70वां स्थापना दिवसः मध्य प्रदेश नई उमंग, नई तरंग और नई उड़ानों के लिए तैयार

01 Nov 2025 23:41:00
लाल परेड ग्राउंड में राज्य स्तरीय कार्यक्रम


लाल परेड ग्राउंड में राज्य स्तरीय कार्यक्रम


लाल परेड ग्राउंड में राज्य स्तरीय कार्यक्रम


लाल परेड ग्राउंड में राज्य स्तरीय कार्यक्रम


लाल परेड ग्राउंड में राज्य स्तरीय कार्यक्रम


- प्रदेशभर में जश्न, भव्य ड्रोन-शो, श्रीकृष्ण की संगीतमयी जीवन यात्रा, जुबिन के सुरों और आतिशबाजी ने उत्सव में भरे रंग

भोपाल, 01 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश का 70वां स्थापना दिवस शनिवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। पूरे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। कहीं आतिशबाजी तो कहीं दीपक जलाए जा रहे हैं। शाम को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। उन्होंने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं। इसके बाद 2000 ड्रोन ने मप्र की विकास यात्रा का खुले आसमान में दिखाया। ड्रोन के जरिए महाकाल मंदिर से लेकर इन्वेस्ट मप्र तक मप्र की विकास यात्रा को दिखाया गया। रात में पार्श्वगायक जुबिन नौटियाल ने सुमधुर गीत-संगीत की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गत दो वर्ष में प्रदेश में विकास के कई ऐसे कार्य पूर्ण हुए हैं जो असंभव माने जाते थे। मध्य प्रदेश विकास के नए पैमाने गढ़ रहा है। प्रदेश में उद्योगों की स्थापना का कार्य तेजी से हो रहा है। औद्योगिक विकास दर उल्लेखनीय 24% प्राप्त की गई है। संस्कृति के क्षेत्र में प्रदेश को अनेक सौगातें मिली हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेतृत्व में विरासत के संरक्षण के साथ विकास का कार्य हो रहा। सांस्कृतिक अनुष्ठान जारी है।

सम्पूर्ण प्रदेश में रहा उत्सव और उमंग का माहौल

भारत के हृदय मध्य प्रदेश के गौरवशाली 70वें स्थापना दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश में उत्सव और उमंग का माहौल है। इस ऐतिहासिक अवसर पर राज्य की सांस्कृतिक, सामाजिक और विकास यात्रा को समर्पित तीन दिवसीय भव्य आयोजन का शुभारंभ एक नवम्बर, 2025 को लाल परेड ग्राउंड, भोपाल में हुआ। भव्‍य मंच, जगमगाती रोशनी और सतरंगी सुरीले सिलसिले के बीच इस उत्‍सव का आरंभ हुआ। यह आयोजन मध्य प्रदेश की उस समृद्ध विरासत, विविधता और प्रगति का उत्सव है, जिसने पिछले सात दशकों में राज्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। समारोह की शुरुआत गरिमामय वातावरण में हुई, जहाँ संस्कृति, कला, संगीत और नवाचार के रंगों ने मध्यप्रदेश की पहचान को और उज्ज्वल बना दिया।

समारोह में लघु फिल्म- विकसित मध्य प्रदेश का प्रदर्शन हुआ। इसके बाद निवेश प्रोत्साहन यात्रा एवं उपलब्धियों पर आधारित फिल्‍म का प्रदर्शन किया गया। साथ ही मध्य प्रदेश में निवेश के अवसरों एवं उपलब्धियों पर आधारित और invest.mp.gov.in पहल को प्रदर्शित करती फिल्म का प्रदर्शन किया गया। गर्व का अनुभव करवातीं इन फिल्‍मों के प्रदर्शन के बाद वीर भारत न्यास द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भ गवतगीता एवं अभ्युदय मध्यप्रदेश केंद्रित ज्ञान प्रतियोगिता पोर्टल/एप की लॉचिंग भी की गई। न्यास द्वारा प्रकाशित युगयुगीन भारतवंशी और इंटैक संस्था द्वारा प्रकाशित जिओ हेरिटेज ऑफ उदयपुर, पुस्तक का लोकार्पण किया गया। मदन मोहन उपाध्याय द्वारा इसका संपादन किया गया हैं। इसके साथ ही आसमान की ऊंचाईंयों को छूती रंगारंग आतिशबाजी ने भी उपस्थित लोगों का मन मोह लिया।

आसमान पर मध्‍यप्रदेश की प्राचीन विरासत से उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की सतरंगी यात्रा

मध्‍य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्या‍गिकी परिषद् द्वारा देश में पहली बार 2 हजार ड्रोन का भव्‍य शो आयोजित किया गया। ड्रोन के उड़ते ही आसमान में समृद्ध और सशक्‍त मध्‍यप्रदेश के जीवंत दृश्‍य नजर आने लगे। विरासत से विकास पर केन्द्रित इस ड्रोन शो महाकाल मंदिर, सिंहस्थ, अभ्युदय मध्यप्रदेश सहित 12 आकृतियां दर्शायी गईं। सर्वप्रथम मध्‍यप्रदेश के मानचित्र का निर्माण हुआ। इसके बाद प्राचीन विरासत, स्‍थापत्‍य विरासत कला विरासत, सांस्‍कृतिक विविधता स्‍वतंत्रता और संघर्ष, मध्‍यप्रदेश, कृषि से आ‍त्‍मनिर्भरता से लेकर भविष्‍य की ओर बढ़ते मध्‍यप्रदेश के कदमों को मनमोहक और आकर्षक आकृतियों में उकेरा गया।

पहली बार संगीत, नृत्‍य और आध्‍यात्मिकता का दिव्‍य संगम

भव्‍य ड्रोन-शो के बाद समवेत संगीत प्रस्‍तुति विश्ववन्द - श्रीकृष्ण की सांगीतिक यात्रा का प्रदर्शन हुआ। यह मात्र एक संगीतमय प्रस्तुति नहीं, यह युगों-युगों से प्रवाहित हो रही भगवान श्रीकृष्ण की करुणा, स्नेह और आत्मज्ञान की अमर गाथा का एक अभूतपूर्व और विराट मंचन था। भारतीय सांस्कृतिक पटल पर पहली बार, यह आयोजन ऐसे भव्य और विशाल पैमाने पर आयोजित किया गया, जहाँ संगीत, नृत्य और आध्यात्मिकता की त्रिवेणी का संगम हुआ। इस प्रस्तुति का केंद्रीय भाव श्रीकृष्ण का करुणाकर स्वरूप है। यह संपूर्ण प्रस्‍तुति श्रीकृष्ण के स्वयं द्वारा उच्चारित किए गए आत्म-वचनों पर आधारित थी, जिसे जीवंत बनाया संगीत की तीन महान धाराओं - भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और विश्व संगीत ने। मंच पर 350 से अधिक प्रतिभाशाली गायक-गायिकाओं का विशाल कोरस (समवेत गान) हुआ, जिन्‍होंने एक साथ कृष्ण के लीला-छंदों और गीता के श्लोकों को अपनी मधुरम आवाज दी। इस कोरस को सहयोग दिया एक भव्य ऑर्केस्ट्रा ने, जिसने ध्‍वनि की अद्भुत और नई दुनिया रची जो सीधे श्रोताओं को दिव्य लोक में ले गई। इस भव्य आयोजन की संकल्पना वीनस तरकसवार द्वारा की गई है। संगीत संयोजन एवं निर्देशन उमेश तरकसवार का है और नृत्य निर्देशन श्वेता देवेंद्र, क्षमा मालवीय और कविता शाजी द्वारा किया गया है। संगीत की इस भव्यता को 150 से अधिक शास्त्रीय नर्तक-नर्तकियाँ अपनी भाव-भंगिमाओं से मूर्तरूप दिया गया। इस नृत्य खंड में तीन प्रमुख भारतीय शास्त्रीय शैलियों - भरतनाट्यम (द्रविड़ियन ओज), कथक (उत्तरी भारत का नटखटपन और भाव) और मोहिनीअट्टम (केरल की लावण्यपूर्ण प्रस्तुति) का संगम देखने को मिला।

जुबिन की मखमली आवाज ने श्रोताओं पर किया जादू

संगीत के मधुरम ताने-बाने के बाद अवसर था एक ऐसे कलाकार को सुनने का, जिसकी आवाज न सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर में पसंद की जाती है। एक सुरीला कलाकार जिसके भावपूर्ण गीतों ने श्रोताओं खासकर युवाओं पर जादू सा कर रखा है। अपने ग्रुप के साथ मंच संभाला सुप्रसिद्ध पार्श्‍वगायक जुबिन नौटियाल, मुम्‍बई ने। हजारों की संख्‍या में उपस्थित उनके चाहने वाले उन्‍हें देख खुश हो गए और उत्‍साह के साथ अपने-अपने गीतों को गाने की फरमाईश की। जुबिन ने भी मंच पर आते ही गीत से पूरे वातावरण में अपनी मखमली आवाज का जादू बिखेर दिया। गीतों का यह सिलसिला देर रात तक लगातार जारी रहा।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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