देवभूमि में भी लव जिहाद

21 Jun 2023 16:45:39

Love Jehad 
प्राय: शांत रहने वाला उत्तराखंड इन दिनों धधक रहा है। धर्मांतरण की आग इस हिमालयी प्रदेश को धीरे-धीरे अपने आगोश में ले रही है। देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के बयानों ने इसमें आग में घी का काम किया है। प्रदेश के लोगों का मानना है कि पहाड़ों पर आंदोलन होते रहे हैं। लेकिन पुरोला की घटना से पहाड़ के लोग जिस तरह घरों से निकल कर सड़कों पर आये, ऐसा नजारा अलग राज्य आंदोलन में ही देखा जाता था। प्रदेश की धामी सरकार इस आग को शांत करने में जुटी है। कुछ हद तक सरकार इसमें कामयाब हुई है परंतु उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र अंदर ही अंदर अभी भी धधक रहा है।
प्रदेश के उत्तरकाशी जिले में पुरोला एक कस्बा है। चारधाम में से दो धाम इसी उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यहां अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी न के बराबर है। लेकिन कुछ वर्षों में अचानक से उत्तराखंड के इन पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे-छोटे काम (कबाड़ी, नाई, कूड़ा बीनने वाला आदि) करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पहुंच गए हैं। यहां के स्थानीय लोगों को इससे किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन जब अल्पसंख्यक समुदाय के लोग यहां की बेटियों को प्रेमजाल में फंसाने लगे तो विरोध शुरू हुआ। इस तरह के कई मामले यहां सामने आ रहे थे। स्थानीय स्तर पर ही इन समस्याओं को हल कर लिया जाता था। मगर पुरोला की हालिया घटना प्रदेश ही नहीं देश की सुर्खियां बन गई। यहां 26 मई को स्थानीय हिंदू दुकानदार की एक नाबालिग लड़की के अपहरण करने की कोशिश की गई। कुछ स्थानीय युवाओं ने उस नाबालिग लड़की को बचा लिया। अपहरण करने में एक अल्पसंख्यक समुदाय का लड़का भी था।
इस घटना के बाद पुरोला में व्यापारियों का आक्रोश फूटा। देखते ही देखते अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ पुरोला में प्रदर्शन शुरू हो गया। धीरे-धीरे स्थानीय लोगों का गुस्सा पुरोला से बाहर निकलकर अन्य कस्बों में भी फैलने लग गया। क्योंकि कुछ दिनों के अन्तराल में ही इस तरह की एक के बाद एक घटनाएं सामने आने लगी। इससे पुरोला समेत आसपास के इलाकों में भी लोग घरों से निकलकर सड़कों पर आ गए। पुरोला के अलावा बड़कोट, चिन्यालीसौड़ और भटवारी में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यक समुदाय के दुकानदारों की दुकानों पर पोस्टर लगा दिए। पोस्टरों में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए साफ-साफ लिखा हुआ था कि वे दुकान खाली कर यहां से चले जाएं। मीडिया में कुछ अल्पसंख्यक समुदाय के दुकानदारों के पलायन की खबरें भी आने लगी। लेकिन यह पूरी सच्चाई नहीं है।
“आज तकनीक के जरिये धर्मांतरण जैसे रैकेट चलाए जा रहे हैं। इस पर नकेल कसी जाएगी। सरकार लोगों को जागरूक करेगी। शांत उत्तराखंड को अशांत करने वालों पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।                  -पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री”
 
स्थानीय लोगों के अनुसार पुरोला से एक-दो दुकानदार ही अपनी दुकान बंद कर देहरादून गए हैं। वह भी इसलिए कि उनका परिवार देहरादून में रहता है। वे लोग यहां का माहौल शांत होने तक के लिए अपनी दुकान बंद कर अपने परिवार के पास चले गए हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय का एक भी व्यक्ति पुरोला छोड़कर नहीं गया है। पूरे क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है। दरअसल, स्थानीय लोग इसे लव जिहाद का मामला मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बाहर से यहां रोजगार करने आते हैं। किसी का वैरिफिकेशन होता नहीं है। वे अपना नाम बदलकर आते हैं। कुछ दिनों के बाद वे हमारी बेटियों को प्रेम में फंसाकर शादी का झांसा देते है, फिर धर्म परिवर्तन का दबाव डालते हैं। वरिष्ठ पत्रकार निशीथ जोशी बताते हैं, ‘यह आज का मामला नहीं है। वर्ष 2019 में ही मैंने एक रिपोर्ट लिखी थी कि किस तरह उत्तराखंड का डेमोग्राफी बदल रही है। हरिद्वार, उधमसिंहनगर और देहरादून का तो बदल ही गया है अब तो प्रदेश के पर्वतीय जिलों की भी डेमोग्राफी बदली है। यह सब एक साजिश के तहत हो रहा है। यह सीमावर्ती राज्य है। साजिश के तहत उत्तराखंड को भी असम और बंगाल बनाने की कोशिश हो रही है।’
“पुलिस विभाग में जल्द 100 साइबर वारियर्स बनाए जाएंगे। लव जिहाद को रोकने के लिए विभिन्न ऐप्स पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड”
 
स्थानीय लोगों ने 15 जून को इसके विरोध में महापंचायत बुलायी थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और लेखक अशोक वाजपेयी ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र रूपी याचिका भेजी थी। उसमें इन्होंने मुख्य न्यायाधीश से 15 जून को लव जिहाद के खिलाफ उत्तरकाशी में बुलाई गई महापंचायत पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इन्हें फटकार लगाते हुए याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया। वहीं धामी सरकार की सक्रियता, स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच हुई बातचीत के बाद महापंचायत 15 जून को नहीं हुई। इसी तरह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने भी 18 जून को देहरादून में इकट्ठा होने की योजना बनाई है। सरकार इसे रोक पाती है या नहीं यह देखना होगा।

Love Jehad Uttarkashi
3 महीने में लव जिहाद के 46 से ज्यादा मामले
उत्तराखंड के 13 जिलों में से तीन जिले देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंहनगर में मुस्लिम आबादी ठीक-ठाक हुआ करती थी। पर्वतीय जिलों में मुस्लिम आबादी न के बराबर थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पर्वतीय जिलों के सीमाई कस्बों में भी मुस्लिम आबादी बढ़ने लगी है। बाहर से आये इन लोगों का सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। ये लोग यहां छोटे-छोटे काम करते हैं। ये लोग रोजगार की तलाश में यहां आये हैं या एक साजिश की तहत इन्हें यहां भेजा गया है, इसकी जांच करना सरकार के लिए चुनौती बनती जा रही है। ये लोग लव जिहाद के जरिये उत्तराखंड की शांत वादियों को अशांत कर रहे हैं। एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि प्रदेश में पिछले 3 महीने में 46 से ज्यादा लव जिहाद के मामले दर्ज हुए हैं। हिमाचल प्रदेश से लगा पछवा दून, विकासनगर, उत्तरकाशी, गौचर, हरिद्वार, डोईवाला और देहरादून शहर में ऐसे मामले सामने आए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। पिछले कुछ दिनों से वे लगातार अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। उन्होंने इन घटनाओं के बाद कहा कि सरकार की तरफ से इस मामले में कोताही नहीं बरती जाएगी। उत्तराखंड शांति प्रिय प्रदेश है। इसे सॉफ्ट टारगेट नहीं बनने देंगे। डेमोग्राफिक बदलाव में जो भी लोग संलिप्त पाए जाएंगे, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार जल्द ही प्रदेश में सत्यापन अभियान चलाएगी और डेमोग्राफिक बदलावों के सारे आंकड़े एकत्रित करेगी।
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