नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (हि.स.)। ईस्ट इंडिया ड्रम्स एंड बैरल्स का मामला पकड़ में आने के बाद यह सामने आया कि सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए सार्वजनिक खरीद नीति (2012) में छोटे व्यवसायों को समर्थन और प्रोत्साहन देने के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन बड़े कॉरपोरेट घराने कर रहे हैं। लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों ने धोखाधड़ी करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का सरकार से आग्रह किया है।
उल्लेखनीय है कि 2012 में घोषित नीति के तहत यह प्रावधान किया गया था सभी प्रकार की सरकारी खरीद में कम से कम 25 फीसदी एमएसमई के लिए आरक्षित रखा जाए। ईस्ट इंडिया ड्रम्स एंड बैरल्स मैन्युफैक्चरिंग नामक कंपनी ने इस योजना का बेजा लाभ उठाया। इस कंपनी ने कथित तौर पर झूठी घोषणाओं और रणनीतिक कॉरपोरेट पुनर्गठन के माध्यम से एमएसएमई योजना के तहत खूब लाभ उठाए हैं। पहले यह कंपनी एक साझेदारी फर्म के रूप में काम कर रही थी और फिर अप्रैल, 2021 में ईस्ट इंडिया ड्रम्स एंड बैरल्स मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड में परिवर्तित हो गई। इस परिवर्तन के दौरान इसने अपने कारोबार और निवेश विवरण के बारे में गलत जानकारी देकर सूक्ष्म उद्यम श्रेणी के अंतर्गत पंजीकरण करा लिया। बाद में जांच में पाया गया कि कंपनी ने जिन वर्षों के वित्तीय आंकड़े बताए थे, उन वर्षों में वह निगमित भी नहीं थी और उसने सूक्ष्म उद्यम होने के लिए जानबूझकर शून्य कारोबार दिखाया था।
बैलेंस शीट के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का कुल कारोबार 228 करोड़ रुपये से अधिक था, जो स्पष्ट रूप से मध्यम उद्यम श्रेणी में आता है। एक शिकायत के बाद महाराष्ट्र सरकार के उद्योग निदेशक ने गलत जानकारी की पुष्टि करने के साथ ही इसके पंजीकरण को रद्द करने की सिफ़ारिश भी कर दी। इसके बाद कंपनी ने इसका रिवर्स विलय एक दूसरी कंपनी प्रिसिजन कंटेनर्स लिमिटेड में कर दिया। इस विलय के बाद नई कंपनी ईस्ट इंडिया ड्रम्स एंड बैरल्स मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड का गठन कर लिया गया।
लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों का आरोप है कि मध्यम और बड़ी कंपनियां सरकारी निविदाओं की शर्तों पर अनुबंध हासिल करने के लिए गलत तथ्यों के आधार पर एमएसएमई का दर्जा हासिल करके प्रतिस्पर्धा में लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों को ऑर्डर से वंचित कर देती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उद्यम पंजीकरण प्रक्रिया के तहत स्व-घोषणा प्रणाली और कमज़ोर सत्यापन तंत्र इस तरह के दुरुपयोग को आसान बनाते हैं। नीति विशेषज्ञों ने सरकार से नियमित ऑडिट के साथ सत्यापन को मजबूत करने, उद्यम डेटा को कर और जीएसटी रिकॉर्ड से जोड़ने, कड़े दंड लगाने और धोखाधड़ी करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी