नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र के ट्रूप कॉन्ट्रिब्यूटिंग कंट्रीज के आर्मी चीफ्स’ कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के सेना प्रमुख और उप-सेना प्रमुख अपने जीवनसाथियों सहित गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मिले।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि सभी प्रतिभागी अपने-अपने देशों के श्रेष्ठ मूल्यों और आदर्शों के गौरवशाली प्रतिनिधि हैं। वे वैश्विक शांति और सतत समृद्धि के लिए अपने अनुभव, विशेषज्ञता और संकल्प का प्रतीक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक अब तक विश्वभर में 71 अलग-अलग मिशनों में तैनात किए गए हैं। इन अभियानों का उद्देश्य निर्दोष लोगों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के दुखों को कम करना है। उन्होंने कहा कि कठिन और दूरस्थ इलाकों में तैनात संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों ने अदम्य साहस और करुणा का परिचय दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था के रूप में भारत बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के पालन में दृढ़ विश्वास रखता है। भारत आरंभ से ही संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अग्रणी योगदानकर्ता रहा है। हमारे शांति सैनिकों ने विश्व के सबसे चुनौतीपूर्ण अभियानों में उत्कृष्ट सेवा दी है। उन्होंने कहा कि भारत ने शांति अभियानों में लैंगिक समावेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। महिला शांति सैनिकों ने स्थानीय समुदायों को सशक्त किया है और भरोसे का वातावरण बनाया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जो राष्ट्र अपने वीर महिला और पुरुष सैनिकों को शांति स्थापना के इस पवित्र कार्य के लिए भेजते हैं, उन्हें ऐसे ढांचे विकसित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए, जिससे ट्रूप कॉन्ट्रिब्यूटिंग कंट्रीज की आवाज़ अधिक सशक्त हो सके। साथ ही स्थानीय हितधारकों के साथ अधिक सक्रिय संवाद स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि शांति किसी पर थोपी न जाए बल्कि सहभागिता के माध्यम से विकसित हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस आर्मी चीफ्स कॉन्क्लेव जैसे आयोजनों से नए विचारों, गहन सहयोग और स्थायी मित्रता को बल मिलेगा। उन्होंने कहा, “हम सब शांति के संरक्षक बनकर ऐसा विश्व बनाएं, जहां हर बच्चा सुरक्षित नींद सोए, हर समाज सौहार्द में फले-फूले और संघर्ष केवल इतिहास के पन्नों में सीमित रह जाएं।”
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार