- देवी स्वरूपा लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन का प्रत्येक प्रसंग आज भी अनुकरणीय एवं प्रेरणादायक
इंदौर, 31 मई (हि.स.)। अपना जीवन सिर्फ सफल ही नहीं, सार्थक भी होना चाहिए। लोकमाता का जीवन वास्तव में सार्थकता से परिपूर्ण था। वे कहा करती थीं कि मेरे प्रत्येक राजकीय कृत्य का उत्तर मुझे परमात्मा को देना है। अपने कृति व कर्म की जिम्मेवारी मेरी स्वयं की है। इन कार्यों को करने के लिए ईश्वर ने मेरा चयन किया, अतः मैं अपने प्रत्येक कार्य को श्रेष्ठता के साथ करूंगी। उक्त उद्गार इंदौर में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह का भव्य शुभारंभ करते हुए शुक्रवार को मुख्य वक्ता पद्मश्री निवेदिता भिड़े (विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी) ने व्यक्त किए।
उन्होंने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि अपने जीवन के विविध दायित्वों को निभाते हुए ही उनका जीवन विकसित हुआ था। वे न्याय व निर्णय इस प्रकार से करती थीं कि दोनों ही पक्ष उससे सहमत हो जाते थे। एक समय राहगीरों से लूटपाट भील समूहों को ही उन्होंने प्रभावी रूप से समझाकर, सभी यात्रियों की सुरक्षा का कार्यभार की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंप दी थी। वहीं, पद्मश्री निवेदिता भिड़े ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन से जुड़े अनेक प्रसंग सुनाते हुए उनकी चुनौतियों एवं स्त्री शिक्षा, संस्कार, व्यवहार एवं हिन्दू सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान में उनके योगदान को विस्तार से बताया।
उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ, महामंडलेश्वर किरणदासबापू महाराज तथा महामंडलेश्वर कृष्णवदन महाराज के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, राष्ट्र सेविका समिति की संचालिका शांता अक्का, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ,राज्यसभा सांसद पद्म विभूषण सोनल मानसिंह,पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पद्मभूषण सुमित्रा महाजन, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित समारोह समिति के समस्त सदस्य इस आयोजन में उपस्थित रहे।
दरअसल, कार्यक्रम का आरंभ इंदौर के ख्यातनाम कलाकार पं गौतम काले एवं उनके सहयोगियों द्वारा देवी अहिल्याबाई के जीवन पर केंद्रित संगीतमय भावपूर्ण प्रस्तुति द्वारा हुआ। फिर मुख्य कार्यक्रम का आरंभ माँ अहिल्याबाई के समक्ष पुष्पांजलि व दीप प्रज्वलित कर हुआ। अपने आशीर्वचन में महामंडलेश्वर कृष्णवदन महाराज ने कहा, ‘‘हमारे भारत वर्ष में हर घर में अहिल्याबाई जैसी बेटी जन्म ले व राष्ट्र की उन्नति की कारक बने।’’ वहीं, भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने कहा कि देश की व्यवस्था बिना धर्म के चल नहीं पाई है , देवी अहिल्याबाई ने ऐसी ही धर्मनिष्ठ होकर अनुकरणीय राजकाज का संचालन किया।
इसके साथ ही कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत तथा पूज्यनीय अम्मा अमृतानंदमयी के संदेश का वाचन हुआ। अपने शुभकामना संदेश में पद्मविभूषण डॉ. सोनलमान सिंह ने कहा, ‘‘मुझे इस समिति से जुड़ने का जब सौभाग्य मिला , तो मुझे लगा जैसे कि मुझे अहिल्या-रत्न मिल गया हो।’’ उन्होंने कहा कि देश कि राजधानी दिल्ली में भी माता अहिल्याबाई का स्मारक बनना चाहिए।
इस अवसर पर शुभकामनाएं प्रकट करते हुए पद्मभूषण सुमित्राताई महाजन ने कहा, ‘‘हम इन्दौर वासी तो देवी अहिल्याबाई के जीवन को हर अवसर पर याद करते ही हैं, अब पूरा भारत जानेगा अहिल्या माता की पुण्याई को।’’ इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना रहा कि आज लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी का शुभारंभ हो रहा है , मेरा संकल्प है कि इसका भव्य समापन अवश्य होगा। प्रदेश सरकार इसके लिए पूरा सहयोग करेगी।
हजारों की संख्या में समाज जाति प्रमुख, कार्यकर्ताओं, प्रबुद्ध जन सम्मिलित हुए
कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. चन्द्रकला पाडिया ने रखी। आपने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की जयंती की त्रिशताब्दी के आयोजनो हेतु “लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति” का गठन किया गया है। समाजसेवी एवं होलकर राजवंश के उदय सिंह राजे होलकर समिति के कार्याध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे। प्रसिद्द नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंग एवं पद्मभूषन सुमित्रा महाजन समिति की संरक्षक रहेंगी। समिति के सदस्यों में देश की कई गणमान्य विभूतियां सम्मिलित हैं।
इस अवसर पर श्री चिन्मयी मुले की पुस्तक “लोकमाता अहिल्याबाई होलकर– द क्वीन ऑफ़ इंडोमिटेबल स्पीरिट” का विमोचन किया गया। साथ ही संपूर्ण देश में वर्ष पर्यंत चलने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए आयोजन समिति की सचिव माला ठाकुर ने बताया समिति के द्वारा वर्ष भर में अनेक कार्यशालाएँ, सेमिनार तथा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में लोकमाता के साहित्य का प्रकाशन किया जाएगा। लोकमाता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ तीर्थ स्थलों के चित्रों सहित एक कॉफ़ी टेबल बुक का भी प्रकाशन होगा। ललितकलाओं जैसे संगीत, नाटक, चित्रकला आदि के माध्यम से देवी अहिल्याबाई के जीवन को जन जन तक पहुंचाया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक/प्रभात