आरबीआई की पेटीएम पर लगाम

युगवार्ता    23-Feb-2024   
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डिजिटल पेमेंट को बुलंदियों पर ले जाने वाले पेटीएम के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। पेटीएम ने आरबीआई के सारे नियमों का पालन नहीं किया और आरबीआई की निगरानी की जद में आ गया। यहीं से पेटीएम के लिए समस्याएं उत्पन्न हो गई। पेटीएम पर आरबीआई की कार्रवाई फाइनेंस कंपनियों के लिए एक नजीर भी है और सीख भी।
पेटीएम पेमेंटस बैंक
डिजिटल पेमेंट को बुलंदियों पर ले जाने वाले पेटीएम के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने पेटीएम की सहयोगी कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर रोक लगा दी है। आरबीआई ने 29 फरवरी 2024 के बाद से पेटीएम पेमेंट्स बैंक के किसी भी ग्राहक खाते में नए डिपॉजिट लेने, फंड ट्रांसफर और टॉपअप आदि करने से रोक दिया है। आज जब पेटीएम डिजिटल पेमेंट का पर्याय बन चुका है। ऐसे में पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई की लगाम सिर्फ पेटीएम के लिए ही नहीं, बल्कि देश भर में फैले पेटीएम के करोड़ों ग्राहकों के लिए एक वज्रपात के समान है। पेटीएम का दावा है कि 30 करोड़ लोग पेटीएम एप्प का इस्तेमाल करते हैं। और लगभग 3 करोड़ दुकानों में इसका स्कैनर लगा हुआ है। जानकारों का मानना है कि आरबीआई के इस आदेश से करोड़ों लोग प्रभावित होंगे। अब जबकि आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर रोक लगा दी है तो लोग परेशान हैं कि पेटीएम काम करेगा या नहीं। देश के कोने-कोने में 'पेटीएम करो' की आवाज गूंजती रहेगी या बंद हो जाएगी।
आइए जानते हैं कि आरबीआई के इस आदेश का मतलब क्या है। मोटे तौर पर पेटीएम पेमेंट्स बैंक का क्यूआर कोड, वॉलेट, फास्टैग, कार्ड मशीन और साउंड मशीन काम नहीं करेगा। इसमें जो पैसा है उसे खर्च किया जा सकता है। 29 फरवरी के बाद इसमें पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। यूपीआई चलता रहेगा यदि बैंक खाता किसी दूसरे बैंक का हो। हालांकि पेटीएम का कहना है कि 29 फरवरी के बाद भी पेटीएम पूर्ववत काम करता रहेगा अगर आरबीआई पेटीएम को किसी दूसरे बैंक के साथ काम करने की मंजूरी दे। बहरहाल पेटीएम पेमेंट्स बैंक काम नहीं करेगा लेकिन पेटीएम एप्प चलता रहेगा।
पेटीएम एप्प और पेटीएम पेमेंट्स बैंक में अंतर
आइए जानते हैं कि पेटीएम एप्प और पेटीएम पेमेंट्स बैंक में क्या अंतर है। पेटीएम एप्प और पेटीएम पेमेंट्स बैंक दो अलग-अलग कंपनियां हैं। पेटीएम एप्प चलाने वाली कंपनी वन-97 कम्युनिकेशन लिमिटेड है। इसमें पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के अलावे चीन की दिग्गज टेक कंपनी अलीबाबा और जापानी निवेशक कंपनी सॉफ्टबैंक की हिस्सेदारी है। वहीं पेटीएम पेमेंट्स बैंक में 51 प्रतिशत शेयर विजय शेखर शर्मा के हैं और 49 प्रतिशत शेयर वन-97 कम्यु निकेशन लिमिटेड के हैं। ये दोनों कंपनियां आपस में इतनी जुड़ी हुई है कि आम लोगों के लिए इसमें फर्क करना मुश्किल है। पेटीएम पेमेंट्स बैंक के जरिये ही पेटीएम का वॉलेट, फास्टैग और दुकानों का पेमेंट काम करता है। इसीलिए माना जा रहा है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक की पाबंदी का असर पेटीएम की अन्य सेवाओं पर पड़ेगा। हालांकि पेटीएम इन सेवाओं को पूर्ववत बहाल रखना चाहता है। इसके लिए पेटीएम की एक्सिस बैंक से बात चल रही है।
आइए अब जानते हैं कि डिजिटल पेमेंट का अग्रणी पेटीएम क्यों और कैसे मुसीबत में फंसा। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने केवाईसी यानी नो योर कस्टमर का पालन ठीक से नहीं किया है। किसी भी बैंक में खाता खोलने से पहले ग्राहक की जानकारी लेनी होती है। इसका पालन पेटीएम ने ठीक ढंग से नहीं किया है। जानकारों के अनुसार, लाखों खातों के केवाईसी नहीं थे। बड़ी संख्या में केवाईसी उल्लंघन की वजह से पेटीएम के कार्य व्यवहार पर शक उत्पन्न हुआ है। इतना ही नहीं पेटीएम पेमेंट्स बैंक में एक पैन कार्ड पर एक हजार बैंक खाते खुलने की खबर है। कई लाख बैंक खातों का पैन वैलिडेशन फेल हो गया था। पेटीएम वॉलेट में करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है। इन सबसे पेटीएम पेमेंट्स बैंक के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग यानी काला धन के सफेद होने की आशंका है। कानूनी भाषा में कहें तो पेटीएम के पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने आरबीआई के रेगुलेशन (नियमन) का पालन नहीं किया है। स्पष्ट है कि आरबीआई के नियमों को न मानने की वजह से आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के सभी ऑपरेशनों पर रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि आरबीआई ने पेटीएम के पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 29 फरवरी 2024 के बाद नए जमा लेने, फंड ट्रांसफर और नए ग्राहक बनाने से रोक दिया है। ऐसा नहीं है कि आरबीआई ने पेटीएम पर एकाएक निर्णय लिया है। बताते चलें कि आरबीआई ने 11 मार्च 2022 को बैंकों के नियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड को तत्काल प्रभाव से नए ग्राहकों को शामिल करने से रोकने का निर्देश जारी किया था। साथ ही कहा था कि उक्त बैंक को अपने आईटी सिस्टम की व्यापक सिस्टम लेखा परीक्षा करने के लिए एक आईटी लेखा परीक्षा फर्म को नियुक्ती करने का भी निर्देश दिया था। लेकिन पेटीएम ने आरबीआई की नोटिस मिलने के 23 महीने बाद भी इस पर कोई विचार नहीं किया। इसलिए आरबीआई ने 29 फरवरी के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक के सारे आॅपरेशनों पर रोक लगा दी क्योंकि आरबीआई के लिए मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के साथ-साथ ग्राहकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अगर पेटीएम ने आरबीआई की चेतावनी को गंभीरता से लिया होता और आरबीआई के नियमों का अनुपालन ठीक से करते हुए अपने को सुधारा होता तो पेटीएम को आज जो परेशानी हो रही है, उसका सामना करना नहीं पड़ता।
 
पेटीएम
पेटीएम का सफर
पेटीएम (Paytm) यानी पे थ्रू मोबाइल (Pay through Mobile)। साल 2010 में विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम एप्प लांन्च किया था। पहले इसका इस्तेमाल सिर्फ मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज के लिए होता था। 2014 में पेटीएम एप्प में वॉलेट लॉन्च किया। यह ऐसा डिजिटल बटुआ था जिसमें पैसा डालकर रखिए और पेमेंट करिए। आपको कैश लेकर चलने की जरूरत नहीं थी। 2016 में नोटबंदी के दौरान डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ा। उसके बाद यूपीआई यानी यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (United Payment Interface) ने तो डिजिटल पेमेंट की दुनिया में क्रांति ही ला दिया। इसमें डिजिटल वॉलेट या बटुए में पैसे रखने की जरूरत नहीं थीं। यूपीआई के जरिये आपको जिसे पैसा देना है आपके बैंक खाते से पैसा कटकर सीधे जिसे देना है उसके खाते में मिल जाते हैं। इतना ही नहीं जिसे आपको पैसा देना है उसके पास चाहे किसी भी बैंक में खाता हो, उसके पास पेटीएम हो, फोन पे हो या गूगल पे या कोई अन्य एप्प। भारत में डिजिटल पेमेंट की दुनिया में इस क्रांति का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है।
धीरे-धीरे पेटीएम ने अपना कारोबार फैलाना शुरू किया। भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी 2017 में पेटीएम को पेटीएम पेमेंट्स बैंक खोलने की अनुमति दी। हालांकि ये पेमेंट बैंक व्यावसायिक बैंकों से अलग होते हैं। ये बैंक सिर्फ पैसा जमा कर सकते हैं लेकिन किसी को कर्ज नहीं दे सकते हैं। इसलिए पेटीएम अपने ग्राहकों को कर्ज दूसरी फाइनेंस कंपनियों के जरिये देता है। इतना ही नहीं पेमेंट बैंक को जमा रकम सरकारी बॉन्ड में डालना होता है। इसलिए डिजिटल वॉलेट का पैसा सुरक्षित होता है।
वहीं पेटीएम चलाने वाली कंपनी वन97 कम्युनिकेशन लिमिटेड तीन तरह से पैसे बनाती है। पेमेंट सर्विसेज यानी दुकानदारों से फीस और कुछ पेमेंट में ग्राहकों से भी चार्ज लिया जाता है। फाइनेंशियल सर्विसेज यानी ग्राहकों को छोटा कर्ज देकर, शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में निवेश, कॉमर्स यानी सर्विस देकर या सामान बेचकर जैसे कपड़े, खाना, टिकट आदि पेटीएम पैसा बना रहा है। पेटीएम का कहना है कि एप्प बंद नहीं होगा।
पेटीएम को लेकर आरबीआई का आदेश

पेटीएम नोटिस  
इस बाबत भारतीय रिजर्व बैंक ने 31 जनवरी 2024 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। इसमें कहा गया है कि पेटीएम की आॅडिट रिपोर्ट और बाहरी आॅडिटरों की रिपोर्ट में यह पाया गया है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड ने लगातार नियमों का उल्लंघन किया है। इसलिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के 35ए नियम के तहत 29 फरवरी के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक में से ग्राहक कोई भी जमा-निकासी, फंड ट्रांसफर, वॉलेट, एनसीएमसी कार्ड, फॉस्ट टैग या टॉप अप का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। ‘पेटीएम पेमेंट्स बैंक से ग्राहकों को बैलेंस निकालने या उपयोग करने की अनुमति बिना किसी प्रतिबंध के जारी रहेगी। ये सुविधा उन ग्राहकों के लिए भी होगी जिनके पास पेटीएम के बचत और चालू खाते हैं, वे फास्ट टैग और एनसीएमसी कार्ड आदि का अपने शेष राशि की निकासी या उपयोग कर सकते हैं।’ 29 फरवरी के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड के ग्राहक बीबीपीओयू और यूपीआई का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। साथ ही आरबीआई ने 15 मार्च 2024 तक पेटीएम को सभी प्रक्रियाधीन लेनदेन और नोडल खातों का निपटान करने को कहा है। उसके बाद किसी भी प्रकार के लेनदेन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
 
“पेटीएम पेमेंट्स बैंक आरबीआई के निर्देशों के अनुपालन के लिए काम कर रही है और अब ये काम और तेजी से किए जाएंगे। एक पेमेंट कंपनी होने के नाते ओसीएल सिर्फ पेटीएम पेमेंट्स बैंक ही नहीं बल्कि कई बैंकों के साथ काम करती है। हम इस प्रक्रिया को तेज कर रहे हैं और जब से रोक लागू होगी तब हम पूरी तरह तरह से अपने बैंक पार्टनर्स पर निर्भर हो जाएंगे। भविष्य में ओसीएल पेटीएम पेमेंट्स बैंक नहीं बल्कि सिर्फ दूसरे बैंकों के साथ काम करेगा। ”  - वन 97 कम्‍युनिकेशन लिमिटेड
 
 
पेटीएम के प्रणेता विजय शेखर शर्मा

विजय शेेखर शर्मा 7 जून, 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम कंपनी बनाई। उनकी पढ़ाई-लिखाई हिंदी माध्यम के स्कू़ल में हुई। कई बार उनकी अंग्रेजी को लेकर मजाक भी बना। लेकिन उन्होंने कमजोर अंग्रेजी को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया। अंग्रेजी सीखने के लिए वे पुरानी अंग्रेजी पत्रिकाओं को पढ़ते थे। किसी अंग्रेजी पत्रिका को पढ़ते समय उन्होेंने किसी बिजनेस मैन की सफलता की कहानी पढ़ी। वहीं से वे अपना कुछ नया करने का सपना देखने लगे। नई तकनीक को लेकर उनकी गहरी रुचि थी। अपनी लगन और महनत से दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय ही उन्होंने ‘इंडियासाइट डॉट नेट’ नाम से एक वेबसाइट बनाई। कुछ समय बाद उन्होंने से एक मिलियन डॉलर में बेच दिया। वे यहीं नहीं रूके। इसके बाद उन्होंने कंटेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू की। इस कंपनी को उन्होंने अमेरिका के लोटस इंटरवर्क को लाखों रुपये में बेच दिया। उन्होंने इस कंपनी में कुछ दिनों तक नौकरी भी की। साल 2000 में पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशन लिमिटेड की नींव रखी। कंपनी ने अपना मुख्यालय नोएडा में बनाया। पहले वन97 कम्युनिकेशन लिमिटेड एक ऐसा प्लेटफार्म था जिसपर जोक्स, परीक्षा परिणाम, क्रिकेट मैच स्कोर और रिंगटोन आदि दिखाई जाती थी। साल 2010 में वन97 कम्युनिकेशन लिमिटेड के साथ विजय शेखर शर्मा ने डिजिटल प्लेटफार्म पेटीएम लॉन्च किया। 2016 में नोटबंदी के बाद पेटीएम कैशलेश इकोनॉमी का ‘पोस्टर ब्वाय’ बनकर उभरा। इस दौरान मोबाइल आधारित सर्विस प्रोवाइडर पेटीएम को जमकर मुनाफा हुआ। 2018 में पेटीएम को वारेन बफेट के वार्कशेयर हैथवे से 300 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली। इसके बाद विजय शेखर ने 500 मिलियन भारतीय ग्राहकों तक बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज को पहुंचाने और कंपनी को विकसित करने के इरादे से 2017 में पेटीएम पेमेंट्स बैंक की शुरुआत की। इसके बाद शेखर ने मुड़कर नहीं देखा। पेटीएम पेमेंट्स बैंक, पेटीएम पेमेंट्स गेटवे, पेटीएम पे आउट, पेटीएम मनी, पेटीएम इंसाइडर, पेटीएम इंश्योरेंस, पेटीएम पोस्टपेड, पेटीएम फॉर बिजनेस, पेटीएम क्रेडिट कार्ड और पेटीएम फर्स्ट गेम्स आदि इस कंपनी की सब्सिडियरी कंपनियां हैं। विजय शेखर की कुल नेटवर्थ 1.2 बिलियन डॉलर रही है।
 
 
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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।