वाराणसी, 02 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान गायक, पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्रा का गुरुवार तड़के निधन हो गया। उन्होंने मीरजापुर के रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में सुबह 4:15 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से वाराणसी समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
पंडित छन्नूलाल मिश्रा लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। तीन सप्ताह पूर्व उन्हें माइनर हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जांच में उनके सीने में संक्रमण और खून की कमी पाई गई थी। इलाज के बाद जब स्थिति में कुछ सुधार हुआ तो उन्हें मीरजापुर स्थित रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में स्थानांतरित किया गया था। उनके परिजनों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा।
पंडित छन्नूलाल मिश्रा का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि थी। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने किराना घराने के उस्ताद अब्दुल घनी खान से गायन की विधिवत शिक्षा प्राप्त की। वे खयाल और पूर्वी ठुमरी शैली के अप्रतिम गायक माने जाते थे। उन्होंने ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती जैसे उपशास्त्रीय संगीत को देश-विदेश तक पहुंचाया। उनकी गायकी में बनारस की मिठास व सहजता देखने को मिलती थी।
पंडित छन्नूलाल मिश्रा को 2010 में पद्म भूषण और 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें सुर सिंगार संसद, बॉम्बे का 'शिरोमणि पुरस्कार', उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और बिहार संगीत शिरोमणि जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त हुए थे।
पंडित जी के निधन पर संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। संगीत प्रेमियों ने सोशल मीडिया में लिखा पं. छन्नूलाल मिश्रा का जाना भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक युग का अंत है। वे केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत के जीवंत प्रतीक थे। उनकी सुरीली आवाज अब केवल रिकॉर्डिंग में ही सुनी जा सकेगी, लेकिन उनके द्वारा संजोया गया संगीत-संसार आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी