दिल्ली में 'साउंडस्केप्स ऑफ इंडिया' सीजन 2 शुरू

10 Nov 2025 20:57:00
क्यूरेटेड संगीत शोकेस फेस्टिवल और वैश्विक सम्मेलन ‘साउंडस्केप्स ऑफ इंडिया’ के दूसरा संस्करण शुरु


​नई दिल्ली, 10 नवंबर (हि.स.)। नई दिल्ली स्थित इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में सोमवार को देश के पहले तीन दिवसीय क्यूरेटेड संगीत शोकेस फेस्टिवल और वैश्विक सम्मेलन ‘साउंडस्केप्स ऑफ इंडिया’ के दूसरा संस्करण शुरु हो गया।

यह जानकारी आज आईजीएनसीए में आयोजित प्रेस वार्ता में दी गयी। यह उत्सव संस्कृति मंत्रालय के समर्थन से इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) द्वारा आयोजित किया गया है, जिसका उद्देश्य देश की समृद्ध संगीत विरासत को वैश्विक मंच प्रदान करना है।

इस मौके पर शायर, गीतकार और आईपीआरएस के अध्यक्ष पद्म भूषण जावेद अख्तर, आईजीएनसीए के सदस्य, आईपीआरएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश निगम और प्रोफेशनल स्टोरीटेलर मयूर पुरी सहित अन्य लोग मौजूद रहेे।

इस मौके पर ‘द आर्ट ऑफ़ सॉन्ग राइटिंग’ शीर्षक से एक विशेष सत्र आयोजित किया गया।

​जावेद अख्तर ने कहा, कविता भाषा का संगीत है और संगीत ध्वनि की कविता है। इनका मेल भाषाई या सांस्कृतिक सीमाओं से परे श्रोताओं के हृदय को छूता है। उन्होंने कहा, यह उत्सव केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी पहल है जो भारतीय संगीत की पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेगी। आईपीआरएस का उद्देश्य रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें रॉयल्टी दिलाना है। 'साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया' जैसे मंच कलाकारों को सीधा वैश्विक बाज़ार से जोड़ते हैं, जिससे उनकी कला को सही मूल्य मिल सके।

जावेद ने कहा कि इस मंच से भारतीय संगीतकारों के लिए इंडो-ग्लोबल म्यूजिक सहयोग रोडमैप की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार और कमाई तक सीमित हो जाता है, तब उसमें काव्यात्मक और सौंदर्यबोध की गहराई स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है।

​'साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया' का लक्ष्य देश के विभिन्न प्रांतों, विशेषकर उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में संगीत के संदर्भ में अपार संभावनाएं तलाशना है।

इस उत्सव में 100 से अधिक कलाकार और 24 बैंड परफॉर्म करेंगे। इनमें फोक-फ्यूजन, क्लासिकल-फ्यूजन, हिप-हॉप, जैज, मेटल, पॉप और रॉक जैसी विविध संगीत शैलियों का संगम देखने को मिलेगा। इसके अलावा, कलाकार अंग्रेजी, हिन्दी, कोंकणी, लद्दाखी और तमिल सहित अनेक भारतीय भाषाओं में अपनी प्रस्तुति देंगे। इसमें कनाडा, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया सहित 15 देशों के फेस्टिवल डायरेक्टर और प्रमोटर शामिल हो रहे हैं। यह भागीदारी भारतीय कलाकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय अवसरों के द्वार खोलेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रद्धा

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रभात मिश्रा

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