स्टैचू ऑफ यूनिटी पर आज मनाया गया ‘दिल्ली दिवस’

10 Nov 2025 21:12:01
‘भारत पर्व 2025’ के तहत स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर आयोजित ‘दिल्ली दिवस’ के अवसर पर दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा


नई दिल्ली, 10 नवंबर (हि.स.)। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘भारत पर्व 2025’ का इस वर्ष पहली बार आयोजन दिल्ली से बाहर गुजरात के एकता नगर स्थित स्टैचू ऑफ यूनिटी में किया जा रहा है। यह आयोजन गुजरात सरकार के सहयोग से हो रहा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों के दिवस समारोह मनाए जा रहे हैं। इन्हीं समारोहों की श्रृंखला में आज विशेष रूप से ‘दिल्ली दिवस’ मनाया गया। दिल्ली के कलाकारों को प्रोत्साहित करने और दिल्ली की सांस्कृतिक प्रतिभा को राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने के उद्देश्य से दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा गुजरात पहुंचे।

इस अवसर पर दिल्ली से 65 कलाकारों का दल भी ‘भारत पर्व 2025’ में शामिल हुआ, जिन्होंने संगीत, नृत्य, लोककला और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से राजधानी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया। इस अवसर पर गुजरात के उपमुख्यमंत्री हर्ष सांघवी भी उपस्थित रहे। यह जानकारी दिल्ली सरकार की ओर से सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में दी गई।

‘भारत पर्व 2025’ के तहत स्टैचू ऑफ यूनिटी पर आयोजित ‘दिल्ली दिवस’ के अवसर पर दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में शामिल विभिन्न विधाओं के दिल्ली के प्रतिभाशाली कलाकारों को प्रोत्साहित किया, जिन्होंने संगीत, नृत्य, लोककला और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से राजधानी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत किया। यह संस्करण विशेष रूप से भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती को समर्पित है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्रीय एकता के आदर्शों ने जिस सशक्त भारत की नींव रखी, ‘भारत पर्व 2025’ उसी भावना को जीवंत करता है।

अपने संबोधन में कपिल मिश्रा ने कहा कि भारत पर्व केवल संस्कृति का उत्सव नहीं, बल्कि यह एकता, गर्व और पहचान का प्रतीक है। दिल्ली के कलाकारों के लिए यह अवसर पूरे देश के सामने अपनी प्रतिभा प्रस्तुत करने का एक गौरवपूर्ण मंच है। उन्होंने कहा कि “दिल्ली देश का दिल है- यहां की कला, संगीत और परंपरा पूरे भारत की विविधता को अपने में समेटे हुए हैं। जब हमारे कलाकार गुजरात जैसे ऐतिहासिक स्थल पर प्रदर्शन करते हैं, तो यह सिर्फ सांस्कृतिक आदान-प्रदान नहीं बल्कि भावनात्मक एकता का भी उत्सव बन जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव

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