राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में शौर्य प्रदर्शन करेगी भारतीय नस्लों के श्वानों की पहली मार्चिंग टुकड़ी

22 Oct 2025 18:24:00
मुधोल हाउंड (फाइल फोटो)


नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य समारोह इस वर्ष 31 अक्टूबर को गुजरात के एकता नगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में होगा। इस भव्य आयोजन में भारत की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक विविधता को एक मंच पर प्रस्तुत किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे तथा चयनित राज्यों और केंद्रीय बलों की झांकियों का अवलोकन करेंगे।

राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में इस वर्ष कई आकर्षण होंगे, जिनमें सबसे विशेष भारतीय नस्लों के श्वानों की पहली मार्चिंग टुकड़ी होगी, जो सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का प्रतिनिधित्व करेगी। यह दल देश में विकसित स्वदेशी नस्लों (रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड) के चयनित प्रशिक्षित श्वानों से सुसज्जित होगा। इसके साथ ही एक विशेष श्वान प्रदर्शन (डॉग शॉ) भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें इन भारतीय श्वानों की सामरिक कुशलता, सूंघने की क्षमता, अनुशासन और परिचालन दक्षता का प्रदर्शन किया जाएगा। यह कार्यक्रम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना और स्वदेशी शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

गृह मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह का उद्देश्य भारत की विविधता में एकता, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकजुटता की भावना को सुदृढ़ करना है। इस वर्ष परेड में छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, मणिपुर, उत्तराखंड, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह सहित एनडीआरएफ और एनएसजी की झांकियां भी शामिल होंगी।

भारत के इतिहास, संस्कृति और पुराणों में श्वानों को सदैव एक विशिष्ट एवं सम्माननीय स्थान प्राप्त रहा है। वे निष्ठा, साहस और समर्पण के प्रतीक माने गए हैं। प्राचीन काल में राजसी दरबारों से लेकर रणभूमि तक भारतीय श्वानों ने अपनी उपस्थिति से मानव और पशु के अटूट संबंध का प्रमाण दिया। भारतीय नस्लों के ये श्वान आज भी अपनी कार्यकुशलता, सहनशक्ति और विवेकशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक सुरक्षा तंत्र से जोड़ने का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। जनवरी 2018 में जब उन्होंने टेकनपुर स्थित सीमा सुरक्षा बल के राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र (एनटीसीडी) का दौरा किया, तब उन्होंने भारतीय नस्लों के श्वानों को सुरक्षा बलों में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। यह पहल देश की सुरक्षा व्यवस्था में स्वदेशी योगदान को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध हुई।

प्रधानमंत्री ने 30 अगस्त, 2020 को अपने लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भारतीय नस्लों के श्वानों को अपनाने और उनके प्रशिक्षण को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने नागरिकों से “वोकल फॉर लोकल” की भावना के साथ स्वदेशी नस्लों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री की इस अपील ने पूरे देश में स्वदेशी गौरव और आत्मनिर्भरता की एक नई चेतना को जन्म दिया।

इसी प्रेरणा से सीमा सुरक्षा बल ने भारतीय नस्लों को अपनी परिचालन इकाइयों में शामिल करने का निर्णय लिया। वर्तमान में बीएसएफ की विभिन्न इकाइयों में रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड नस्लों के 150 से अधिक श्वान सक्रिय रूप से तैनात हैं, जो पश्चिमी एवं पूर्वी सीमाओं के अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी सेवा दे रहे हैं।

रामपुर हाउंड, उत्तर प्रदेश के रामपुर क्षेत्र की ऐतिहासिक नस्ल है, जिसे नवाबों द्वारा गीदड़ों व अन्य शिकार के लिए विकसित किया गया था। यह नस्ल अपनी अद्भुत गति, सहनशक्ति और निर्भीक स्वभाव के लिए प्रसिद्ध है। मुधोल हाउंड, दक्कन के पठार की श्वान नस्ल है, जिसे पारंपरिक रूप से शिकार और सुरक्षा कार्यों में उपयोग किया जाता रहा है। मराठा सेनाओं के साथ इसकी ऐतिहासिक पहचान जुड़ी रही है। राजा मलोजीराव घोरपड़े ने इसका संरक्षण किया और ब्रिटिश अधिकारियों के समक्ष इसे “कारवां हाउंड” के रूप में प्रस्तुत किया।

इन दोनों भारतीय नस्लों में उच्च फुर्ती, अनुकूलनशीलता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता जैसे गुण पाए जाते हैं, जिससे ये भारत के विविध जलवायु और भूगोल में अत्यंत प्रभावी साबित होते हैं।

बीएसएफ ने भारतीय नस्लों के श्वानों के प्रशिक्षण, प्रजनन और परिचालन उपयोग के लिए टेकनपुर स्थित राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र (एनटीसीडी) में आधुनिक व्यवस्थाएं विकसित की हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय सहायक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना कर इन नस्लों के संवर्धन को व्यापक बनाया गया है। इन केंद्रों में श्वानों को ट्रैकिंग, बम-डिटेक्शन, सर्च-ऑपरेशन और रेस्क्यू जैसे कार्यों में प्रशिक्षित किया जाता है।

इन श्वानों की उत्कृष्ट कार्यक्षमता का प्रमाण वर्ष 2024 में मिला, जब अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट (लखनऊ) में बीएसएफ की “रिया” नामक मुधोल हाउंड ने ‘सर्वश्रेष्ठ ट्रैकर ट्रेड श्वान’ और ‘डॉग ऑफ द मीट’ दोनों पुरस्कार जीते। यह पहली बार था जब किसी भारतीय नस्ल के श्वान ने 116 विदेशी नस्लों को पछाड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की। यह भारत की स्वदेशी क्षमताओं की विश्वसनीयता और गुणवत्ता का जीवंत प्रमाण है।

राष्ट्रीय एकता दिवस परेड-2025 में भारतीय नस्लों के श्वानों की मार्चिंग टुकड़ी और विशेष प्रदर्शन केवल एक सैन्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, स्वदेशी गर्व और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक होगी। यह प्रदर्शित करेगा कि भारत अब न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा स्वदेशी तकनीक और प्रशिक्षण से कर रहा है, बल्कि अपने मूल आनुवंशिक और पारंपरिक संसाधनों पर भी गर्वपूर्वक आगे बढ़ रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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