बेबसी का नाम संदेशखाली

युगवार्ता    13-Mar-2024   
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संदेशखाली में जिस तरह गरीबों के जर-जोरु पर जबरन कब्‍जा किया जा रहा है, वह एक आफत का संदेश है। क्‍योंकि कमोबेस यही हाल पूरे पश्चिम बंगाल का है। ऐसे में 'मां, माटी, मानुष' के लोकप्रिय नारे के सहारे पश्चिम बंगाल की सत्‍ता में आईं मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के दावों की पोल खुल चुकी है। ममता सरकार को भाजपा द्वारा राजनीतिक लाभ का रोना रोने के बजाय, राज्य सरकार को दोषियों को न्याय के कटघरे में लाकर जनता के विश्वास को बहाल करना चाहिए।
प्रदर्शन करतीं संदेशखाली की महिलाएं 
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में अकेले 1250 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 400 मामले जमीने हड़पने और 850 मामले यौन उत्‍पीड़न के हैं। कमोबेस यही हाल पूरे पश्चिम बंगाल का है। ऐसे में 'मां, माटी, मानुष' के लोकप्रिय नारे के सहारे पश्चिम बंगाल की सत्‍ता में आईं ममता बनर्जी की प्रतिबद्धता के दावों की पोल खुल चुकी है। संदेशखाली के स्‍थानीय महिलाओं की गवाही के सामने तृणमूल कांग्रेस के दावों की यह प्रतिबद्धता हास्‍यास्‍पद प्रतीत हो रही है। स्‍थानीय महिलाओं के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस के बाहुबली नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगी उत्‍तम सरदार और शिबू हाजरा के गुर्गे वर्षों से उनका यौन शोषण कर रहे हैं। इतना ही नहीं शाहजहां शेख के नेतृत्व में स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के गुर्गों द्वारा कृषि योग्‍य भूमि हड़पने का काम साथ-साथ किया गया। कहने की आवश्‍यकता नहीं है पुलिस प्रशासन की शह पर इन लोगों ने आम लोगों से कृषि योग्य भूमि छीन ली और उन्हें झींगा फार्मों में बदल दिया। इस आकर्षक जमीन हड़पने की लूट को वर्षों तक नेता, पुलिस और गुंडों के बीच बांटा जाता रहा। यह कितनी बड़ी विडंबना है कि सिंगुर और नंदीग्राम में कृषि भूमि की रक्षा के लिए आंदोलन के दम पर सत्‍ता में आई पार्टी किसानों की भूमि की रक्षा न कर शेख शाहजहां जैसे बाहुबली नेता को प्रश्रय और संरक्षण दे रही है। यह स्‍पष्‍ट रूप से व्‍यवस्‍थागत विकृति की ओर इशारा करता है। इतना ही नहीं न तो मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घिनौने प्रकरण की निंदा की है और न ही पुलिस ने इस मामले पर कार्रवाई की है। इस पूरे मामले में एक महिला मुख्यमंत्री की रहते सत्ता का इतना बेशर्म दुरुपयोग और महिलाओं का बड़े पैमाने पर शोषण होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
बंगाल पुलिस के अनुसार, 29 फरवरी को शेख शाहजहां को उत्‍तर 24 परगना जिले के मिनांखा से गिरफ्तार कर लिया गया है। वे एक घर में छिपे हुए थे। उन पर राशन वितरण के साथ जमीन घोटाले का भी आरोप है। अब तक छपे रिपोर्टों के अनुसार, पश्चिम बंगाल के राशन वितरण घोटाले में करीब 10 हजार करोड़ का भ्रष्‍टाचार हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में सबसे पहले बंगाल के पूर्व मंत्री ज्‍योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान शाहजहां शेख की संलिप्‍तता सामने आई। गत पांच जनवरी को जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम उनसे पूछताछ करने पहुंची तो उनके गुर्गों ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया। इस हमले में कई अधिकारी घायल हुए। हमले के बाद से ही प्रवर्तन निदेशालय शाहजहां शेख को पूछताछ के लिए समन जारी कर रही थी, लेकिन हमले के बाद से ही शाहजहां शेख फरार था। लेकिन संदेशखाली उस समय चर्चा में आया जब वहां की महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों उत्‍तम सरदार और शिबू हाजरा पर कथित यौन उत्‍पीड़न और जमीन हड़पने के आरोप लगाए। न सिर्फ आरोप लगाए बल्कि उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। संदेशखाली की महिलाओं ने एक वायरल विडियो में आरोप लगाया है कि ''टीएमसी पार्टी के लोग आते हैं और एक-एक घर का सर्वे करते हैं। जिस घर में किसी की सुंदर पत्‍नी होती है, या जवान लड़की होती है। उसे वे पार्टी कार्यालय ले जाते हैं। कई रातों तक उन्‍हें वहां रखा जाता था...जब तक वे संतुष्‍ट नहीं हो जाते...''

न्‍यायाधीश टी एस शिवगणनम 
वहीं कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि गांव में पुरुषों को तृणमूल कांग्रेस की पार्टी बैठकों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता था। और अगर कोई इससे इनकार करता था तो उनकी पत्नियों को धमकी दी जाती थी। ऐसे चिंताजनक हालात संदेशखाली का था। महिलाओं के आरोपों के बाद प्रमुख विपक्षी दलों खासकर भाजपा के प्रतिनिधिमंडल और नागरिक समाज समूहों ने वहां का दौरा किया। दूसरी तरफ राज्‍य सरकार ने धारा 144 लगाकर इस विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की। लेकिन 8 फरवरी से महिलाओं का यह विरोध प्रदर्शन और उग्र होता गया। महिलाओं द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद एससी-एसटी आयोग ने संदेशखाली का दौरा किया। फिर राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने और उसके बाद राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संदेशखाली हिंसा और महिलाओं के साथ कथित यौन उत्‍पीड़न की घटना पर संज्ञान लेते हुए राज्‍य के मुख्‍य सचिव और पुलिस महानिदेशक से संदेशखाली मामले पर रिपोर्ट मांगी। राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि संदेशखाली की महिलाओं का यौन उत्‍पीड़न तृणमूल कांग्रेस के नेता और पुलिस अधिकारी करते थे। पश्चिम बंगाल से लेकर नई दिल्‍ली तक संदेशखाली का मामला पिछले 55 दिनों से गरमाया हुआ है। भाजपा लगातार ममता सरकार पर शेख शाहजहां को बचाने का आरोप लगाती रही। तब जाकर कलकता उच्‍च न्‍यायालय के आदेश के बाद ममता सरकार की पुलिस ने शाहजहां शेख को फरारी के 55 दिनों बाद नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार किया है। पुलिस ने शेख को बशीरहाट कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 10 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।

संदेशखाली का घटनाक्रम 
बहरहाल, संदेशखाली को लेकर इतना बवाल मचा कि लगता है कि अब शासन-प्रशासन भी नींद से जाग गया है और संदेशखाली में जबरन कब्जा की गई जमीन पर अब कार्रवाई हो रही है। सरकारी कैंप में प्रशासन जमीनों की जांच में जुटा है और जमीन उसके असल मालिक को लौटाई जा रही है। प्रशासन के मुताबिक, जांच के बाद अब तक 65 लोगों को जमीन का मालिकाना हक लौटाया गया है। ये जमीनें 22 फरवरी के बाद 28 फरवरी तक वापस की गई हैं।
तृणमूल कांग्रेस इसे भाजपा का चुनावी एजेंडा कह रही है। यह सही है कि आम चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा ने इसे हथिया लिया होगा। लेकिन संदेशखाली में गरीबों के जमीन पर जबरन कब्‍जा और महिलाओं का यौन शोषण की घटनाएं महज राजनीतिक कह कर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अलबत्‍ता ममता सरकार को राजनीतिक लाभ का रोना रोने के बजाय, दोषियों को न्याय के कटघरे में लाकर जनता के विश्वास को बहाल करने और संदेशखाली में हड़पी गई भूमि को उसके असली मालिकों को लौटाने की तत्काल आवश्यकता है।

संदेशखाली के आरोपी
संदेशखाली : शेख और उसके गुर्गों का ठिकाना
संदेशखाली, पश्चिम बंगाल की उन 14 विधानसभाओं में शामिल है जोकि भारत-बांग्‍लादेश की सीमा से सटी है। यह हिन्‍दू अनूसूचित जनजाति बहुल इलाका है। कुछ समय पहले तक संदेशखाली में मुस्लिम आबादी न के बराबर थी, आज यहां बड़ी आबादी रोहिंग्या मुसलमानों की है। इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में बांग्‍लादेश से अवैध घुसपैठ बढ़ गई है। दुर्भाग्‍य से वहां की जनसांख्यिकी बदलने की यह साजिश तृणमूल कांग्रेस की राज्‍य सरकार के सहयोग से हो रहा है। ऐसे में यह क्षेत्र पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की आतंकी गतिविधियों के अलावा कई आपराधिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। हिन्दू अनुसूचित जाति की महिलाओं एवं नाबालिग लड़कियों को इस इलाके के दबंग घुसपैठिये अपनी हवस के लिए जबरन उठा लेते हैं। यह विडंबना ही है कि शेख शाहजहां और उसके गुर्गे दलित महिलाओं/नाबालिग लड़‌कियों का अपहरण कर अपने कथित अड्डों, तृणमूल कांग्रेस के कार्यालयों आदि स्थानों ले जाते थे। जहां वे सभी उन महिलाओं/नाबालिग लड़कियों के साथ महीनों तक गैंग रेप करते थे। इस क्षेत्र में गो तस्‍करी, मादक पदार्थों की तस्‍करी और हथियारों की तस्‍करी आदि अपराधों में संलिप्त शेख शाहजहां जैसे मुस्लिम दबंगों का बोलबाला है। रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने और दर्जनों आपराधिक/अमानवीय गतिविधियों में संलिप्त शेख शाहजहां ने अवैध कमाई से अरबों की गैर-कानूनी संपत्ति बना ली है। पहले ये लोग माकपा में थे। अब यह तृणमूल कांग्रेस के सम्मानित नेता है।
 
भाजपा नेता शुभेन्‍दु अधिकारी
क्‍यों मचा है बवाल
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में स्थानीय तृणमूल नेता शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इस मामले में ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम पर पांच जनवरी को भीड़ ने उस समय हमला किया था, जब उसने पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के संदेशखाली में शेख के आवास में प्रवेश करने की कोशिश की थी। इस हमले में तीन अधिकारी घायल हो गए थे। इसके बाद से शेख फरार है और स्थानीय लोग संदेशखाली में प्रदर्शन कर रहे हैं। संदेशखाली में जो कुछ सामने आया है अथवा आ रहा है, वह कोई पहली बार घटित नहीं हुआ है। हिन्दू महिलाओं के साथ गैंग रेप की एक नहीं बल्कि सैकड़ों घटनाएं सामने आ चुकी है। इस क्षेत्र में हिन्दुओं के खिलाफ अत्याचारों और उत्पीड़न की एक लम्बी फेहरिश्‍त है। जिसके खिलाफ आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने जब भी आवाज उठायी तो परिणाम में उन्हें ही निशाना बनाना शुरू कर दिया गया। न सिर्फ उनकी हत्या की गयी और बल्कि उनके घरों को भी जला दिया गया।
 
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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।