सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र के लिए हानिकारक : ओम बिरला

10 Nov 2025 19:56:01
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सोमवार को नागालैंड विधानसभा परिसर में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र, ज़ोन-III के 22वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए


कोहिमा, 10 नवंबर (हि.स.)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को नगालैंड विधानसभा परिसर में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र, ज़ोन-III के 22वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से विधानमंडलों की गरिमा बनाए रखने और कार्यवाही का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने की अपील की।

बिरला ने कहा कि लोकतंत्र का सार शांतिपूर्ण, सार्थक और तथ्य-आधारित संवाद में निहित है। उन्होंने आगाह किया कि सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र की आत्मा को कमजोर करते हैं और जनता को जवाबदेही से वंचित करते हैं। संसद के एक दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे सदन की कार्यवाही को गरिमा और मर्यादा के साथ चलाएं।

सम्मेलन का विषय- “नीति, प्रगति और नागरिक: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधायिका” प्रस्तुत करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानमंडल केवल कानून बनाने का मंच नहीं, बल्कि जनमत को नीति का रूप देने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम हैं। जब किसी राज्य में जनमत नीति का आधार बनता है, तो वह राज्य निरंतर और सतत विकास प्राप्त करता है।

बिरला ने जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे नीति निर्माण प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने, सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने और नागरिक-अनुकूल डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाने जैसे कदम उठाएं, ताकि लोकतंत्र अधिक सहभागी और पारदर्शी बन सके।

लोकसभा अध्यक्ष ने पूर्वोत्तर के सभी विधानमंडलों में हो रहे डिजिटल परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा कि नगालैंड विधानसभा का पूरी तरह पेपरलेस विधानमंडल बनना देश के लिए एक आदर्श मॉडल है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि एआई का उपयोग जिम्मेदारी और नैतिक रूप से होना चाहिए ताकि पारदर्शिता बढ़े और विधायी प्रक्रियाएं बाधित न हों।

बिरला ने कहा कि प्रभावी शासन और बेहतर नीतिगत परिणामों के लिए मजबूत केंद्र-राज्य सहयोग अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि संविधान द्वारा परिभाषित सीमाओं के भीतर रहते हुए केंद्र और राज्यों के बीच रचनात्मक संवाद से शासन अधिक उत्तरदायी, समावेशी और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप बनता है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में केंद्र और राज्यों के बेहतर सहयोग से पूर्वोत्तर में अवसंरचना, सड़क, रेल और हवाई संपर्क सहित अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकास का केंद्र बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की विकास रणनीतियों में जलवायु संरक्षण, हरित बुनियादी ढांचे और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी को एकीकृत किया जाना चाहिए, ताकि यह क्षेत्र दीर्घकालिक और समावेशी विकास का उदाहरण बन सके।

कार्यक्रम में नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, नगालैंड विधानसभा के अध्यक्ष शारिंगेन लोंगकुमेर, तथा संसदीय कार्य मंत्री केजी केन्ये सहित आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में कुल 12 पीठासीन अधिकारी शामिल हुए, जिनमें सात विधानसभा अध्यक्ष और पांच उपाध्यक्ष थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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