रामभक्तों के स्वागत को तैयार अयोध्या : लल्लू सिंह

युगवार्ता    18-Jan-2024   
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अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह श्रीराम मंदिर आंदोलन के प्रारंभ से ही जुड़े रहे हैं। जिन लोगों को अयोध्या के जनमानस की गहरी समझ है, लल्लू सिंह उनमें से एक हैं। अयोध्या के कण-कण से दुनिया का परिचय कराने के लिए वे पिछले चार साल से दिल्ली में 'अयोध्या पर्व' का आयोजन कर रहे हैं। अब जब भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, ऐसे में राम मंदिर, अयोध्या के ढांचागत विकास, अन्य मंदिरों के जीर्णोद्धार और वहां के माहौल आदि पर उनसे युगवार्ता के संपादक संजीव कुमार और ब्यूरो प्रमुख गुंजन कुमार ने बातचीत की है। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश-

Lallu Singh
प्र. सदियों का इंतजार अब खत्म होने वाला है, अभी अयोध्या में कैसा माहौल है?
- जब 9 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने का रास्ता प्रशस्त कर दिया तभी से पूरी दुनिया के रामभक्तों में हर्षोल्लास है। जब प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान पर रामलला के भव्य मन्दिर बनने की बात तय हो गई, उसके बाद अयोध्या ही नहीं पूरी दुनिया के रामभक्त उत्सुाक हैं कि कब प्रभु श्रीराम का भव्य मन्दिर बने, उसमें रामलला विराजमान हों और वे उनका दर्शन करने अयोध्या पहुंचे। इन राम भक्तों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। अयोध्या में भव्य मंदिर बनकर तैयार है। हमारे विद्वान पुरोहितों ने रामलला को उनके जन्म स्थान पर विराजमान करने की शुभ तिथि 22 जनवरी तय की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस दिन इसका पूजन और आरती करेंगे। यह सुनकर ही अयोध्यावासियों के आनंद और खुशियों का ठिकाना नहीं है। वे सभी 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
प्र. राम मंदिर जब आम लोगों के लिए खुल जाएगा, तब अनुमानत: लाखों श्रद्धालु रोजाना यहां दर्शन के लिए आएंगे। ऐसे में ढांचागत विकास कार्य कितना पूरा हो गया है?
- जब 2014 में मोदी जी और 2017 में योगी जी की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी तो हम लोगों को भरोसा था कि अब प्रभु श्रीराम का मंदिर अवश्य बनेगा। इसलिए हमलोग बड़े-बड़े विकास कार्यों (जिसे पूरा होने में 5-6 वर्ष लगते) को 2016, 2017-18 से ही स्वीकृत कराने लगे थे। इसके पीछे सोच यही था कि जब भव्य राम मंदिर तैयार हो तब तक ये बड़े कार्य पूरे हो जाएं। दो साल कोरोना काल के कारण इन ढांचागत विकास कार्यों में वाधाएं आई। फिर भी जो कार्य स्वीकृत हो गए थे, उनमें अधिकांश कार्य पूरे होने वाले हैं। लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं वहां चल रही हैं। पंचकोसी परिक्रमा, चौदह कोसी परिक्रमा, 84 कोसी परिक्रमा, श्रीराम पथ, भक्ति पथ, लक्ष्मण पथ जैसे बहुत सारे पथों का निर्माण राज्य सरकार करवा रही है। अयोध्या के सारे मठ-मंदिर, साधु-संत, श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट 22 जनवरी के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं का अच्छे से स्वागत हो, उनको सारी सुविधाएं मिले, उसका प्रयास कर रहे हैं। हां, यह जरूर है कि जितनी संख्या में श्रद्धालुओं का अनुमान है, कोरोना काल के कारण उतनी तैयारी अभी नहीं कर सके हैं कि सभी को सुविधा दे सकें। फिर भी यहां बहुत सारे होटल बन रहे हैं, कई धर्मशालाएं भी बन रही हैं। प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यहां के मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य भी अपने हाथ में लिया है। इन सबको सुंदर बनाया जा रहा है। पूरी अयोध्या, रामपथ पर जितने भी मठ-मंदिर, स्थानीय लोगों के घर हैं, उन सबको एक स्वरूप और गुलाबी रंग में रंगा जा रहा है। इससे पूरी अयोध्या भव्य, अलौकिक और सुंदर दिखेगी।
प्र. अयोध्या के अन्य प्राचीन मंदिरों का चिन्हीकरण व उनके जीर्णोद्धार का काम हो गया है या अभी होना है?
- जो मठ-मंदिर अयोध्या में हैं, उनके जीर्णोद्धार का कार्य हो रहा है। अधिकारियों ने मंदिरों की जो सूची बनाई थी, उसमें कई मंदिर छूट गये थे। बाद में हमलोगों ने छूटे हुए मंदिरों की सूची बनाकर दी है। इन मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम भी जल्द ही प्रदेश सरकार करेगी।
प्र. इस तरह के कितने मंदिर हैं, जिनका जीर्णोद्धार हो रहा है?
- मेरी जानकारी के अनुसार, करीब 125 प्राचीन मंदिर हैं, जिनका जीर्णोद्धार हो रहा है। कुछ मंदिरों का जीर्णोद्धार हो गया है और कुछ मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम अभी चल रहा है।
प्र. आपने भी कई प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया है। वे कौन से मंदिर हैं?
- बहुत पहले से ही स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे स्थानों पर अपने कुछ मित्रों और सहयोगियों के साथ मिलकर जीर्णोद्धार का काम कराते रहे हैं। अयोध्या सुंदर बने। यहां आने वाले लोग यदि इन मंदिरों में जाएं तो उन्हें देखकर उनका मन प्रसन्न हो। अभी भी इस तरह का काम करते हैं। इसके लिए सरकार से कोई मदद नहीं लेते हैं। यह काम समाज के सहयोग से ही हो रहा है।
प्र. इन प्राचीन मंदिरों की जानकारी आम लोगों को भी हो ताकि वे अयोध्या आएं तो इन मंदिरों का भी दर्शन करने जाएं, इसके लिए सरकार की क्या योजना है?
- इस पर भी विचार कर उसका क्रियान्वयन किया जा रहा है। जो स्थानीय लोग गाइड का काम कर रहे हैं और जो युवा इस काम को करना चाहते हैं, उन्हें पर्यटन विभाग प्रशिक्षित कर रहा है। सैकड़ों युवाओं को प्रशिक्षित कर दिया गया है। इन्हें पहचान पत्र दिया गया है। इनकी फीस सरकार ने तय कर दी है। सिर्फ गाइड्स ही नहीं टैक्सी वालों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें श्रद्धालुओं, राम भक्तों से अच्छा आचरण-व्यवहार करने की ट्रेनिंग विभाग ने दिया है। ताकि वापस जाने के बाद श्रद्धालु अयोध्या को हमेशा राम की ही तरह अपने दिलों में बसा कर रखें।
प्र. आप अयोध्या के स्थानीयवासी और जनप्रतिनिधि भी हैं। मंदिर आंदोलन से आप कैसे जुड़े?
- मंदिर आंदोलन से हम पहले दिन से जुड़े हैं। आंदोलन के लिए जो आवश्यक था, एक छोटे से कार्यकर्त्ता के रूप में हम उसे करते थे। उसकी वजह से संगठन, अशोक सिंघल जी और मोरोपंत जी का सदैव आशीर्वाद और भरोसा मुझ पर बना रहा।
प्र. सदियों पुराना सपना अब पूरा हो रहा है। इस स्वप्न के पूरा होने पर एक सांसद के रूप में आपकी प्रतिक्रिया?
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने योजनाबद्ध तरीके से मुझे भाजपा में भेजा। उस समय जो लोग आंदोलन के कर्ताधर्ता थे, उन्होंने मुझे चुनाव लड़वाया और मैं सांसद बना। तब से मेरे मन में एक भाव था कि मैं यहां आने वाले रामभक्तों की सेवा करूं। एक सुंदर एवं भव्य अयोध्या की पहचान पूरी दुनिया में हो, इसी सपने के साथ हम निरंतर काम कर रहे हैं। जिन लोगों का आशीर्वाद मेरे ऊपर है, उसमें हमारे गुरु मनिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज, रामबहादुर रायजी, अशोक सिंघल जी, चंपत राय जी हैं। इन सबके आशीर्वाद से मुझे बहुत बल मिलता है। जनप्रतिनिधि होने के कारण पार्टी संगठन भी अयोध्या की सेवा के लिए हमें जो भी कार्य देता है, उसे मैं अपनी पूरी ताकत लगाकर पूरा करने का प्रयास करता हूं। आज जब वह फलीभूत हो रहा है तो मुझे लगता है कि प्रभु श्री राम के काम को मैंने अपनी सामर्थ्य, शक्ति, बुद्धि और विवेक से जितना कर सकता था, उतना किया।
प्र. आप दिल्ली में अयोध्या पर्व करते रहे हैं। इसके पीछे क्या सोच थी?
- चौरासी कोसी परिक्रमा के रास्ते में कई प्राचीन मठ-मंदिर हैं। कई तपस्वियों का जन्म एवं तप स्थल यहां हैं। मेरे अन्दर एक भाव था कि पूरी चौरासी कोसी परिक्रमा में एक वृहत अयोध्या का स्वरूप खड़ा हो। इसके लिए 2015 में मैंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इन स्थानों का स्थलीय अध्ययन करवाया। उन स्थानों के बारे में हमारे उपनिषदों, अन्य धर्म ग्रन्थों में क्या लिखा है। स्थानीय स्तर पर किंवदंतियां क्या हैं, इन सब का अध्ययन कराया। उसके बाद उस पर एक पुस्तक तैयार हुई। उसे अशोक जी को दिखाया। अशोक जी ने उस पर सहमति दी। फिर हमने उसे प्रधानमंत्री जी को, नितिन गडकरी जी को दिखाया। क्योंकि पूरी दुनिया को यदि हमें उन स्थानों पर लेकर जाना है तो वहां सड़क होना बहुत जरूरी है। हमलोगों ने खासकर रामबहादुर राय जी का मानना था कि खासकर 84 कोसी परिक्रमा के अंतर्गत आने वाले अयोध्या के प्राचीन मंदिरों, स्थलों आदि को देश-दुनिया को बताना है, तो अयोध्या पर्व दिल्ली में करना चाहिए। उन्होंने नाम तय किया और बताया कि अयोध्या पर्व कहीं भी हो सकता है। 2019 से हमने अयोध्या पर्व दिल्ली में शुरू किया। इसमें अयोध्या और अवध के स्थल, वहां की संस्कृति, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विचार गोष्ठियां एवं अयोध्या के खानपान को शामिल किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि अयोध्या में स्थित जिन मंदिरों, मठ, तप स्थली के बारे में लोग नहीं जानते थे, उसे लोगों ने जाना। सरकार ने भी 84 कोसी परिक्रमा की पौराणिकता को समझा। जिससे 84 कोसी परिक्रमा राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में स्वीकृत हुआ। बहुत जल्द उस पर काम शुरू भी हो जाएगा। लाखों श्रद्धालु जब इस परिक्रमा पथ पर घुमने आएंगे तो इन क्षेत्रों में आने वाले गांव के लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा या वे छोटे-बड़े स्वरोजगार करेंगे। पूरा 84 कोसी परिक्रमा 5 जिलों अयोध्या, बाराबंकी, गोंडा, बस्ती और अंबेडकरनगर से गुजरता है। इसलिए मेरा मानना है कि इन 5 जिलों के साथ-साथ पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में रोजगार के साधन खुलेंगे।
 
चौरासी कोसी परिक्रमा के रास्ते में कई प्राचीन मठ-मंदिर हैं। कई तपस्वियों का जन्म एवं तप स्थल यहां हैं। मेरे अन्दर एक भाव था कि पूरी चौरासी कोसी परिक्रमा में एक वृहत अयोध्या का स्वरूप खड़ा हो। इसके लिए 2015 में मैंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इन स्थानों का स्थलीय अध्ययन करवाया। उन स्थानों के बारे में हमारे उपनिषदों, अन्य धर्म ग्रन्थों में क्या लिखा है। 
प्र. अयोध्या आने वाले लाखों राम भक्तों और यहां के मंदिरों की सुरक्षा किसके जिम्मे रहेगी?
- अयोध्या और श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था कई लेयर में तैयार की गई है। मंदिर की सुरक्षा के लिए तीन से चार लेयर सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई है। राम मंदिर की सुरक्षा में केन्द्रीय सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस लगी है। पूरी अयोध्या की सुरक्षा स्थानीय पुलिस कर रही है। सुरक्षा के मामले में अयोध्या शुरू से संवेदनशील रहा है। श्रद्धालुओं की संख्या तो कोई निश्चित नहीं बताई जा सकती लेकिन मेरा मानना है कि दो से तीन लाख श्रद्धालु तो जरूर आएंगे। 22 जनवरी के दो दिन बाद तो मेरा मानना है कि यहां जनसैलाब उमड़ेगा। इसलिए हमलोगों ने सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठकर खाका तैयार कर लिया है।
प्र. अयोध्या की पौराणिकता बरकरार रहे, इसके लिए किस तरह के कार्य हो रहे हैं?
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का स्पष्ट निर्देश और मुख्यमंत्री योगी जी का भी मानना है कि राम नगरी अयोध्या का विकास आधुनिक हो लेकिन यहां की प्राचीन पहचान से कोई छेड़छाड़ न हो। अयोध्या नगर राम युग जैसा दिखे। यह हमारी आने वाली पीढ़ी को एक संस्कार देगा। वह अपनी संस्कृति को समझ पाएगा। मेरा मानना है कि भारत के लोग गुलामी के कारण धीरे-धीरे अपने आस्था केन्द्रों, ऋषि-मुनियों और अपने इतिहास को भूलते गए। इससे अपने लोग संस्कार विहीन हो गए थे। इन आस्था केन्द्रों के माध्यम से हम अपने समाज को फिर से संस्कारवान बनाएंगे। इसलिए सरकार की कोशिश है कि अयोध्याक में विकास कार्य हो लेकिन इसकी पौराणिकता बरकरार रहे।
प्र. अयोध्या में सरयू नदी की पवित्रता बनी रहे। नगर की गंदगी सरयू में न बहाई जाए, इसके लिए सरकार की क्या योजना है।
- सरयू नदी की पवित्रता को भंग नहीं किया जाएगा। कम क्षमता का एक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट यहां पहले से चल रहा है। एक बड़ी क्षमता का प्लांट बहुत जल्द बन कर तैयार हो जाएगा। सीवर लाइन कार्य भी बहुत जल्द पूरा हो जाएगा। कोरोना काल के कारण प्रधानमंत्री की जो भव्य, दिव्य अयोध्या की संकल्पना थी, उसमें हम अभी थोड़ा पीछे चल रहे हैं। लेकिन यह जल्दीक ही पूर्ण कर लिया जाएगा।
प्र. स्थानीय लोग अयोध्या के विकास, इसकी दिव्यता, यहां के तीर्थाटन में भागीदार बनें। इसके लिए सरकार क्या कर रही है?
- अयोध्या के विकास में स्थानीय लोग सहभागी बने हुए हैं। उनके हकों-अधिकारों को कम नहीं किया जा रहा है। नगर और इसके आस-पास कई छोटे-बड़े होटल खुल रहे हैं। इसे स्थानीय लोग बना रहे हैं। छोटे होटलों की भी एक श्रृंखला बन गई। इनमें अधिकांश स्थानीय लोगों के हैं।

Lallu Ji
प्र. वृहत अयोध्या के तहत कितने गांवों-कस्बों को शामिल किया गया है? और यहां के ग्रामीणों को क्या सरकार की ओर से कोई सुविधा भी मिलेगी?
- अमूमन अभी ज्यादा लोगों की जमीन नहीं ली गई है। हवाई अड्डा जैसे बड़े विकास योजनाओं में जिनकी जमीन ली गई है, उन्हें सर्किल रेट से चार गुना अधिक मुआवजा दिया गया है। इसी के साथ-साथ वे उसी विकसित क्षेत्र के आस-पास अपना आवास बना सकें, इसके लिए डेढ़-दो बिस्सा जमीन भी दी गई है। यदि नगरीय क्षेत्र में उनकी जमीन है तो डूडा के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला ढाई लाख रुपए भी उन्हें दिलाया गया है। विभिन्न पथों के विकास में जिनकी दुकानें टूटी हैं, उन सभी लोगों को दुकान आवंटित किया गया है। साथ-साथ उन्हें मुआवजा भी दे दिया गया है। अधिकांश लोगों को प्रदेश सरकार ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से बसाने का काम किया है।
प्र. क्या अयोध्या में अलग-अलग राज्यों को भी जमीन आवंटित की गई है?
- नई अयोध्या में राज्यों को जमीन आवंटित की जायेगी। वहां वे अपने राज्यों का भवन आदि बना सकेंगे। जिन राज्यों से जमीन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को प्रस्ताव मिला है, उन्हें शीघ्र ही भूमि आवंटित कर दी जायेगी।
प्र. अयोध्या में बिजली सप्लाई अवरुद्ध न हो इसके लिए सरकार क्या व्यवस्था कर रही है?
- प्रदेश की योगी सरकार अयोध्या को सोलर युक्त नगर बना रही है। एनटीपीसी के द्वारा यहां 30 मेगावाट सोलर प्लांट के माध्यम से बिजली उत्पादन करने का प्रयास हो रहा है। यहां के मंदिरों, मठों, सरकारी भवनों, गलियों और सड़कों को भी सोलर लाइट से जगमग किया जाएगा। यहां तक कि बोट को भी सोलर से चलाया जाएगा। साथ ही अयोध्याड़ में बिजली के तारों को भूमिगत किया जा रहा है। अयोध्या नगर में यह कार्य हो गया है। फैजाबाद नगर में सड़कें जैसे-जैसे बन रही हैं, वैसे-वैसे बिजली के तारों को भूमिगत किया जा रहा है।
प्र. सार्वजनिक परिवहन की कौन-कौन सी व्यवस्था की जा रही है?
- अयोध्या में श्रद्धालु आसानी से घूम सकें, उसके लिए छोटे वाहन चलाये जा रहे हैं। पार्किंग की भी व्यवस्था की जा रही है। अलग-अलग शहरों से आने वाली बसों के लिए बहुत बड़ा आधुनिक बस अड्डा बन रहा है। एक छोटा बस अड्डा है। बड़े बस अड्डा के लिए जमीन आवंटित हो गई है। वह शीघ्र बनना शुरू हो जाएगा। अयोध्या को पूर्णत: विकसित करने में अभी 4-5 साल का समय और लग सकता है। वैसे भी ऐसे विकास कार्य कभी रुकते नहीं हैं।
प्र. अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान राम से जुड़े अन्य स्थलों तक घुमाने के लिए क्या उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई योजना बनाई है?
- अधिकांश ऐसे स्थानों को रेल लाइन से जोड़ दिया गया है। अयोध्या से देश के विभिन्न शहरों के लिए ट्रेन चलाई जाएगी। अभी भी उत्तर रेलवे की सबसे लंबी दूरी की ट्रेन हम लोगों ने 2018 में अयोध्या से रामेश्वरम तक चलवाया था। यह ट्रेन लगभग 2900 किलोमीटर की यात्रा करती है। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामेश्वरम में हरी झंडी दिखाई थी। यह सप्ताह में एक दिन चलती है। सभी स्थानों से आसानी से लोग आ-जा सकें, इसके लिए रेल लाइन का दोहरीकरण का कार्य पूरा होने वाला है। साथ ही रेल मंत्री यहां से 25-30 ट्रेन जल्द ही चलाने वाले हैं। अयोध्या स्टेशन को भी आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न किया जा रहा है। इसका पहला चरण पूरा होने वाला है। रामघाट हॉल्ट को भी अपडेट किया जा रहा है। सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों से लोग आ-जा सकें। इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर कार्य कर रही है।
समाज ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए सरकार बनाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जो व्यक्तित्व है, स्वाभाविक रूप से उसका लाभ स्वयं ही चुनाव में मिलेगा। भाजपा इसे चुनाव में ले जाए या न ले जाये, तब भी।
 
प्र. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने का रास्ता जब उच्चतम न्यायालय से साफ हो गया तो यहां जमीनों का गोरखधंधा शुरू हो गया। कई बड़े लोगों का नाम भी इससे जुड़ा। क्या इस पर अब लगाम लग गई है?
- जब मैं पहली बार विधायक बना तो मुझे पता चला कि पूरी अयोध्या में 80 प्रतिशत नजूल की जमीन है। इन जमीनों का अधिकांश पट्टा एक वर्ग को मिला हुआ था। यह नदी के किनारे की जमीन था। इन लोगों को सालाना खेती करने, सब्जी उगाने आदि के लिए किराये पर देते थे। तब जब कभी कोई विवाद होता था तो स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के कारण विवादों को हल करने के लिए मुझे वहां जाना पड़ता था। तब से मुझे समझ में था कि यहां नजूल की बहुत जमीन है। बीच में कुछ अधिकारियों, कर्मचारियों और कुछ जमीन का रोजगार करने वाले लोगों ने उस नजूल की जमीन को खतौनी में तब्दील करा दिया। बहुत सारे लोगों को नजूल की भूमि बेच दी गई। बाद में विकास प्राधिकरण उन्हें हटाने लगा तो बहुत से लोग मुझसे मिले। तब लगा कि यदि अभी से सचेत नहीं किया गया तो बहुत सारे लोग अपने जीवन भर की कमाई इसमें बर्बाद कर देंगे। हमने जब सूचनाएं इकट्ठा की तो उसमें कुछ जमीन नजूल की और कुछ राजकीय शासन के नाम से थी। तब हमने एक पत्र मुख्यमंत्री जी को लिखा कि ऐसी जमीनों का चिन्हीकरण किया जाएं। इसके एक-दो महीने बाद हमने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा। इस पर कार्यवाही हुई। 4500 बीघा जमीन इस प्रकार की निकली है। इसमें अब कुछ लोग हाईकोर्ट भी गए हैं। जिन लोगों ने इस तरह की जमीन कागजों पर अपने नाम कर ली थीं, अब वह सभी जमीन नजूल के नाम हो रही हैं। इससे भविष्य में आम लोगों को कठिनाई नहीं होगी। सरकार भी अपनी परियोजनाओं को पूरा कर सकेगी। अब प्रशासन सख्त हो गया है। लेकिन जो लोग इसमें फंस गए हैं, उन्हें कठिनाई हो रही है। बहुत सारे बड़े लोग भी इसमें फंसे हैं।
प्र. क्या भाजपा आगामी आम चुनाव में राम मंदिर को मुद्दा बनाएगी?
- दुनिया में जब कोई कार्य करता है तो उसका लाभ उसे ही मिलता है। यदि कोई गलत करता है तो उसका नुकसान भी उसे उठाना पड़ता है। जिस विचार परिवार की हमारी सरकार है, जिसने राम मंदिर के लिए एक आंदोलन किया, समाज को एक मुद्दे पर एकजुट कर खड़ा किया। समाज ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए सरकार बनाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जो व्यक्तित्व है, स्वाभाविक रूप से उसका लाभ स्वयं ही चुनाव में मिलेगा। भाजपा इसे चुनाव में ले जाए या न ले जाये, तब भी। यह कहने में भी मुझे कोई गुरेज नहीं है। हम तो पहले से कहते रहे हैं कि राम मंदिर बनने में जो बाधाएं आएगी, उसे हम दूर कर सदियों का सपना साकार करेंगे। जब हमारी सरकार बनी तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सभी बाधाएं दूर की, उससे राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ। तो फिर हम क्यों न इसका श्रेय लें।
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गुंजन कुमार

गुंजन कुमार (ब्‍यूरो प्रमुख)
प्रिंट मीडिया में डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव। 'दैनिक हिंदुस्तान' से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर 'हरिभूमि' में कुछ समय तक दिल्ली की रिपोर्टिंग की। इसके बाद साप्ताहिक 'दि संडे पोस्ट' में एक दशक से ज्यादा समय तक घुमंतू संवाददाता के रुप में काम किया। कई रिपोर्टों पर सम्मानित हुए। उसके बाद पाक्षिक पत्रिका 'यथावत' से जुड़े। वर्तमान में ‘युगवार्ता’ पत्रिका में बतौर ब्‍यूरो प्रमुख कार्यरत हैं।