नई दिल्ली, 15 मार्च (हि.स.)। केन्द्र सरकार ने फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया में व्यापक सुधार के लिए सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है। इसके तहत फिल्मों के प्रमाणन की पूरी प्रक्रिया को बेहतर और समसामयिक बनाने के लिए व्यापक बदलाव किया गया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार नए नियमों के तहत फिल्म उद्योग के लिए ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रियाओं को अपनाया गया है। इससे बेहतर पारदर्शिता, दक्षता और व्यापार करने में आसानी आयेगी। भारत सरकार ने सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 1983 के स्थान पर सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।
नए नियमों में फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया की समय-सीमा में कमी और सभी लेन-देन के समय को खत्म करने के लिए पूर्ण डिजिटल प्रक्रियाओं को अपनाया गया है। मौजूदा यूए श्रेणी को तीन आयु-आधारित श्रेणियों में उप-विभाजित किया गया है। बारह वर्ष के बजाय अब सात वर्ष (यूए 7 ), तेरह वर्ष (यूए 13 ), और सोलह वर्ष (यूए 16 ) का प्रमाण दिया जाएगा। यह माता-पिता या अभिभावकों के लिए केवल अनुशंसा होगी। सीबीएफसी बोर्ड और सीबीएफसी के सलाहकार पैनलों में महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
पारदर्शिता बढ़ाने और सभी विवेकाधिकारों को दूर करने के लिए फिल्मों की प्राथमिकता स्क्रीनिंग की प्रणाली अपनायी जाएगी। व्यवसाय करने में आसानी के अनुरूप फिल्म की रिलीज की अपनी पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण फिल्म-निर्माताओं तात्कालिकता का भी ध्यान रखा जाएगा।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमाणपत्रों में अब स्थायी वैधता होगी। पहले यह केवल 10 वर्षों के लिए प्रमाणपत्र की वैधता होती थी। टेलीविज़न प्रसारण के लिए संपादित फ़िल्म का पुन:प्रमाणीकरण होगा। ऐसा इसलिए है कि केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी श्रेणी की फ़िल्में ही टेलीविज़न पर दिखाई जा सकती हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ अनूप/जितेन्द्र