मप्र के इंदौर में डेढ़ लाख स्वयंसेवकों ने दिखाया अनुशासन और एकता का अद्भुत दृश्य

05 Oct 2025 21:47:31
इंदौर में डेढ़ लाख स्वयंसेवकों ने दिखाया एकता का अद्भुत दृश्य


इंदौर में डेढ़ लाख स्वयंसेवकों ने दिखाया अनुशासन और एकता का अद्भुत दृश्य


इंदौर में डेढ़ लाख स्वयंसेवकों का दिखा अनुशासन


इंदौर, 5 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में मध्य प्रदेश का इंदौर रविवार को एक ऐतिहासिक और गौरवशाली क्षण का साक्षी बना। ‘संघे शक्ति कलियुगे’ के उद्घोष के साथ आरंभ हुई संघ की यात्रा आज एक शताब्दी पूर्ण कर चुकी है, और इस अवसर पर इंदौर संभाग के चार जिलों के 34 नगरों में एक साथ पथ संचलन निकाला गया, जिसने शहर को राष्ट्रभक्ति और संगठन की भावना से सराबोर कर दिया।

विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन कार्यक्रम यहां आज मनाया गया, जिसमें इन्दौर महानगर के सभी नगरों का पथ संचलन स्थानीय नगर के मुख्य मार्गों से निकला।सभी संचलन अपने तय स्थान से प्रातः 9:00 से 10:30 तथा सायं 4:00 से 5:30 के मध्य प्रचल तालमय रहे। प्रत्येक नगर के अंतर्गत संचलन का मार्ग लगभग 3 से 4 किमी तक रहा। इस प्रकार पथ संचलन महानगर के अलग अलग स्थानों पर कुल 170 किमी मार्ग से होकर गुजरा। इस विराट आयोजन में करीब डेढ़ लाख स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया।

इस दौरान घोष वादन दलों की ताल और स्वयंसेवकों की अनुशासित पंक्तियाँ पूरे वातावरण को राष्ट्रभावना से ओतप्रोत कर रही थीं। सड़कों के किनारे खड़े नागरिकों ने फूल बरसाकर स्वयंसेवकों का स्वागत किया, बच्चे झंडे लहराते हुए जयघोष करते नजर आए और हर चेहरे पर गर्व और उत्साह झलकता दिखा।

दरअसल, यह आयोजन केवल संघ की संगठनात्मक क्षमता का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि समाज में अनुशासन, समरसता और देशभक्ति के मूल्यों को पुनर्जीवित करने का एक सशक्त प्रयास था। बुजुर्ग स्वयंसेवकों के लिए विशेष मंच और व्यवस्था की गई थी ताकि वे संचलन का हिस्सा बन सकें। अनेक घरों की छतों से भी स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में ‘संघ प्रणाम’ करते नजर आए।

इस ऐतिहासिक क्षण में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की। सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, मध्य क्षेत्र कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध, प्रांत प्रचारक राजमोहन और प्रांत संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री मुख्य रूप से मौजूद रहे। उनके नेतृत्व और संदेश ने स्वयंसेवकों का उत्साह बढ़ाया । साथ ही संदेश दिया कि संघ की मूल भावना, “व्यक्तिगत नहीं, राष्ट्रीय उत्थान ही लक्ष्य” है।

संघ ने इस अवसर पर राष्ट्र जागरण और समाज निर्माण के लिए पाँच सूत्रों पर आधारित एक विशेष संदेश जारी किया, जिसे ‘सोपान’ नाम दिया गया। इस ‘सोपान’ में नागरिक जीवन की बुनियादी जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हुए कहा गया कि हर व्यक्ति को ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए, स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए, समय का मूल्य समझना चाहिए, कर का ईमानदारी से भुगतान करना चाहिए और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा को अपनी आदत बनाना चाहिए। संघ का मानना है कि जब नागरिक अपनी छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को समझकर निभाते हैं, तभी राष्ट्र निर्माण की मजबूत नींव तैयार होती है।

इसके अलावा, संघ ने समाज में समानता और समरसता पर बल देते हुए यह भी आह्वान किया कि हर व्यक्ति को जात-पात और भेदभाव से ऊपर उठकर सभी महापुरुषों के कार्यों और पर्वों में समान भागीदारी निभानी चाहिए। सभी भारतीयों में एकता और भाईचारे का भाव ही सच्चा राष्ट्रधर्म है।

स्‍वयंसेवकों के बीच मंच पर उपस्‍थ‍ित वक्‍ताओं द्वारा संघ ने पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी जीवनशैली को भी अपने शताब्दी संदेश का अभिन्न हिस्सा बनाया। स्वयंसेवकों और नागरिकों से हर वर्ष एक पौधा लगाने, जल पुनर्भरण के कार्यों में सहयोग करने और घरों के निर्माण में प्राकृतिक रोशनी और हवा का ध्यान रखने की अपील की गई। साथ ही, संघ ने स्वदेशी जीवनशैली की ओर लौटने की प्रेरणा देते हुए भारतीय वेशभूषा को अपनाने, ताजा और देशज भोजन करने, तथा मातृभाषा में संवाद को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। यह संदेश आत्मनिर्भर भारत की भावना को सशक्त करने वाला था, जो आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाकर समाज को आत्मगौरव के मार्ग पर अग्रसर करता है।

संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों का यह भी पाथेय स्‍वयंसेवकों को मिला कि राष्ट्र निर्माण केवल सरकारों की नीतियों से नहीं, बल्कि नागरिकों के आचरण और जिम्मेदारी से होता है। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यवहार, समय और संसाधनों का सदुपयोग करे, तो भारत एक बार फिर विश्व में नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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