आरसीबी पॉडकास्ट में बोले मयंक अग्रवाल, 18 साल बाद खिताब जीतना एक अधूरी कहानी का अंत था

10 Nov 2025 15:54:00
भारतीय बल्लेबाज मयंक अग्रवाल


बेंगलुरु, 10 नवंबर (हि.स.)। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने हाल ही में टीम के आधिकारिक पॉडकास्ट ‘आरसीबी पॉडकास्ट’ में अपने अनुभव साझा करते हुए आईपीएल नीलामी में अनसोल्ड रहने से लेकर आरसीबी के साथ खिताब जीतने तक के अपने सफर के बारे में खुलकर बात की।

मयंक ने कहा, “नीलामी के बाद मैंने खुद को 6-8 घंटे का समय दिया। हां, विचार आए कि मैं नहीं बिका, ये हो सकता था, वो हो सकता था। लेकिन, मैंने खुद से कहा— हां, तुम्हें नहीं चुना गया। इसका मतलब है कि कुछ क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है। चाहे एक-दो चीजें ही क्यों न हों, उन्हें सुधारो। मैंने अपने बल्लेबाजी कोच के साथ बैठकर सुधार के बिंदु लिखे और तुरंत काम शुरू कर दिया।”

मंयक ने आगे बताया कि उन्होंने खुद के लिए एक सख्त रूटीन बनाया। सुबह 5 बजे उठना, ट्रेनिंग करना, स्किल सेशन के लिए जाना, दोपहर तक खत्म करना, फिर परिवार के साथ समय बिताना और रात में आधे घंटे अगले दिन की योजना बनाना। अगर मैं दोपहर 3 या 3:30 तक दिन की योजना पूरी कर लेता था, तो खुद को थोड़ा आराम देने की अनुमति देता था, लेकिन अगले दिन की चेकलिस्ट पहले से तैयार होती थी।

आरसीबी ट्रायल्स के दौरान मिले अनुभव पर मयंक ने कहा, “एंडी (आरसीबी कोच) बहुत साफ थे, ‘ये सिलेक्शन मैच है, या तो बनाओ या बिगाड़ो।’ मुझे ये चुनौती पसंद आई। इससे मुझे असली मैच जैसा दबाव महसूस हुआ। मैंने अच्छा प्रदर्शन किया और कोच खुश थे। उन्होंने कहा, ‘ये खिलाड़ी तैयार है।’ ओपन नेट्स और प्रैक्टिस गेम्स में बुलाया जाना मेरे लिए फ्रेशिंग था, क्योंकि इसका मतलब था कि मुझे टीम में जगह ‘कमानी’ है।”

फाइनल मुकाबले को लेकर मयंक ने कहा, “क्वालिफायर में काइल जैमीसन ने मेरे खिलाफ अच्छा ओवर डाला था। फाइनल में जब वो दोबारा आए तो विराट ने कहा, ‘वो बाउंस और शेप ले रहा है, इसलिए स्क्वेयर शॉट्स खेलो।’ पहले बाउंड्री के बाद आत्मविश्वास लौट आया और हमने दबाव पलट दिया। फिल सॉल्ट की आक्रामकता ने शुरुआत दी और मेरा काम था उस लय को बनाए रखना।”

मयंक ने भावुक होते हुए कहा, “आरसीबी के साथ मेरा पहला साल 2011 था जब हम चेन्नई में फाइनल हारे थे। अब जीतना सिर्फ खुशी नहीं, बल्कि 2011 की कहानी को खत्म करना था। आईपीएल का हिस्सा न होने से लेकर उस टीम का हिस्सा बनने तक जिसने 18 साल बाद पहला खिताब जीता, ये इतिहास है। उस पल में जो भावनाएं थीं, उन्हें शब्दों में बयां करना मुश्किल है।”

अंत में मयंक ने कहा, “अब ध्यान रणजी ट्रॉफी पर है। कर्नाटक ने काफी समय से खिताब नहीं जीता है। हम अच्छी क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन फाइनल लाइन पार नहीं कर पाए। इस बार हम सब कुछ झोंक देंगे ताकि कर्नाटक और उसके फैन्स के लिए ट्रॉफी जीत सकें।”

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे

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