अमेरिकी असॉल्ट राइफलों के लिए 659 करोड़ से खरीदे जाएंगे नाइट विजन उपकरण

15 Oct 2025 20:08:01
नाइट विजन हथियार


- अंधेरे में फायरिंग करने के लिए 'आंखों' से लैस न होने के कारण हो रही थीं मुश्किलें

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (हि.स.)। अमेरिकी कंपनी सिग सॉयर की 7.62 x 51 मिमी. असॉल्ट राइफलों में लगाने के लिए नाइट विजन उपकरण खरीदे जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को भारतीय सेना की असॉल्ट राइफलों के लिए 659.47 करोड़ का यह सौदा दो कंपनियों के साथ किया है। नाइट साइट सैनिकों को सिग-716 असॉल्ट राइफल की लंबी प्रभावी रेंज का पूरा लाभ उठाने में सक्षम बनाएगी। यह नाइट विजन तारों की रोशनी में भी 500 मीटर की प्रभावी रेंज तक के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं और मौजूदा पैसिव नाइट साइट की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार होगा।

रक्षा मंत्रालय ने आज कानपुर की कंपनी एमकेयू लिमिटेड और नोएडा की कंपनी मेडबिट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ 659.47 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सौदा भारतीय सेना के लिए 7.62 x 51 मिमी असॉल्ट राइफल के लिए नाइट साइट (इमेज इंटेंसिफायर) और सहायक उपकरणों की खरीद के लिए किया गया है। 51 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ यह खरीद रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस पहल से घटकों के निर्माण और कच्चे माल की आपूर्ति में शामिल लघु उद्यमों को भी लाभ होगा।

भारतीय सेना ने फरवरी, 2019 में अमेरिकी कम्पनी 'सिग सॉयर' से 600 मीटर दूरी तक मार करने की क्षमता वाली 72 हजार 400 सिग-716 असॉल्ट रायफलें खरीदी थीं। फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) सौदे के तहत 647 करोड़ रुपये से खरीदी गईं 7.62X51 मिमी. कैलिबर असॉल्ट राइफल्स की दिसम्बर 2019 में आपूर्ति हुई। सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित उत्तरी कमान को यह राइफलें दी गईं। भारतीय सेना की सभी पैदल सेना की बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत सिग सॉयर राइफलों मिली हैं। पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात पैदल सेना की बटालियनों को सिग सॉयर राइफल अधिक संख्या में मिली हैं, जबकि अन्य बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत दी गई हैं। इसके अलावा इन राइफल्स का इस्तेमाल भारतीय सेना अपने एंटी-टेरर ऑपरेशन्स में कर रही है।

भारतीय सशस्त्र बलों में हथियारों की कमी को पूरा करने के लिए खरीदी गईं 72,400 राइफल्स में से सेना को 66,400, भारतीय वायु सेना को 4,000 और नौसेना को 2,000 दी गईं थीं। इससे पहले खरीदी गईं 72,400 राइफलें कश्मीर और पूर्वोत्तर में नियंत्रण रेखा के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में इस्तेमाल की जा रही हैं। भारतीय सेनाओं के पास मौजूदा समय में लगभग 20 लाख हथियार उपयोग में हैं। भारतीय सेना विभिन्न प्रकार की असॉल्ट राइफलों का उपयोग करती है, इनमें इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम), एके-47, सिग सॉयर 716 और टावर बंदूकें हैं। छोटे हथियारों की सूची में लगभग 10 लाख इंसास राइफलें बड़ा हिस्सा हैं।

आखिरकार, सिग-716 राइफल्स भारत के सैनिकों के लिए भी 'अजेय' हथियार का विकल्प बन गईं, लेकिन यह अंधेरे में काम करने के लिए 'आंखों' से लैस न होने से दिक्कतें हुईं। दरअसल, अमेरिका से सौदा करते समय इन राइफल की कीमत कम रखने के लिए ऑप्टिकल डिवाइस को नहीं खरीदा गया था। सिग-716 रायफल्स से अंधेरे में फायरिंग न हो पाने की वजह से मुश्किलें सामने आने लगीं। इन दिक्कतों को देखते हुए इन अमेरिकी रायफल्स का उपयोग आसान बनाने के लिए देशी 'जुगाड़' का सहारा लिया गया। सैनिकों ने रायफल्स की पकड़ में सुधार करने के लिए बैरल के नीचे लकड़ी के हैंडल लगाए।

सेना ने पहले 400 से अधिक इन्फैंट्री बटालियनों में बंटी सिग-716 रायफल्स को इकट्ठा किया, फिर इसके बाद रात के अंधेरे में फायरिंग करने लायक बनाने के लिए सरकारी और निजी भारतीय फर्मों में ऑप्टिकल डिवाइस लगाने के लिए मामूली बदलाव किये गए। सिग-716 के लिए बने विजन सिस्टम में सैनिक को बताने के लिए एक संकेतक होता है कि गोली वास्तव में कहां लगेगी। अन्य स्थलों के उपयोग के मामले में अलग-अलग लेकिन न्यूनतम अंतर पर सूचक होते हैं। राइफल को हैंडल देने के लिए सेना ने इसमें अतिरिक्त किट भी लगाई है, जिससे राइफल की पकड़ छोटे हाथों वालों के लिए भी बेहतर हो गई है। अब नाइट विजन हथियार खरीदे जाने के बाद इन असॉल्ट राइफलों को रात में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।-------------------

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम

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