इस्लामाबाद, 10 नवम्बर (हि.स.)। पाकिस्तान की संसद के उच्च सदन सीनेट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दी, जिसके तहत सेना प्रमुख को और अधिक अधिकार दिए जाएंगे तथा सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित किया जाएगा। विपक्षी दलों ने इसे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया है।
यह विधेयक विपक्ष के बहिष्कार के बीच केवल तीन घंटे में पारित किया गया और अब इसे कानून बनने से पहले राष्ट्रीय विधानसभा (नेशनल असेंबली) में पेश किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस का नया पद दिया जाएगा, जिसके तहत वे थलसेना, वायुसेना और नौसेना — तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर बन जाएंगे। इस व्यवस्था के बाद ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का पद समाप्त कर दिया जाएगा।
संशोधन में जनरल मुनीर को उनके कार्यकाल के बाद भी रैंक बनाए रखने और आजीवन कानूनी प्रतिरक्षा (लीगल इम्युनिटी) देने का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें “अपना पसंदीदा फील्ड मार्शल” बताया था।
संविधान में प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट अब संवैधानिक मामलों की सुनवाई नहीं करेगा। इन मामलों के लिए एक नया फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट बनाया जाएगा, जिसके न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाएगी। आलोचकों का कहना है कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि नए न्यायालय में सरकार के पसंदीदा न्यायाधीश संवेदनशील राजनीतिक मामलों की सुनवाई करेंगे।
इसके अतिरिक्त, संशोधन में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को भी आजीवन अभियोजन से छूट प्रदान करने का प्रावधान शामिल है।
सरकार की ओर से सूचना मंत्री अत्ताउल्ला तारार ने कहा कि यह संशोधन “सुशासन, संघीय समन्वय और राष्ट्रीय रक्षा क्षमता को मजबूत करने” के उद्देश्य से लाया गया है, विशेष रूप से भारत के साथ मई में हुई झड़पों के बाद।
सरकार का दावा है कि उसके पास संसद के दोनों सदनों में आवश्यक दो-तिहाई बहुमत मौजूद है और यह संशोधन जल्द ही पारित कर दिया जाएगा। हालांकि, विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यह कदम देश में सेना की पकड़ को संवैधानिक रूप से स्थायी बना देगा और पाकिस्तान की नाजुक लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर कर देगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय