बदलते कश्मीर को दुनिया ने देखा

05 Jun 2023 14:57:15


जम्मू-कश्मीर में संपन्न जी 20 की बैठक भारत के लिए कूटनीतिक रूप से एक सफल आयोजन रहा। इसके जरिए जहां एक तरफ भारत ने पाकिस्तान और चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। वहीं, कश्मीर की आर्थिक स्थिति को सुधारने में भी यह आयोजन विशेष लाभदायक सिद्ध होगा।

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भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद वैसे तो कई दौर की मीटिंग विदेशी प्रतिनिधियों के साथ हो चुकी है। लेकिन एक बैठक जिसकी चर्चा आज से पहले भी बहुत थी और आज भी सबसे अधिक है वह है जी-20 की कश्मीर में हुई बैठक की। करीब 37 साल बाद जम्मू कश्मीर में यह पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक हुई है। इस बैठक में चीन, तुर्की, सऊदी अरब और मिस्र को अगर छोड़ दिया जाए। तो सभी देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वैसे देखने में इन देशों की संख्या कम है। लेकिन इनकी गैर मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि आज भी ये देश कश्मीर को इस्लामिक नजरिए से देखते हैं। चीन की अपनी चाल है।
इस गठबंधन को धार्मिक गठबंधन भी कह सकते हैं। हालांकि इस गठबंधन से भारत को कोई खास प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। सऊदी अरब से भारत के रिश्ते अभी भी अच्छे हैं और खाड़ी देशों में सबसे ज्यादा सऊदी अरब का ही प्रभाव व्याप्त है। वहीं दूसरी तरफ कश्मीर के भी मुसलमान मुख्यधारा में आना चाहते हैं। वह इस बात को समझ रहे हैं कि आतंकवाद से सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें ही हुआ है। एक तरफ उन्होंने अपने लोगों को खोया है वहीं उन्हें आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा है। जिस तरह से जम्मू कश्मीर में निवेश आ रहा है उससे उन्हें आने वाले समय में अपने ही क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान होंगे एवं शिक्षा और स्वास्थ्य में भी सुविधाएं बेहतर होंगी।
बदलते वैश्विक परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बात समझ रहे हैं कि अगर विश्व को अपनी तरफ आकर्षित करना है तो उसे भारत की विविधता के साथ-साथ इसकी शक्ति को भी प्रदर्शित करना होगा इसकी एक झलक हमें कश्मीर में हुए जी-20 में दिखती है। पाकिस्तान की लाख तिलमिलाहट के बाद भी कश्मीर में जी-20 का सफल आयोजन किया गया। यह आयोजन हिंदुस्तान की ताकत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के लिए काफी था। इस आयोजन ने यह बता दिया कि कश्मीर में अलगाववाद की सारी साजिशें अब समाप्त हो गई हैं। जिस कश्मीर ने साल 2016 में श्रीनगर और अनंतनाग के लोकसभा उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा में सैकड़ों लोगों को घायल होते देखा, उसी कश्मीर के श्रीनगर में जी-20 सम्मेलन के खिलाफ कोई गलत बयानी तक नहीं हुई। घाटी की तमाम पार्टियों और राजनीतिक दलों ने भी कश्मीर में हो रहे इस आयोजन को उम्मीद की किरण के सरीखा बताया।
“कश्मीर अब हड़तालों और पत्थरबाजों की भूमि नहीं है। 30 वर्षों तक शांति की इस भूमि को हमारे पड़ोसी देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का शिकार होना पड़ा। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य को सशक्त बनाने वाली विकास की योजनाएं लेकर आए हैं। जिससे राज्य मजबूत होगा। -मनोज सिन्हा, उपराज्यपाल”
सबसे अच्छी बात यह रही कि पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बाद भी कश्मीर में जी-20 सफल रहा। इसके सफल होने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने, जिनकी देख रेख में यह पूरा कार्यक्रम हुआ। वहीं जी-20 में भारत के प्रतिनिधि के रूप में अमिताभ कांत ने नीतिगत फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शुरुआत में लगभग 17 देशों के 60 विदेशी प्रतिनिधि श्रीनगर पहुंचे। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उन्हें कार्यक्रम स्थल तक ले जाया गया। सभी विदेशी मेहमानों का श्रीनगर एयरपोर्ट पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी और जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने अगवानी की। पारंपरिक वेशभूषा में कश्मीरी युवतियों ने पगड़ी, तिलक और फूलों से उनका स्वागत किया। समूह की औपचारिक बैठक में पांच प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र हरित पर्यटन, डिजिटलीकरण, कौशल, एमएसएमई और गंतव्य प्रबंधन पर चर्चा की गई। कई विदेशी प्रतिनिधियों ने इस बात को माना कि कश्मीर पर्यटन के लिहाज से एक शानदार जगह है और आने वाले समय में उनके देश से भी पर्यटक यहां आएंगे। कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था एक महत्वपूर्ण मुद्दा हुआ करता था लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद कुशल प्रबंधन एवं केंद्र द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ लोगों को मिलने के बाद यहां पर शांति व्यवस्था स्थापित हुई है। इस बात को कई विदेशी प्रतिनिधियों ने भी देखा और माना। भारत के लिए यह कूटनीतिक रूप से एक सफल आयोजन रहा। जहां एक तरफ भारत ने पाकिस्तान और चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया वहीं कश्मीर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए भी यह आयोजन लाभदायक होगा।
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