
नई दिल्ली, 10 नवंबर (हि.स.)। ‘एकता कोई विरासत नहीं, यह संवेदना और साझा उत्सव के माध्यम से प्रतिदिन निभाई जाने वाली जिम्मेदारी है,।’ यह बात दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने गुजरात के एकता नगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में आयोजित भारत पर्व 2025 में अपने संबोधन में कही। उन्होंने इस आयोजन को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की सजीव अभिव्यक्ति बताया, जहां संस्कृति संवाद का माध्यम बनती है और विविधता राष्ट्रीय एकता की भाषा।
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भारत पर्व 2025 के दौरान थीम पैवेलियन, क्राफ्ट एवं फूड स्टॉल्स तथा स्टूडियो किचन का अवलोकन किया और भारत की सांस्कृतिक एवं पाक विविधता की सराहना की। उन्होंने कारीगरों और कलाकारों से संवाद करते हुए उनके कौशल और सृजनशीलता की प्रशंसा की। गुप्ता ने प्रोजेक्शन मैपिंग शो और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आनंद लिया तथा कहा कि भारत पर्व स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर भारत की एकता में विविधता की भावना को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा गुजरात सरकार और सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित यह पर्व पहली बार दिल्ली के बाहर, विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के प्रांगण में मनाया जा रहा है। यह संस्करण भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती को भी समर्पित है, जिनकी दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प ने भारत के एकीकरण की नींव रखी।
अपने संबोधन में विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का स्थल इस आयोजन को विशेष अर्थ देता है। उन्होंने कहा कि यह स्थल हमें याद दिलाता है कि एकता दी नहीं जाती बल्कि उसे साझा उद्देश्य और प्रतिबद्धता से निर्मित और सुरक्षित किया जाता है। सरदार पटेल की प्रेरणादायी प्रतिमा के साये में भारत पर्व केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं बल्कि समावेशिता, संवाद और साझा नियति के भारतीय मूल्यों का पुनर्स्मरण है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत पर्व 2025 ने एकता नगर को भारत के लघु रूप में बदल दिया है। भारत दर्शन मंडप में देश के सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश अपने अनूठे सांस्कृतिक, शिल्प और रचनात्मक वैभव का प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विविधता केवल सौंदर्य नहीं है, यह आर्थिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। हर कलाकार, हर प्रस्तुति आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भारत की धड़कन है।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि कार्यक्रम में शामिल 45 क्षेत्रीय भोजन स्टॉल और 55 शिल्प मंडपों की सराहना की, जहां देशभर के कारीगर अपने पारंपरिक शिल्प का प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बुनकरों, कुम्हारों और धातु-शिल्पकारों को “भारत की जीवंत विरासत के मौन निर्माता” बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन प्रस्तुत की जाने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियां- गुजरात का गरबा, असम का बिहू, केरल की मोहिनीयाट्टम और महाराष्ट्र की लावणी- भारत की विविधता का अनूठा संगम रचती हैं।
विजेंद्र गुप्ता ने 14 नवंबर को मनाए जाने वाले बिरसा मुंडा जयंती समारोह का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारत के जनजातीय समुदायों के गौरव और उनके सांस्कृतिक योगदान का सम्मान है। उन्होंने कहा, “झारखंड के जंगलों से लेकर पूर्वोत्तर की पहाड़ियों तक, बिरसा मुंडा की आत्मा आज भी साहस, सम्मान और न्याय की प्रेरणा देती है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत पर्व जैसे आयोजन केवल उत्सव नहीं हैं, वे रोजगार सृजन, पर्यटन संवर्धन और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को सशक्त करने वाले मंच हैं। उन्होंने कहा कि जब कोई आगंतुक हथकरघा खरीदता है, स्थानीय व्यंजन का स्वाद लेता है या लोकनृत्य की प्रशंसा करता है, वह राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बनता है। सांस्कृतिक सम्मान का हर कार्य आर्थिक सशक्तिकरण का भी प्रतीक है।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि ऐसे उत्सव भारत की सांस्कृतिक आत्मविश्वास को मजबूत करते हैं और समावेशी विकास की भावना को स्थायी बनाते हैं। “प्रत्येक शिल्पी, कलाकार और आगंतुक यहाँ विकसित भारत@2047 की उस यात्रा का हिस्सा है ,जो प्रगति के साथ-साथ मूल्यों की भी रक्षा करती है।
अपने संबोधन के समापन पर विजेंद्र गुप्ता ने नागरिकों से सरदार पटेल के आदर्शों, ईमानदारी, सेवा और सहानुभूतिको जीवन में उतारने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत पर्व 2025 कला, संस्कृति और समुदाय का वह संगम है जो ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करता है, एक ऐसा भारत जो विविधता में अपनी शक्ति और साझी मानवता में अपनी प्रगति खोजता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव