
लौह पुरुष पटेल की 150वीं जयंती समारोह में मुख्यमंत्री ने किया ऐलानभारत में कोई जिन्ना पैदा होता है तो उसे दफन करना होगा : मुख्यमंत्री
लखनऊ/गोरखपुर, 10 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलान किया है कि प्रदेशभर के सभी स्कूलों में‘वंदे मातरम्’ का गायन नियमित व अनिवार्य रूप करना सुनिश्चित किया जाएगा। ‘वंदे मातरम्’ हमारी सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है। वंदे मातरम में किसी बदलाव का प्रयास सफल नहीं होने दिया जाएगा। वंदे भारतम का विरोध करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
सोमवार को गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भारत रत्न से विभूषित एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती समारोह के उपलक्ष्य में एकता यात्रा के शुभारंभ के मौके पर संबोधित कर रहे थे। लक्ष्मीबाई पार्क में आयोजित सभा में वंदे मातरम में संशोधन और विरोध को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर सीधा प्रहार किया। योगी ने कहा कि राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नहीं, और ‘वंदे मातरम्’ हमारी सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है। वंदे मातरम का विरोध करने का कोई मतलब नहीं है। राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नहीं है। कुछ लोगों के लिए मत और मजहब ऊपर है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों में वंदे मातरम का गायन अनिवार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का जो मंत्र भारत की आजादी का कारण बना हो, उस मंत्र को भी सांप्रदायिक बताकर कांग्रेस ने उसमें संशोधन करने का प्रयास किया। कांग्रेस ने कहा था कि यह पांच और छह छंद का क्यों पढ़ना है, दो छंद में ही हो इसे पूरा किया जाए। जिस वंदे मातरम को कांग्रेस के 1896-97 के अधिवेशन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने स्वर में गाया था। वंदे मातरम का 1923 के अधिवेशन में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद अली जौहर ने विरोध किया था। उन्होंने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया था और वंदे मातरम का गान शुरू होते ही अध्यक्ष की कुर्सी से उठकर के चले गए थे। वंदे मातरम का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मोहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल करके वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता। योगी ने कहा कि यह गीत धरती माता की उपासना का गीत है। भारत का ऋषि तो हमेशा सबका आह्वान करता रहा है कि धरती हमारी माता है और हम इसके पुत्र हैं। पुत्र होने के नाते अगर मां के सम्मान में कहीं कोई चुनौती आती है हमारा दायित्व बनता है कि हम उसके खिलाफ खड़े हों। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे हो चुके हैं और इसे बदलने का कोई प्रयास सफल नहीं होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति और भाषा के नाम पर बांटने की कोशिश हो रही है। नये जिन्ना को पैदा करने की कोशिश हो रही है। अब भारत में कोई जिन्ना पैदा नहीं होगा। अगर जिन्ना पैदा होता है तो उसे दफन करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों के लिए आज भी भारत की एकता और अखंडता से बढ़कर उनका मत और मजहब बड़ा हो जाता है। उनकी व्यक्तिगत निष्ठा महत्वपूर्ण हो जाती है। वास्तव में ऐसे ही इस तरह के लोग संदेह के दायरे में नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के विरोध का कोई औचित्य नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 1947 में देश के विभाजन का कारण बनी थी। आज अखिल भारतीय स्तर पर वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजन प्रारंभ हुए तो फिर वही विरोध के स्वर फूटना प्रारंभ हो गए। समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने फिर से विरोध करना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने कहा कि यह वही लोग हैं जो भारत की अखंडता के शिल्पी लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती के कार्यक्रम में शामिल में नहीं होते लेकिन जिन्ना को सम्मान देने के किसी कार्यक्रम में शर्मनाक तरीके से शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि आज उग्रवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद से लगातार भारत की एकता और अखंडता को चुनौती मिल रही है। जो लोग भारत के राष्ट्रीय महापुरुषों, क्रांतिकारियों का अपमान करते हैं, वह प्रकारांतर में उन अलगाववादी ताकतों के दुस्साहस को बढ़ाने का ही कार्य करते हैं जिनके कारण भारत की एकता और राष्ट्रीयता को चुनौती मिलती है।
हिन्दुस्थान समाचार