(अपडेट) कमजोर लिस्टिंग से ओम मेटलॉजिक ने किया निराश, नुकसान में आईपीओ निवेशक

07 Oct 2025 18:17:31
ओम मेटलॉजिक की कमजोर लिस्टिंग से  नुकसान में आईपीओ निवेशक


नई दिल्ली, 07 अक्टूबर (हि.स.)। मेटल सेक्टर में काम करने वाली कंपनी ओम मेटलॉजिक के शेयरों ने आज स्टॉक मार्केट में कमजोर एंट्री करके अपने आईपीओ निवेशकों को निराश कर दिया। आईपीओ के तहत कंपनी के शेयर 86 रुपये के भाव पर जारी किए गए थे। आज बीएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म पर इसकी लिस्टिंग 1 रुपये के डिस्काउंट के साथ 85 रुपये के स्तर पर ही हुई। लिस्टिंग के बाद ये शेयर सीमित दायरे में कारोबार करता रहा। पूरे दिन का कारोबार होने के बाद कंपनी के शेयर 85 रुपये के स्तर पर ही बंद हुए।

ओम मेटालॉजिक का 22.35 करोड़ रुपये का आईपीओ 29 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था। इस आईपीओ को निवेशकों की ओर से फीका रिस्पॉन्स मिला था, जिसके कारण ये ओवरऑल 1.47 गुना सब्सक्राइब हो सका था। इनमें नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एनआईआई) के लिए रिजर्व पोर्शन में सिर्फ 0.41 गुना सब्सक्रिप्शन आया था। इसी तरह रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए रिजर्व पोर्शन 2.53 गुना सब्सक्राइब हो सका था। इस आईपीओ के तहत 10 रुपये फेस वैल्यू वाले 25,98,400 नए शेयर जारी किए गए हैं। आईपीओ के जरिये जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने और आम कॉरपोरेट उद्देश्यों में करेगी।

कंपनी की वित्तीय स्थिति की बात करें, तो प्रॉस्पेक्टस में किए गए दावे के मुताबिक इसकी वित्तीय सेहत लगातार मजबूत हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी को 1.10 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था, जो अगले वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 2.22 करोड़ रुपये और 2024-25 में उछल कर 4.12 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। इस दौरान कंपनी की आय 55 प्रतिशत वार्षिक से अधिक की चक्रवृद्धि दर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ कर 60.41 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

इस दौरान कंपनी पर कर्ज के बोझ में लगातार गिरावट दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2022-23 के आखिर में कंपनी पर कर्ज का बोझ 11.55 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर में घट कर 11.04 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह वित्त वर्ष 2024-25 के आखिर में कंपनी का कर्ज कम होकर 10.35 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। कंपनी के रिजर्व और सरप्लस की बात करें, तो वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी में ये 2.87 करोड़ रुपये के स्तर पर था, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आखिरी में घट कर 2.40 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी में उछल कर 6.52 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक

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