समाज के लिए समर्पित एक अधिकारी

24 Jul 2023 14:41:16

Dr. Mishra
 
“उत्तराखण्ड में सरकारी शिक्षा की बेहतरी के लिये अनेक राष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया गया है। इसमें 25 से अधिक राज्यों के शिक्षाविद्, प्रबुद्धजन, सरकारी विद्यालयों में अध्यापनरत नवाचारी शिक्षक ने भाग लिया है।”
 
 
शासकीय कार्यों की व्यस्तता और बोझिलता के बीच जरूरतमंद लोगों के लिए काम करना किसी भी अधिकारी के लिए कठिन है। लेकिन उत्तराखंड सचिवालय में कार्यरत एक अधिकारी अपने सरकारी कार्यों को निपटाने के बाद लोगों के बीच पहुंच जाते हैं। कभी निर्धन बच्चों को पढ़ाने तो कभी गरीब युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए। ये महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करते हैं तो शिक्षकों को विश्वस्तरीय शिक्षण गतिविधि के लिए भी तैयार करते हैं।
उत्तराखंड सचिवालय में सेवारत ये अधिकारी हैं, डॉ अशोक कुमार मिश्र ‘क्षितिज‘। डॉ मिश्र एक अधिकारी के साथ-साथ कवि, साहित्यकार, गायक, वैज्ञानिक अभिरुचि रखने वाले शख्सियत हैं। राज्य में संचालित विभिन्न योजनाओं, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार (नैनो) योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के साथ-साथ अन्य विभागीय योजनाओं के माध्यम से राज्य में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए भी डॉ मिश्र प्रयासरत हैं।
दूसरों के लिए बने उदाहरण
डॉ अशोक कुमार मिश्र ‘क्षितिज‘ ऐसे प्रतिभावन बच्चों, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, उनकी मदद के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। वे कड़ी मेहनत और अटूट लगन से शासकीय कार्यों को उच्च गुणवत्ता के साथ प्रतिदिन प्रात:काल से देर शाम तक निपटाने के बाद डॉ मिश्र अवकाश के दिनों में नि:स्वार्थ भाव से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को विभिन्न केन्द्रों पर नि:शुल्क पढ़ाने का कार्य करते हैं। इन बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए वह सतत प्रयासरत हैं। साथ ही पर्यावरण जागरूकता अभियान, गंगा प्रदूषण मुक्ति अभियान, स्वच्छता तथा नारी सशक्तिकरण अभियान में भी वह बढ़-चढ़कर योगदान करते हैं। सरकारी शिक्षा की गुणात्मकता में अभिवृद्धि, सरकारी विद्यालयों में अवकाश के समय नि:शुल्क पढ़ाना, जल संरक्षण, सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान, स्वरोजगार और कौशल विकास के लिए युवाओं को प्रेरित करने का कार्य निरन्तर कर रहे हैं। समाज के लिये लगातार बौद्धिक एवं शारीरिक श्रम करने पर भी वे थकते नहीं हैं। वे एक काम खत्म होते ही दूसरे कामों में जुट जाते हैं।
शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहन के लिए इन्होंने ‘अभ्युदय वात्सलयम’ नाम से एक गैर सरकारी संगठन की भी स्थापना किया है। यह संस्था देशभर में समाजसेवा के साथ-साथ वंचितों, माताओं एवं नौनिहालों के कल्याण हेतु निरन्तर सेवारत है। शिक्षा में गुणात्मक अभिवृद्धि के लिये भी इस संस्था द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में उत्तराखण्ड में सरकारी शिक्षा की बेहतरी के लिये अनेक राष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया गया है। इसमें 25 से अधिक राज्यों के शिक्षाविद्, प्रबुद्धजन, सरकारी विद्यालयों में अध्यापनरत नवाचारी शिक्षक ने भाग लिया है। यह अपने तरह का महत्वपूर्ण एवं सराहनीय आयोजन रहा है। इस बाबत डॉ अशोक कुमार बताते हैं, 'मेरे छोटे से प्रयास से किसी बच्चे, युवा तथा मातृशक्ति के चेहरे पर दिखने वाले संतोष एवं प्रसन्नता के भाव, मुझे अनवरत कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
कई कविता संग्रह प्रकाशित
डॉ मिश्र वर्तमान में उत्तराखण्ड सचिवालय में सेवारत हैं। साहित्य संस्कृति से उनका जुड़ाव बचपन से रहा है। डा. मिश्र नियमित साहित्य सृजन करते हैं। अब तक उनके चार कविता संग्रह मैं चुप हूं, उनसे कहना, अंतहीन चुप्पी तथा पूंछ कटी छिपकली प्रकाशित हो चुके हैं। दो संग्रह प्रकाशाधीन हैं। इनका पांचवां कविता संग्रह ‘फुटपाथ का आदमी‘ पाठकों के बीच शीघ्र ही उपलब्ध हो रहा है। डॉ मिश्र गंगा बचाओ अभियान से भी जुड़े हैं। गंगा बचाओ अभियान के तहत डॉ मिश्र एक वीडियो एलबम ‘मां गंगा की पुकार‘ का हिस्सा भी बने हैं।
गायन और अभिनय में भी अभिरुचि
डॉ मिश्र हिन्दी, भोजपुरी, पहाड़ी भाषाओं के स्वरचित गीत के गायन में अभिरुचि रखते हैं। उनके द्वारा लिखे एवं गाये गये भोजपुरी और पहाड़ी गाने ‘यूट्यूब‘ चैनल पर धूम मचा रहे हैं। इनके द्वारा गाये गये भोजपुरी गाना ‘चेहरा गुलाब सा‘ तथा पहाड़ी गाना ‘पहाड़ा तू नी छोड़‘ (जो पलायन की पीड़ा को व्यक्त कर रहा है) को बहुत सराहना मिल रही है।
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