शिक्षा और नवाचार आधारित अनुसंधान से ही विकास संभव: गडकरी

06 Oct 2025 14:53:31
नई दिल्ली में आयोजित 20वें फिक्की उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित करते केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी


नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका प्रशिक्षित, कुशल और प्रतिभाशाली युवा वर्ग है। यदि युवा शक्ति को संसाधनों और अवसरों से जोड़ा जाए तो भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को जल्दी हासिल कर सकता है। शिक्षा और नवाचार आधारित अनुसंधान से ही देश के विकास को गति मिल सकती है।

गडकरी ने यहां आयोजित 20वें फिक्की उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा किसी भी देश के भविष्य की नींव होती है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में इसकी अहम भूमिका होगी। दुनिया में जो देश आज विकसित हैं, उन्होंने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के बल पर ही अपनी ताकत बढ़ाई है। शिक्षा व्यवस्था को भविष्योन्मुखी बनाया जाए और इसे जिला एवं राज्य स्तर पर स्थानीय जरूरतों और संसाधनों के आधार पर अनुसंधान से जोड़ा जाए। अगर हमारे विश्वविद्यालय और संस्थान यह देखें कि उनके क्षेत्र की क्या आवश्यकताएं हैं और कौन-कौन से संसाधन उपलब्ध हैं, तो वे शिक्षा को स्थानीय विकास से जोड़ सकते हैं।

गडकरी ने कहा कि भारत में पहले जहां प्रतिदिन केवल 2 किलोमीटर सड़क बनती थी, अब यह आंकड़ा 40 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गया है। हम देश में बड़े पुल, सुरंगें और मेट्रो प्रोजेक्ट्स बना रहे हैं, लेकिन टनल बोरिंग मशीन और टनल निर्माण की विशेषज्ञता अब भी हमारे पास नहीं है। उन्होंने स्वीडन, ज्यूरिख और जर्मनी जैसे देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां टनलिंग को लेकर विशेष संस्थान हैं, जबकि भारत में इस क्षेत्र में रिसर्च और उपकरण निर्माण की भारी कमी है।

गडकरी ने कहा कि मलेशिया में हाल ही में एक नई निर्माण तकनीक विकसित की गई है, जो अवसंरचना क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। इस तकनीक में किसी पुल या मेट्रो लाइन के निर्माण के दौरान सामान्यत: दो पिलर के बीच की दूरी जो अब तक 30 मीटर होती थी, उसे बढ़ाकर 120 मीटर तक किया जा सकता है। यह तकनीक स्टील फाइबर प्रीकास्ट संरचनाओं पर आधारित है, जिसमें दोनों तरफ पिलर खड़े किए जाते हैं और उनके बीच स्टील फाइबर का प्रीकास्ट स्लैब रखा जाता है। इस तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे निर्माण लागत में लगभग 25 प्रतिशत तक की बचत होती है। जब चेन्नई मेट्रो प्रोजेक्ट पर चर्चा हो रही थी, तब मैंने इस तकनीक का ज़िक्र प्रधानमंत्री मोदी से किया और समझाया कि इससे परियोजना की लागत में 30 से 35 फीसदी तक की कमी लाई जा सकती है। अगर इस इस एक तकनीक के इस्तेमाल से चेन्नई मेट्रो परियोजना में किया जाएगा तो लगभग 15 से 20 हजार करोड़ रुपये की सीधी बचत होगी। उन्होंने कहा कि हमारे देश के शैक्षणिक संस्थानों में अभी भी ज्ञान, तकनीक और अनुसंधान को वह महत्व नहीं मिल रहा है जो मिलना चाहिए। शिक्षा को स्थानीय आवश्यकताओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बनाना होगा।

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास को तकनीकी अनुसंधान और स्किल आधारित शिक्षा से जोड़ना होगा, तभी देश तेज़ी से आगे बढ़ पाएगा। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों से अपील की कि वे केवल डिग्री नहीं, बल्कि व्यावहारिक कौशल और नवाचार को बढ़ावा दें, ताकि भारत आने वाले समय में न केवल तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने, बल्कि वैश्विक नेतृत्व में भी अपनी भूमिका निभा सके।

-----------

हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

Powered By Sangraha 9.0