर स्वीकार किया जाने लगा है। साथ ही विश्व के 17 देश भारत के साथ व्यापार के लिए रुपया का इस्तेमाल कर रहे हैं। यही नहीं, रूस के साथ रुपये में व्यापार की शुरुआत के बाद जर्मनी से लेकर इजरायल तक तमाम विकसित देश भी रुपये के जरिए कारोबार करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। रुपये की लगातार बढ़ती ताकत भारत की विश्व में बढ़ती आर्थिक हैसियत का मूर्तरूप है।

rupee gains momentum
भारतीय मुद्रा 'रुपया' तेजी से इंटरनेशनल करेंसी बनने की ओर बढ़ रहा है। डॉलर, पाउंड और यूरो के बाद विश्व स्तर पर हवाई अड्डों के मुद्रा विनिमय काउंटरों पर स्वीकार किए जाने के बाद भारतीय रुपया की पहचान चौथी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में होने लगी है। इस समय विश्व के कुल 17 ऐसे देश हैं जो भारतीय मुद्रा में व्यापार कर रहे हैं। विदेशी व्यापार में डॉलर की निर्भरता कम करने के लिए भारत की तरफ से उठाया गया कदम कारगर साबित हो रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2022 में विदेशों से ब्याज आकर्षित करने और डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए रुपये में ट्रेड सेटलमेंट सिस्टम का प्रस्ताव किया था। रूस के साथ रुपये में व्यापार की शुरुआत के बाद 17 वोस्ट्रो खाते खुल चुके हैं। इतना ही नहीं, जर्मनी, इजरायल जैसे विकसित देशों समेत 64 देशों ने रुपये के जरिए कारोबार करने में दिलचस्पी दिखाई है।
अभी तक विश्व की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय मुद्रा अमेरिकी डॉलर के माध्यम से एक-दूसरे से व्यापार किया जाता था। अमेरिका अपनी मुद्रा के माध्यम से पूरे विश्व व्यापार पर नियंत्रण रखता है। यूएस बैंक उस देश को अमेरिकी डॉलर की पूर्ति कम कर देता है जिसे वह दबाना चाहता है। परिणामस्वरुप यह देश विश्व के बाकी देशों के साथ कारोबार में अक्षम हो जाते हैं। चीन और रूस जैसे देश अमेरिकी डॉलर की इस बादशाहत को तोड़ने का लंबे समय से प्रयास करते रहे हैं परंतु वे असफल रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के द्वारा की गई पहल के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। आने वाले समय में अमेरिकी डॉलर की बादशाहत टूटती नजर आ रही है। अब भारतीय रुपया विश्व की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने की ओर अग्रसर है।
भारतीय करेंसी में फिलहाल व्यापार करने वाले विश्व के 17 देशों में यूनाइटेड किंगडम, मलेशिया, रूस, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, म्यांमार, बोत्सवाना, फिजी, ओमान, केन्या, गुयाना, मॉरीशस, सेशेल्स और तंजानिया आदि शामिल हैं। यदि भारतीय मुद्रा 'रुपया' विश्व के 30 से अधिक देशों के साथ व्यापार करता है तो इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मुद्रा घोषित किया जा सकता है। यूरोपीय यूनियन में शामिल जर्मनी पहली बार एशिया की मुद्रा यानी भारतीय मुद्रा 'रुपया' के साथ व्यापार करने के लिए आगे आया है।
रुपये के दमखम को देखते हुए विश्व के कई देश भारत की इस पहल में रुचि दिखा रहे हैं। जर्मनी के साथ ही इजरायल ने भी भारतीय मुद्रा में कारोबार करने में रुचि जाहिर करते हुए बातचीत शुरू कर दी है। रुपया किस तेजी से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने की ओर अग्रसर है इसे इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि अब तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 17 वोस्ट्रो अकाउंट खोल चुका है। वोस्ट्रो एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ ‘आपका’ होता है। ऐसे में वोस्ट्रो अकाउंट का मतलब है ‘आपका खाता’। आसान शब्दों में समझें तो, उदाहरण के लिए एचएसबीसी बैंक का वोस्ट्रो अकाउंट भारत में एसबीआई द्वारा संभाला जा रहा है। रुपये में व्यापार को आसान बनाने के लिए 12 भारतीय बैंक शाखाओं ने विदेशों में भागीदार व्यापारिक बैंकों के साथ विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। इन भारतीय बैंकों की लिस्ट में भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, यस बैंक, एचडीएफसी बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इंडसइंड बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। जिन देशों में वोस्ट्रो एकाउंट खुले हैं उनमें से श्रीलंका के लिए 5 अकाउंट्स, मॉरीशस के लिए एक अकाउंट तथा रूस के लिए 12 अकाउंट्स शामिल हैं।
जिन देशों में वोस्ट्रो एकाउंट खुल चुके हैं वहां भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में कार्य करेगा। यानी वहां रुपये से खरीदारी की जा सकेगी। भारत की इस पहल में अमेरिकी डॉलर की कमी से जूझ रहे तजाकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान ने भी दिलचस्पी दिखाई है। उम्मीद है कि जल्द ही इन देशों में भी भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त कर लेगा। इंडियन बैंक एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन से वित्त मंत्रालय ने भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में मान्यता बढ़ाने के लिए संबंधित पक्षों से मिलकर भारतीय रुपये में व्यापार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया है जिससे अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के एक्सचेंज रेट में सुधार हो।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय रुपये में सीमा पार वाणिज्यिक लेनदेन के व्यापक दिशा निर्देश जारी किये जाने के बाद स्पेशल रूपी वोस्ट्रो अकाउंट यानी एसआरवीए की प्रक्रिया जुलाई 2022 में शुरू की गई थी। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि कोई भारतीय व्यापारी जब किसी विदेशी व्यापारी को भारतीय मुद्रा 'रुपया' में भुगतान करता है तो इस राशि को वोस्ट्रो अकाउंट में जमा किया जाता है। ठीक इसी तरह से जब कोई विदेशी व्यापारी किसी भारतीय व्यापारी को अपनी करेंसी में भुगतान करेगा तो वो वोस्ट्रो अकाउंट में जमा होगा और भारतीय व्यापारी उसे इंडियन करेंसी में प्राप्त करेगा। भारतीय रिजर्व बैंक से एसआरवीए के लिए सबसे पहले अनुमति लेने वाले रूस के तीन शीर्ष बैंक एसबीईआर बैंक, वीटीबी बैंक और गैजप्रोम बैंक हैं।
बहरहाल, भारतीय मुद्रा रुपया तेज गति से इंटरनेशनल करेंसी बनने की तरफ अग्रसर है। रूस और श्रीलंका के बाद चार अफ्रीकी देशों समेत अन्य कई देश बहुत जल्दी भारत के साथ रुपये में कारोबार करने के लिए तैयार हैं। अभी तक भारत में 18 वोस्ट्रो खाते खोले जा चुके हैं जो दूसरे देशों के साथ रुपये में बिजनेस करने के लिए अनिवार्य हैं। जर्मनी-इजरायल समेत 64 देश भारत के साथ रुपये में ट्रेड सेटलमेंट के लिए बातचीत कर रहे हैं। भारत का रुपया अगर 30 से ज्यादा देशों के साथ व्यापार करता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मुद्रा के रूप में मान्यता मिल जाएगी।
भारत के साथ रुपये में व्यापार करने में दिलचस्पी दिखाने वाले ज्यादातर देश, विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी का सामना कर रहे हैं। अभी तक मॉरीशस और श्रीलंका के लिए विशेष वोस्ट्रो खातों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मंजूरी दी है। ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान भी रुपये में ट्रेड सेटलमेंट करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। इसके अलावा बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे पड़ोसी देश भी इस बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
दूसरे देशों से रुपये में लेन-देन से भारतीय व्यापार के लिए जोखिम कम होगा। कच्चे तेल समेत आयात किए जाने वाले ज्यादातर सामान का भुगतान रुपये के माध्यम से किया जाएगा जिससे हर साल अरबों डॉलर बचेंगे। मुद्रा की अस्थिरता से सुरक्षा मिलेगी जिससे कारोबार की लागत घटेगी और व्यापार का बेहतर तरीके से विकास होगा। इससे भारतीय व्यापार में ग्लोबल स्तर पर सुधार हो सकता है। डॉलर समेत विदेशी मुद्रा भंडार रखने की जरूरत भी कम होगी। विदेशी मुद्रा खासकर डॉलर पर निर्भरता घटने से भारत पर बाहरी प्रभावों का कम असर होगा।
रुपये में व्यापार को आसान बनाने के लिए 12 भारतीय बैंकों ने रुपये में विदेशी व्यापार की सुविधा के लिए विदेशों में भागीदार व्यापारिक बैंकों के साथ विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। इन भारतीय बैंकों की लिस्ट में भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, यस बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। इसके बाद अगर कोई भारतीय खरीदार किसी विदेशी व्यापारी के साथ रुपये में लेन-देन करना चाहता है तो सारी रकम वोस्ट्रो खाते में जमा की जाएगी। जब भारतीय निर्यातक को सप्लाई किए गए सामान के लिए भुगतान करने की जरूरत होगी तो इस वोस्ट्रो खाते से कटौती की जाएगी और पैसा निर्यातक के खाते में जमा किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ महीनों में डॉलर के मजबूत होने से दुनिया भर के कई देशों के लिए इम्पोर्ट महंगा हो रहा है। इससे एक विकल्प की जरूरत महसूस होने लगी थी। अब रुपये में कारोबार शुरू होने के बाद एक नई उम्मीद जगी है। इससे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम होगी। भारत के लिहाज से देखें तो फिलहाल डॉलर की जरूरत को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत रुपया बेचता है। लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है। रुपये की बिक्री के लिए आसानी से खरीदार नहीं मिलता है।
भारत का रूपी ट्रेड सेटलमेंट सिस्टम इंटरनेशनल लेन-देन के लिए डॉलर और दूसरी बड़ी मुद्राओं की जगह रुपये का इस्तेमाल करने का एक तरीका है। वस्तुओं और सेवाओं के इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट के लिए देशों को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है। अमेरिकी डॉलर दुनिया में हर जगह मान्यता प्राप्त मुद्रा है, इसलिए ज्यादातर लेन-देन डॉलर में ही किए जाते हैं। रुपये में व्यापार बढ़ने के साथ ही आरबीआई को भारतीय मुद्रा के लिए खरीदार तलाशने की जरूरत नहीं होगी। इससे भारतीय रुपये की डिमांड में इजाफा होगा। साथ ही कंवर्जन फीस बचाने में मदद मिलेगी। जाहिर है इंटरनेशनल बैंकों को कंवर्जन फीस नहीं भेजने से जो रकम जमा होगी वो देश के भीतर काम आएगी। निश्चित तौर पर रुपये की इस कामयाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय छवि व विश्वसनीयता का योगदान सबसे अधिक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही अपना रुपया सर्वे भवंतु सुखिन: की भावना के साथ अमेरिकी डॉलर के चक्रव्यूह में पिस रहे देशों के लिए रामवाण का काम करेगा।
डॉलर का दबदबा खत्म करेगा रुपया
वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते दबदबे के कारण अब कई देशों के साथ भारतीय करेंसी में व्यापार संभव हो पा रहा है। भारत ने इंटरनेशनल करेंसी के रूप में दबदबा जमाए डॉलर को रिप्लेस करने के लिए धीरे-धीरे जो शुरुआत की है, उसके नतीजे अब दिखने लगे हैं। मलेशिया ने भी अब भारत के साथ भारतीय रुपये में व्यापार करने पर सहमति दे दी है। वह अब भारत के साथ लेन-देन अन्य करेंसी समेत भारतीय रुपये में भी कर सकेगा। वहीं भारत भी मलेशिया से मंगाए गए सामान की कीमत का भुगतान अपने रुपये में दे सकेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके बाद भारत ने रुपये को व्यापार के लिए प्रमोट करना शुरू कर दिया था। इसके लिए जुलाई 2022 में रिजर्व बैंक ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय रूप से उपयोग करने की परमिशन दे दी। भारत ने यह कदम डॉलर पर भारत और विश्व की निर्भरता को कम करने के लिए उठाया है। इससे देश पर विदेशी मुद्रा भंडार का बोझ भी कम होगा और ग्लोबल ट्रेड को आसान बनाने में भी मदद मिलेगी।
वोस्ट्रो खाता
खोलने का तरीका
विदेश का कोई बैंक स्पेशल वोस्ट्रो खाता खोलने के लिए भारत में एडी बैंक से संपर्क कर सकता है। भारतीय एडी बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से इसके लिए मंजूरी प्राप्त करता है। केंद्रीय बैंक की मंजूरी मिलने के बाद भारतीय एडी बैंक में विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता शुरू कर दिया जाता है। दोनों पक्षों के बीच रुपये में ट्रेड शुरू होने के साथ ही करेंसी का एक्सचेंज रेट, मार्केट रेट पर तय कर लिया जाता है। इसके बाद दोनों पक्ष आपसी सहमति से रुपये में कारोबार शुरू कर सकते हैं।
रुपये का प्रतीक चिन्ह व इससे जुड़े कुछ तथ्य
भारतीय रुपया दुनिया की ऐसी छठी मुद्रा है जिनकी मुद्रा का एक विशेष चिन्ह है। भारतीय रुपया के अलावा जिन अन्य पांच देशों की मुद्रा का खास चिन्ह है वे हैं डॉलर, येन,पेसो,पाउंड और यूरो। डॉलर अमेरका की मुद्रा है जो विश्व में सर्वाधिक व्यापार के लिए प्रयोग की जाती है। यूरो विश्व में दूसरा सबसे प्रयोग किया जाने वाला मुद्रा है। यह यूरोपीय देशों की मुद्रा है। फिलिपींस की मुद्रा पेसो का भी अपना चिन्ह है, पहले इसकी मुद्रा का चिन्ह भी डॉलर हुआ करता था 1967 में फिलिपीनों के अधिकारिक भाषा बनने के बाद इसकी मुद्रा का चिन्ह बदलकर पेसो कर दिया गया। ब्रिटेन की मुद्रा को पाउंड कहा जाता है जबकि जापान की मुद्रा येन कहलाती है। बहरहाल, भारतीय रुपये का प्रतीक चिन्ह भारत के लोकाचार का भी परिचायक है। भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के ‘आर’ को मिलाकर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ तथा गणित के ‘बराबर’ चिन्ह को दशार्ता है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया था। यह प्रतीक चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट डी. उदय कुमार ने डिजाइन किया है। इस चिन्ह को डिजाइन करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा एक खुली प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया था। एक हजार से अधिक प्रतिभागियों द्वारा प्राप्त डिजाइन में से डी. उदय कुमार के डिजाइन को चुना गया। वर्तमान में भारत में 1,2,5,10 व 20 रुपये के सिक्कों के अलावा एक, दो, पांच, दस, बीस, पचास, एक सौ, दो सौ, पांच सौ और दो हजार रुपये के नोट कार्य रूप में हैं।
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बद्रीनाथ वर्मा

बद्रीनाथ वर्मा (सहायक संपादक)
देश-समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर बेबाक लेखन करने वाले बद्रीनाथ वर्मा ने अपनी पत्रकारिता की यात्रा ऐतिहासिक अखबार ‘दैनिक भारतमित्र‘ से शुरू की। अपने दो दशक से भी अधिक के कार्यकाल में वे कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं। इन दिनों ‘युगवार्ता‘ पत्रिका में सहायक संपादक के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं।