देश-विदेश में रामोत्‍सव की गूंज

युगवार्ता    05-Feb-2024   
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अयोध्‍या नगरी में भव्‍य और दिव्‍य राम मंदिर निर्माण और जन्‍मभूमि में श्रीराम की प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उमंग, उत्‍साह और आनंद का वातावरण देखने को मिला।
रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के दिन भजन संध्‍या
गत 22 जनवरी को 500 सौ वर्षों के लंबे इंतजार और संघर्षों के बाद जन्‍मभूमि में श्रीराम विराजे हैं। इस संघर्ष में हजारों लोगों ने अपने प्राण गंवाए तो कई पीढ़ी भव्‍य मंदिर में रामलला की स्‍थापना की आस लिए ही परलोक सिधार गई। हम लोग भाग्‍यवान हैं, जिन्हें जन्‍मभूमि में रामलला की पुनस्‍र्थापना और प्राण प्रतिष्‍ठा का दिव्‍य दृश्‍य देखने को मिले हैं। प्राण प्रतिष्‍ठा में अयोध्‍या पहुंचे कार सेवकों और अन्‍य लोगों की आंखों से बहते खुशी के आंसू इस बात के प्रमाण हैं। अयोध्‍या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के उस ऐतिहासिक क्षण को सभी लोगों ने लाइव प्रसारण के जरिये देश और विदेशों में देखा। न सिर्फ देखा बल्कि लोग इस ऐतिहासिक क्षण का सहभागी भी बने। अयोध्‍या नगरी में भव्‍य और दिव्‍य राम मंदिर निर्माण और जन्‍मभूमि में श्रीराम की प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उमंग, उत्‍साह और आनंद का वातावरण देखने को मिला। विश्‍व हिन्‍दू परिषद के अनुसार, अमेरिका में लगभग 300 स्‍थानों पर , ब्रिटेन में 25, ऑस्ट्रेलिया में 30, कनाडा में 30, मॉरीशस में 100 स्‍थानों के अलावा आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी जैसे 50 से अधिक देशों में बड़े पैमाने पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्‍न हुए हैं। 50 से अधिक देशों में बड़े कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। दुनिया भर में 60 ऐसे देश हैं जहां हिंदू धर्म के लोग रहते हैं वहां रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा की लाइव स्‍ट्रीमिंग हुई है। 
पूरे देश में स्‍थानीय मंदिरों में देवी-देवताओं का पूजा अर्चन, श्रीराम जय राम जय जय राम, रामधुन, रामरक्षा स्‍तोत्र, हनुमान चलीसा और सुंदरकांड आदि का सामूहिक पाठ और रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद खीर, हलवा आदि का प्रसाद वितरण तथा सामूहिक भंडारे का आयोजन हुआ। उसी दिन सायंकाल करोड़ों घरों में दीप जलाकर लोगों ने दीपोत्‍सव मनाया। कहीं यह आयोजन एक दिन का तो कहीं यह आयोजन दो दिन में संपन्‍न हुआ। यह रामोत्‍सव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे रामभक्‍तों ने भी मनाया। हालांकि इस तरह के आयोजन के लिए श्रीराम जन्‍मभूमि तीर्थक्षेत्र ने विश्‍व भर के रामभक्‍तों से निवेदन किया था। राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ और विश्‍व हिंदू परिषद के स्‍वयंसेवकों ने लोगों के घर-घर जाकर इस बाबत निवेदन किया और अक्षत भेंटकर लोगों को परिवार सहित अयोध्‍याजी पधारने का आमंत्रण दिया। विचार परिवार के इस निवेदन से लोगों में गजब का उत्‍साह और उमंग देखने को मिला। इस आयोजन में रामभक्‍तों की अभूतपूर्ण सहभागिता देखने को मिली। लोगों ने बढ़-चढ़कर इस रामोत्‍सव में हिस्‍सा लिया। पूरे देश में लोग अपने गांव, गली-मुहल्‍ले, कॉलोनी, सोसाइटी आदि में बड़ी टीवी, एलईडी स्‍क्रीन या पर्दा आदि लगाकर रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा का लाइव प्रसारण देखा। प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर छोटे बच्‍चों सहित बड़े लोगों में गजब का उत्‍साह देखने को मिल रहा था।
इसके पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 30 दिसंबर को महर्षि वाल्‍मीकि अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डा और पुनर्विकसित अयोध्‍या धाम रेलवे स्‍टेशन का लोकार्पण के जरिये नव्‍य, दिव्‍य और भव्‍य अयोध्‍या की गौरव का भान कराया। अयोध्‍या ही नहीं बल्कि पूरा देश राममय दिखा। प्रधानमंत्री विश्‍व के लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं कि लोगों को किसी अभियान से कैसे जोड़ना है। पूरे देश में राम मंदिर को लेकर राममय वातावरण बनाने में उन्‍होंने इसका इस्‍तेमाल किया। इसके लिए उन्‍होंने भजन का प्रयोग किया। लागों से अपील करते हुए उन्‍होंने 31 दिसंबर को अपने एक्‍स पर लिखा- ''प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर को लेकर पूरे देश में उमंग और उत्साह है। कला जगत भी अपनी अनूठी शैली में इस ऐतिहासिक क्षण का सहभागी बन रहा है। मेरा आग्रह है कि #ShriRamBhajan के साथ आप अपनी रचनाओं को सोशल मीडिया और NaMo App पर जरूर शेयर करें। मैं उनमें से कुछ रचनाओं को अपनी ओर से भी शेयर करूंगा।''
इसके बाद लोगों ने अपने सोशल मीडिया पर और नमो ए‍प पर अपनी रचनाओं को शेयर करना शुरू किया। उनमें से सबसे पहले 3 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्‍स पर एक भजन शेयर किया। और लिखा - ''श्रीराम लला के स्‍वागत में स्‍वाति मिश्रा जी का भक्ति से भरा यह भजन मंत्रमुग्‍ध करने वाला है- ‘राम आएंगे’। उसके बाद हर दिन प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया एक्‍स पर एक-एक भजन शेयर किया। फिर प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जनवरी को अपने सोशल मीडिया एक्‍स पर भजनों की एक श्रृंखला जारी की ।
नमो एप पर कई भाषाओं में 250 से अधिक भजनों का वीडियो आया। उनमें से कुछ को शामिल करते हुए प्रधानमंत्री ने भजनों का एक प्‍ले लिस्‍ट साझा किया। प्रधानमंत्री ने जो प्‍ले लिस्‍ट जारी किया है उनमें ‘मंगल भवन अमंगल’ हारी सहित 62 भजन शामिल हैं। उन्‍होंने अपने एक्‍स पर लिखा कि प्रत्‍येक भजन भाषा से परे है जो श्रद्धा से हमें एकजुट करता है। इसके बाद 21 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया एक्‍स पर एक साथ तीन भजन शेयर किया।
इन भजनों ने पूरे भारत को न केवल एक किया बल्कि इस पुण्‍य अवसर पर उत्‍तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक, राम भक्‍तों को प्रभु श्रीराम की भक्ति में सराबोर कर दिया। ऐसा लग रहा था कि पूरा भारत राममय है। इस दौरान राम मंदिर को लेकर प्रतिदिन सोशल मीडिया पर दस लाख से अधिक पोस्‍ट किए गए। अकेले इंस्‍टाग्राम पर पांच लाख से अधिक रील प्रतिदिन अपलोड किए गए।
जन्मभूमि मंदिर को समर्पित छह स्मारक डाक टिकट जारी

राम जन्‍मभूमि से जुड़े डाक टिकट जारी करते प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर स्मारक डाक टिकट जारी किया। ये छह डाक टिकट श्रीराम मंदिर, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, जटायु, केवटराज और माता शबरी पर हैं। उन्होंने दुनियाभर में प्रभु श्रीराम पर जारी टिकटों से जुड़ी एक पुस्तक का अनावरण भी किया। 48 पेज के इस पुस्‍तक में 20 देशों के टिकट हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि स्मारक डाक टिकट और यह पुस्तक आने वाली कई पीढ़ियों को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के इस पावन अवसर का स्मरण कराती रहेगी। प्रधानमंत्री ने उन संतों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ मिलकर स्मारक टिकट जारी करने में डाक विभाग का मार्गदर्शन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पत्र या महत्वपूर्ण दस्तावेज भेजने के लिए लिफाफे पर ये टिकट चिपकाए जाते हैं। लेकिन वे एक अन्य उद्देश्य भी पूरा करते हैं। डाक टिकट ऐतिहासिक घटनाओं को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने के माध्यम के रूप में भी काम करते हैं। इसलिए जब भी आप किसी को डाक टिकट के साथ कोई पत्र या वस्तु भेजते हैं, तो आप उन्हें इतिहास का एक टुकड़ा भी भेज रहे होते हैं। ये टिकट सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि इतिहास की किताबों, कलाकृतियों और ऐतिहासिक स्थलों का सबसे छोटा रूप हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये स्मारक टिकट हमारी युवा पीढ़ी को प्रभु राम और उनके जीवन के बारे में जानने में भी मदद करेंगे। इन टिकटों पर कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से प्रभु राम के प्रति भक्ति व्यक्त की गई है और लोकप्रिय चौपाई 'मंगल भवन अमंगल हारी' के उल्लेख के साथ राष्ट्र के विकास की कामना की गई है। इन टिकटों पर सूर्यवंशी राम के प्रतीक सूर्य की छवि है, जो देश में नए प्रकाश का संदेश भी देता है। इनमें पुण्य नदी सरयू का चित्र भी है, जो राम के आशीर्वाद से देश को सदैव गतिमान रहने का संकेत करती है। मंदिर के आंतरिक वास्तु के सौंदर्य को बड़ी बारीकी से इन डाक टिकटों पर प्रिंट किया गया है। रामायण पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र रही है। जिस पुस्तक का लोकार्पण हुआ है, वह इन्हीं भावनाओं का प्रतिबिंब हैं कि कैसे पूरे विश्व में भगवान राम, माता सीता और रामायण को बहुत गौरव से देखा जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया, कंबोडिया, कनाडा, चेक गणराज्य, फिजी, इंडोनेशिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, गुयाना, सिंगापुर उन कई देशों में से हैं, जिन्होंने भगवान राम के जीवन की घटनाओं पर बहुत रुचि के साथ डाक टिकट जारी किए हैं।
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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।