न्यूयार्क के टाइम 100 कार्यक्रम में भारत की आवाज बनीं स्मृति ईरानी

01 Nov 2025 12:41:00
स्मृति ईरानी - फोटो सोर्स एक्स


न्यूयार्क, 01 नवंबर (हि.स.)। कभी छोटे पर्दे की बहू के रूप में पहचानी जाने वाली स्मृति ईरानी आज उस मुकाम पर हैं, जहां उनकी आवाज पूरी दुनिया में गूंजती है। अभिनय से लेकर राजनीति तक का उनका सफर एक मिसाल बन चुका है। एक समय की साधारण अभिनेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री अब भारत की सशक्त आवाज बन चुकी हैं।

हाल ही में अभिनेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक बार फिर देश का नाम रोशन किया है। न्यूयॉर्क में आयोजित टाइम 100 समिट में स्मृति ईरानी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया, और अपने शब्दों व विज़न से सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। स्मृति ने इस मंच से अपनी नई पहल ‘स्पार्क द 100K कलेक्टिव’ की घोषणा की, जो भारत में महिला उद्यमिता को नई दिशा देने की कोशिश है। इस अभियान का लक्ष्य है, भारत के 300 शहरों में 01 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना। उन्होंने कहा, पहचान बदलने में सिर्फ नाम नहीं, इरादा बदलता है। यह सिर्फ एक सामाजिक परियोजना नहीं, बल्कि महिलाओं की शक्ति और संभावनाओं का उत्सव है।

महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं स्मृति

स्मृति ने इंस्टाग्राम पर इस इवेंट की झलकियां साझा करते हुए लिखा, जब महिलाएं एक-दूसरी को ऊपर उठाती हैं, तो वो बदलाव की चिंगारी जला सकती हैं। उन्होंने इस मंच को खुशी, उम्मीद, साहस और आकांक्षाओं का उत्सव बताया और कहा कि इस मिशन की शुरुआत भारत के 300 शहरों से होकर 10 लाख महिलाओं तक पहुंचने का सपना है। स्मृति अपने संबोधन के दौरान भावुक हो गईं। उन्होंने कहा, मेरे पिता दिल्ली की गलियों में पुरानी टाइम मैगज़ीन बेचकर घर चलाते थे, और आज उनकी बेटी उसी पत्रिका के मंच पर भारत की आवाज़ बनकर खड़ी है। जिंदगी का यह एक पूरा चक्र है, जो आज मेरे लिए पूरा हुआ है। उनकी बात पर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।

'क्योंकि 2.0' में दिखे थे बिल गेट्स

हाल ही में स्मृति अपने शो ‘क्योंकि 2.0’ में बिल गेट्स को आमंत्रित कर चर्चा में रही थीं। उन्होंने इसे अपने जीवन का गौरवशाली पल बताया। मंच से उन्होंने एक सशक्त संदेश दिया, अब वक्त है कि दुनिया महिलाओं को बराबरी का दर्जा दे, और हम सरकार की प्रतीक्षा किए बिना खुद बदलाव की शुरुआत करें। स्मृति ईरानी की यह यात्रा यह साबित करती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो किसी कहानी की शुरुआत चाहे जहां से हो, उसका अंत इतिहास में दर्ज होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे

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