राहुल की न्याय यात्रा

06 Feb 2024 17:49:40

rahul gandhi
 
राहुल लोकसभा के पहले फिर एक यात्रा पर निकल चुके हैं। सफलता की स्थिति पर कुछ नहीं कहा जाये तोसही रहेगा क्योंकि इससे राहुल गांधी का मनोबल बना रहेगा।
 
राहुल गांधी की न्याय यात्रा किसे न्याय दिलाने निकली है, यह शायद उन्हें भी नहीं पता। वैसे यह पहली बार
नहीं जब राहुल ऐसा काम कर रहे हैं। इससे पहले भी वे कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा कर चुके हैं।
परिणाम सबके सामने है। कांग्रेस राजस्थान के साथ छत्तीसगढ़ का भी चुनाव हार गयी। मध्य प्रदेश में स्थिति
और नाजुक हो गयी। अब लोकसभा के पहले राहुल फिर एक यात्रा पर निकल चुके हैं। सफलता की स्थिति पर
कुछ नहीं कहा जाये तो सही रहेगा। क्योंकि इससे राहुल गांधी का मनोबल बना रहेगा। भ्रम ही सही पर उनका
यह भ्रम बीजेपी के लिए अच्छा है।
राहुल की यह यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू हुई थी। यह यात्रा फिलहाल बिहार में प्रवेश कर चुकी है।
इससे पहले मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल में यात्रा पूरी कर ली है। यात्रा के दौरान राहुल
गांधी बीच-बीच में ब्रेक भी ले रहे हैं। यह सेहत के लिए ठीक भी है। यात्रा के संदर्भ में सत्ताधारी भारतीय
जनता पार्टी ने कहा है कि राहुल गांधी को हमारे देश में गंभीरता से नहीं लिया जाता। वैसे कांग्रेस के नेता पी.
चिदम्बरम ने जिस डिजिटल पेमेंट का मजाक बनाया था आज उसी के तहत कांग्रेस डिजिटल डोनेशन ले रही
है।
बिहार में इन सीटों को
कवर करेंगे
यात्रा के दौरान राहुल गांधी किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, सासाराम को कवर करेंगे। झारखंड में गिरिहीड, धनबाद,
हजारीबाग, रांची, जमशेदपुर, दुमका, कांटी, सिंहभूम और पलामू संसदीय क्षेत्र से राहुल की यात्रा गुजरेगी। उनमें से
वर्तमान में सात भाजपा के पास हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर से मुंबई के लिए निकली न्याय यात्रा
आरक्षित श्रेणी के 30 संसदीय क्षेत्रों (13 अनुसूचित जाति और 17 अनुसूचित जनजाति) को भी कवर करेगी।
उनमें से बिहार का सासाराम भी है। राहुल बिहार से दो बार गुजरेंगे। पहले चरण में वे सीमांचल के चार
संसदीय क्षेत्रों (किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार) में जनसंवाद व जनसभा कर झारखंड निकल जाएंगे। दूसरे
चरण में वे झारखंड होते हुए शाहाबाद में प्रवेश करेंगे और उत्तर प्रदेश होते हुए गंतव्य की ओर बढ़ेंगे। दूसरे
चरण में भी उनकी यात्रा चार संसदीय क्षेत्रों (बक्सर, औरंगाबाद, काराकाट, सासाराम) से गुजरेगी। पिछले चुनाव
में कांग्रेस को बिहार में एकमात्र सीट मिली थी। वह किशनगंज है।
कांग्रेस का मानना है कि पहली यात्रा से राहुल की छवि बेहतर हुई और उनका राजनीतिक कद बढ़ा था इसलिए
यात्रा का दूसरा चरण सामने आया है। लेकिन क्या इतनी बड़ी यात्रा, यात्रा में लगे संसाधन सिर्फ एक व्यक्ति के
छवि के लिए दांव पर लगा देना सही है। जो कांग्रेस 1885 में बनी आज वह इस स्थिति में आकर खड़ी हो
गयी है जहां उसे नेता की छवि की ज्यादा चिंता है बजाय चुनाव जीतने या एक गंभीर विपक्ष दिखने के। वरिष्ठ
पत्रकार और लेखिका नीरजा चौधरी कहती हैं, ‘लोगों को अच्छा लगता है, जब राजनेता उनके पास जाते हैं और
उनकी बात सुनते हैं लेकिन क्या इससे लोग चुनाव में पार्टी के पक्ष में बाहर आएंगे या फिर क्या इससे कांग्रेस
की संभावनाओं पर असर पड़ेगा, ये बहस लायक बात है।
कांग्रेस का मानना है कि पहली यात्रा से राहुल गांधी की छवि बेहतर हुई और उनका राजनीतिक कद बढ़ा था
इसलिए यात्रा का दूसरा चरण सामने आया है।
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