दुर्लभ मृदा खनिजों की आपूर्ति में सुधार के लिए कदम उठा रही है सरकार : गोयल

17 Oct 2025 17:51:00
एसोचैम के सालाना सम्मेलन को संबोधित करते पीयूष गोयल


एसोचैम के सालाना सम्मेलन को संबोधित करते पीयूष गोयल


नई दिल्‍ली, 17 अक्‍टूबर (हि.स)। केंद्रीय वणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार दुर्लभ मृदा खनिजों की आपूर्ति में सुधार के उपायों पर काम कर रही है, जिसमें चिली और पेरू के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत, घरेलू अन्वेषण को बढ़ावा देना और रीसाइक्लिंग एवं प्रसंस्करण में स्टार्टअप्स को शामिल करना शामिल है।

केंद्रीय वणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री ने राजधानी नई दिल्ली में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के सालाना सम्मेलन और 105वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि व्यापारिक साझेदारियां संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी हों। गोयल ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि हाल के वर्षों में भारत में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। उन्‍होंने कहा कि अब वह मजबूत स्थिति में बातचीत करता है, जो देश के बढ़ते आर्थिक आत्मविश्वास और मुक्त व्यापार समझौतों एवं अन्य व्यापारिक व्यवस्थाओं के प्रति भारत के दृष्टिकोण के संदर्भ में वैश्विक स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

उन्होंने एमएसएमई को सशक्त बनाने और नवाचार एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में एसोचैम की भूमिका पर भी जोर दिया, जो 2047 के विकासशील भारत के लिए आवश्यक है। गोयल ने कहा कि तांबा, लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे दुर्लभ खनिज इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से लेकर लड़ाकू विमान तक कई उद्योगों के लिए जरूरी कच्चा माल हैं। ये खनिज तेजी से बढ़ती स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी विनिर्माण में भी अहम भूमिका निभाते हैं। चिली, पेरू और ऑस्ट्रेलिया में इन खनिजों के भंडार मौजूद हैं।

उन्‍होंने कहा कि भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौता लागू हो चुका है। दक्षिण अमेरिकी देशों चिली एवं पेरू के साथ भी बातचीत जारी है। भारतीय टीम अगले दौर की व्यापार वार्ता के लिए इन देशों का दौरा कर रही है। उन्‍होंने कहा कि चिली एवं पेरू जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ व्यापार समझौते की कोशिशों के पीछे दुर्लभ खनिजों की अहम भूमिका है। वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मॉरीशस, ईएफटीए समूह और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए एफटीए भारत के निर्यात को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार 10,000 करोड़ रुपये की ‘कोषों का कोष’ योजना के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर रही है, जो स्टार्टअप फर्मों के लिए लंबी अवधि की वित्तीय सहायता पर केंद्रित है।

गोयल ने कहा कि भारत घरेलू खोज बढ़ाने, अवशिष्ट से खनिज निकालने वाले स्टार्टअप और देश में प्रसंस्करण सुविधाओं के निर्माण पर भी विचार कर रहा है। वाणिज्‍य मंत्री ने उद्योग को आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने की सलाह देते हुए कहा, “हमें अपने आपूर्ति शृंखलाओं का मूल्यांकन करना चाहिए कि क्या वे किसी एक देश पर अधिक निर्भर हैं। यदि निर्भर हैं, तो हम कमजोर हो सकते हैं, खासकर उस समय जब व्यापार को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।” उनका इशारा चीन की तरफ था जिसने दुर्लभ खनिज तत्वों के निर्यात पर बंदिशें लगा दी हैं, जिससे दुनिया भर में इन खनिजों की आपूर्ति बाधित हो रही है।

उन्होंने कहा कि यह रणनीतिक दृष्टिकोण भारत को अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करने, निर्यात को बढ़ावा देने और निवेश एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के अवसर पैदा करने में सक्षम बनाता है, साथ ही ऐसे समझौतों से बचने में भी मदद करता है जो भारत की कीमत पर दूसरे पक्ष को अत्यधिक लाभ पहुंचा सकते हैं। मंत्री ने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 700 अरब अमेरिकी डॉलर के साथ मज़बूत बना हुआ है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूत बुनियाद को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हर लिहाज से भारत के लोग, व्यवसाय और उद्योग मिलकर एक नई गतिशीलता, उत्साह और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कुछ साल पहले तक देखने को नहीं मिला था।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

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