कैबिनेट : निर्यात मिशन को मंजूरी, छोटे उद्योगों को मिलेगा लाभ

12 Nov 2025 21:17:00
प्रतिनिधि चित्र


नई दिल्ली, 12 नवंबर (हि.स.)। केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों के लिए 25,060 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ देश के निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने हेतु निर्यात संवर्धन मिशन को मंज़ूरी दी है।

निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) निर्यात प्रतिस्पर्धा को मज़बूती देने के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित किया गया था। यह मिशन विशेष रूप से एमएसएमई, पहली बार निर्यात करने वाले और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को आज मंज़ूरी दी।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में एक प्रेस वार्ता में कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह मिशन निर्यात संवर्धन के लिए एक व्यापक, लचीला और डिजिटल रूप से संचालित ढाँचा प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि ईपीएम कई अलग-अलग योजनाओं से एक एकल, परिणाम-आधारित और अनुकूल रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है जो वैश्विक व्यापार चुनौतियों और निर्यातकों की उभरती ज़रूरतों का तेज़ी से जवाब दे सकता है।

ईपीएम के तहत, हाल ही में वैश्विक टैरिफ वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों, जैसे वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों को प्राथमिक आधार पर सहायता प्रदान की जाएगी। ये हस्तक्षेप निर्यात ऑर्डरों को बनाए रखने, रोज़गारों की रक्षा करने और नए भौगोलिक क्षेत्रों में विविधीकरण को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। वे सभी प्रक्रियाओं - आवेदन से लेकर संवितरण तक - का प्रबंधन मौजूदा व्यापार प्रणालियों के साथ एकीकृत एक समर्पित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से करेगा।

इस मिशन से एमएसएमई के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुँच को सुगम बनेगी। अनुपालन और प्रमाणन सहायता के माध्यम से निर्यात बढ़ेगा और भारतीय उत्पादों के लिए बाज़ार पहुँच और दृश्यता में सुधार होगा। साथ ही गैर-पारंपरिक ज़िलों और क्षेत्रों से निर्यात को बढ़ावा देना और विनिर्माण, रसद और संबद्ध सेवाओं में रोज़गार सृजन करना भी मिशन का उद्देश्य है।

ईपीएम एक सहयोगात्मक ढाँचे पर आधारित है जिसमें वाणिज्य विभाग, एमएसएमई मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और वित्तीय संस्थानों, निर्यात संवर्धन परिषदों, कमोडिटी बोर्डों, उद्योग संघों और राज्य सरकारों सहित अन्य प्रमुख हितधारक शामिल हैं।

ईपीएम प्रमुख निर्यात सहायता योजनाओं जैसे ब्याज समकारी योजना (आईईएस) और बाजार पहुँच पहल (एमएआई) को समेकित करता है, और उन्हें समकालीन व्यापार आवश्यकताओं के अनुरूप बनाता है।

सरकार के अनुसार यह मिशन दो एकीकृत उप-योजनाओं के माध्यम से संचालित होगा। निर्यात प्रोत्साहन - ब्याज अनुदान, निर्यात फैक्टरिंग, संपार्श्विक गारंटी, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधीकरण के लिए ऋण वृद्धि सहायता जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से एमएसएमई के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुँच में सुधार पर केंद्रित है।

निर्यात दिशा - गैर-वित्तीय सक्षमताओं पर केंद्रित है जो बाजार की तत्परता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाती हैं, जिसमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग और व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण और रसद, अंतर्देशीय परिवहन प्रतिपूर्ति, और व्यापार खुफिया और क्षमता निर्माण पहलों के लिए सहायता शामिल है।

यह मिशन भारतीय निर्यात को बाधित करने वाली संरचनात्मक चुनौतियों का सीधे समाधान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिनमें शामिल हैं: · सीमित और महंगी व्यापार वित्त पहुँच, अंतर्राष्ट्रीय निर्यात मानकों के अनुपालन की उच्च लागत, अपर्याप्त निर्यात ब्रांडिंग और खंडित बाज़ार पहुँच, और आंतरिक एवं कम निर्यात-तीव्रता वाले क्षेत्रों में निर्यातकों के लिए रसद संबंधी असुविधाएं।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

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